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स्कीजम्पिंग: खिलाडियों का सेहत से खिलवाड

२४ जनवरी २०११

खेलों को इस लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि उनसे हमारी सेहत बनती है. लेकिन अगर खेल ही सेहत बिगाड़ दें तो उसे क्या कहेंगे? ऐसा ही कुछ हो रहा है स्कीजम्पिंग में.

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तस्वीर: AP

हालांकि भारत में तो यह खेल लोकप्रिय नहीं है, लेकिन यूरोप के कई देशों को इस खेल में महारथ हासिल है. ऑस्ट्रिया, पोलैंड और स्विट्जरलैंड इस समय स्कीजम्पिंग के विश्वचैम्पियन माने जाते हैं. जर्मन खिलाड़ी भी बीच बीच में अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं. हालांकि स्कीजम्पिंग आम तौर पर बर्फीली वादियों में की जाती है, लेकिन कई देशों में इसे गर्मियों में प्लास्टिक या पोर्सेलीन से बने ट्रैक पर भी किया जाता है. खेल में आपकी जीत इस पर निर्भर करती है कि आप कितनी लम्बी छलांग लगा पाते हैं. रैम्प से आप जितनी दूर कूद पाएंगे उतनी ही सफलता आपके नज़दीक आ जाएगी.

जर्मनी में यह खेल बेहद लोकप्रिय है लेकिन पिछले कई सालों से जर्मनी एक बढ़िया जीत के इंतजार में है. आखिरी बार 2002 में जर्मनी के स्वेन हन्नावाल्ड ने फोर हिल टूर्नामेंट जीता था. फोर हिल टूर्नामेंट में खिलाड़ी को चार बार छलांग लगानी होती है. जीतने वाले को ईनाम के तौर पर 57,000 यूरो नकद राशि और साथ ही 30,000 यूरो की एक कार मिलती है.

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2004 के फोर हिल टूर्नामेंट में जर्मनी के स्वेन हन्नावाल्डतस्वीर: AP

वजन जितना कम, जीतना उतना आसान

जीत हासिल करने के लिए स्कीजम्पर्स को अपने स्टाइल के साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि उनका वजन कितना है. जाहिर सी बात है - आप जितने हल्के होंगे, हवा में उतनी ही देर रह पाएंगे और अधिक से अधिक दूरी तय कर पाएंगे.

जीतने की होड़ में स्कीजम्पर अपना वजन इतना कम कर लेते हैं जो साधारण से बेहद कम होता है. वो खुद को भूखा रखते हैं ताकि उनका वजन कम रहे. इसके सबसे बड़े उदाहरण है फिनलैंड के याने आहोनन जिन्होंने अपनी आत्मकथा में यह बताया है कि जीत के जूनून में किस तरह से उन्होंने खुद को प्रताड़ित किया. आहोनन ने अपनी किताब में बताया है कि किस तरह उन्होंने तीन हफ्तों के बीच अपना वजन 12 किलो घटा कर 65 किया. आम तौर पर शरीर को एक दिन में करीब 2000 किलो कैलरी की ज़रुरत होती है. लेकिन ओहानन पूरे दिन में केवल 200 किलो कैलरी यानी सामान्य आहार का केवल दस प्रतिशत ही लिया करते थे. पूरे दिन में वो केवल एक कटोरी दही खाया करते थे. इसके अलावा सारा दिन काली कॉफ़ी और सिगरेट. ऐसे में उनकी यह हालत थी कि अगर उनका बेटा उन्हें अपने साथ खेलने को बोलता तो उनके शरीर में उस के लिए जान ही नहीं होती थी.

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फिनलैंड के याने आहोनन अपनी आत्मकथा रॉयल ईगल के साथतस्वीर: AP

बीएमआई हुआ डोपिंग टेस्ट से भी जरूरी

डॉक्टरों ने खिलाड़ियों की इस दीवानगी पर चिंता जताई. इसी वजह से 2004 से खिलाड़ियों के लिए न्यूनतम वजन की सीमा तय की गई. अब बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स से तय किया जाता है कि किस का वजन कितना होना चाहिए. सही वजन के लिए बीएमआई 18.5 से 25 के बीच होना चाहिए. मतलब अगर आपकी लम्बाई पांच फीट है तो आपका वजन करीब 55 किलो होना चाहिए. यदि आपका बीएमआई 25 से अधिक है तो आप मोटापे का शिकार हैं और अगर 18.5 से कम तो आप बीमार हैं. जब तक बीएमआई का नियम लागू नहीं किया गया था तब तक तो कई खिलाड़ी इतने दुबले हुआ करते थे कि उनका बीएमआई शायद 16 या 17 हो. नियम लागू होने के बाद भी खिलाड़ियों की हमेशा कोशिश रही कि वजन कम से कम रहे. इसीलिए वे न्यूनतम 18.5 पर ही टिके रहे. खेल संगठनों ने इस बात को समझा और इस सीमा को बढा कर 20 कर दिया.

याने आहोनन ने अपनी किताब में लिखा है कि जब उन्होंने 2004 में जर्मनी की स्वेन हन्नावाल्ड को देखा तो उन्हें उनका शरीर ऐसा लगा जैसे अफ्रीका में भूख से मरते हुए लोगों का होता है. अब इतने सालों बाद हन्नावाल्ड ने भी इसे अपनी गलती बताया है. वो तो अब यह उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले सालों में बीएमआइ की सीमा को 20 से बढा कर 21.5 कर दिया जाएगा.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

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