स्कार्फ नहीं पहना तो शतरंज खिलाड़ी पर लगा बैन
७ अक्टूबर २०१७यूएस चेस फेडरेशन ने बताया है कि 19 वर्षीय दोरसा देराखशानी का जन्म तेहरान में हुआ और उन्हें ईरानी शतरंज संघ ने खेलने से रोक दिया है. जनवरी में हुए जिब्राल्टर चेस फेस्टिवल के दौरान देराखशानी ने सिर पर स्कार्फ नहीं पहना था.
इसके बाद, वह अमेरिका चली गयीं, जहां वह सेंट लुइस यूनिवर्सिटी में पढ़ती हैं और अपनी यूनिवर्सिटी की टीम के लिए खेलती हैं. अमेरिकी चेस ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि अब देराखशानी आधिकारिक तौर पर अमेरिकी खिलाड़ी के तौर पर मुकाबलों में हिस्सा लेंगी. यूएस चेस अमेरिका में शतरंज मुकाबलों के लिए आधिकारिक संस्था है जो चैंपियनशिप कराने के साथ साथ खिलाड़ियों की रैंक भी तय करती है.
वेबसाइट पर देराखशानी के हवाले से कहा गया है, "अच्छा लगता है.. मैं ऐसे संघ के लिए शांति से खेल सकती हूं जहां मेरा मेरा स्वागत है और मुझे समर्थन मिलता है." पिछले हफ्ते एक अमेरिकी रेडियो के साथ बातचीत में देराखशानी ने कहा, "मैं इस बात को लेकर खासी उत्सुक हूं कि आखिरकार मुझे एक स्थायी ट्रेनर और एक टीम मिलेगी. मैं वाकई ग्रैंडमास्टर बनना चाहता हूं." इसके अलावा वह एक डेंटिस्ट भी बनना चाहती हैं.
जिब्राल्टर प्रतियोगिता के कुछ हफ्तों बाद ईरानी शतरंज संघ ने घोषणा की कि वह हिजाब न पहनने के कारण देराखशानी पर प्रतिबंध लगा रहा है. यूएस चेस के अनुसार ईरानी शतरंज संघ ने देराखशानी के भाई को भी प्रतिबंधित कर दिया है जो जिब्राल्टर प्रतियोगिता में एक इस्राएली खिलाड़ी के साथ खेले थे.
देराखशानी ने अमेरिका के नेशनल पब्लिक रेडियो को बताया कि वह पहले भी बिना स्कार्फ के मुकाबलों में हिस्सा लेती रही हैं इसलिए उन्हें लगता है कि उन पर प्रतिबंध किसी और वजह से लगाया गया है.
उन पर प्रतिबंध की घोषणा तेहरान में महिला विश्व शतरंज चैंपियनशिप के दौरान की गयी थी, जिसके शुरुआती मुकाबले में ईरान की तीनों प्रतियोगी हार गयी थीं. अमेरिकी चेस का कहना है कि दुनिया की कई शतरंज खिलाड़ियों ने तेहरान में होने वाली चैंपियनशिप का बहिष्कार किया था क्योंकि वहां खिलाड़ियों को सिर पर स्कार्फ पहनना जरूरी थी.
एके/ओएसजे (रॉयटर्स)