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सोशल मीडिया पर लिखने पर गिरफ्तारी नहीं

२४ मार्च २०१५

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए को असंवैधानिक करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया. इस कानून के तहत बीते सालों में फेसबुक पर कथित आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर कई गिरफ्तारियां हुईं.

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Symbolbild Facebook Ausfall 27.01.2015
तस्वीर: Reuters/D. Ruvic

अनुच्छेद 66A के तहत आपत्तिजनक जानकारी कंप्यूटर या मोबाइल फोन से भेजना दंडनीय अपराध था. ऐसे मामलों में अब से पहले तीन साल तक की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती थी. इस धारा का इस्तेमाल पूरे देश की पुलिस सोशल मीडिया में किसी को पोस्ट को आपत्तिजनक मानकर उसे भेजने वाले को गिरफ्तार करने के लिए कर रही थी. पोस्ट को शेयर करने वालों को भी निशाना बनाया जा रहा था. अब इस धारा के निरस्त होने से सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा.

न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की खंडपीठ ने कानून की छात्रा श्रेया सिंघल एवं अन्य लोगों की याचिकाएं स्वीकार करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी को सर्वोपरि ठहराया है. न्यायालय ने कहा कि धारा 66ए असंवैधानिक है और इससे अभिव्य​क्ति की आजादी का हनन होता है. याचिकाकर्ताओं में कुछ गैरसरकारी संगठन भी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि ये प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह कानून संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार से मेल नहीं खाता.

याचिका के खिलाफ सरकार का कहना था कि साइबर अपराधों से बचने के लिए यह कानून जरूरी है. जनता को इंटरनेट पर आजादी देने से भड़काऊ पोस्ट से आक्रोश फैलने का खतरा रहता है. मुंबई की एक लड़की नें 2012 में हिंदू संगठन शिव सेना के तत्कालीन प्रमुख बाल ठाकरे की मृत्यु पर मुंबई बंद के विरोध में पोस्ट किया. इसके बाद उसे और उसके पोस्ट को लाइक करने वाली एक और लड़की को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद ही कानून की पढ़ाई कर रही श्रेया सिंघल ने यह याचिका दायर की थी. श्रेया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है.

पश्चिम बंगाल में फेसबुक पोस्ट के लिए एक प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया था तो पिछले दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी एक स्कूली छात्र को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. उसने एक रसूखदार प्रांतीय मंत्री के खिलाफ फेसबुक पर सामग्री पोस्ट की थी.

एसएफ (डीपीए/वार्ता)