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स्केटिंग करता अफगान युवा

२९ मई २०१३

अफगानिस्तान से धीरे धीरे नाटो सैनिक लौट रहे हैं. देश में एक बार फिर शांति स्थापित करने की कोशिश हो रही है और युवाओं में एक बार फिर आत्मविश्वास भरने की भी. जर्मनी यह कोशिश कर रहा है अफगान युवकों को स्केटिंग सिखा कर.

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तस्वीर: Skateistan

अफगानिस्तान के शहर मजारे शरीफ में हाल ही में दूसरा स्केटिंग पार्क खुला है और अभी से 300 से अधिक बच्चे वोटिंग लिस्ट में हैं. सैकड़ों बच्चे इस स्केटिंग पार्क को देखने पहुंचे हैं. स्केटिंग रिंग की चमक इन बच्चों की आंखों में दिख रही है. गैर सरकारी संस्थान स्केटिस्तान ने जर्मन सरकार की मदद से यहां यह पार्क बनवाया है. 6,000 वर्ग मीटर में फैले इस पार्क में हर हफ्ते 1,000 स्कूली बच्चे स्केट बोर्ड का मजा ले सकते हैं और साथ ही अन्य कार्यक्रमों का हिस्सा भी बन सकते हैं.

इस तरह के स्केट पार्क से कोशिश की जा रही है पांच से सत्रह साल के बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें अपनी काबिलियतों से रूबरू कराने की भी. अफगानिस्तान में इस तरह का पहला पार्क 2009 में राजधानी काबुल में खोला गया. उसी साल ओलिवर पेरकोविच ने स्केटिस्तान को औपचारिक रूप से पंजीकृत कराया. हालांकि वह पहले से ही अफगानिस्तान में बच्चों को स्केटिंग करना सिखा रहे थे.

Skateistan Mazar-e Sharif
स्केटिंग सीखने वाले बच्चों में से करीब 40 प्रतिशत लड़कियां हैं.तस्वीर: Skateistan

शांतिपूर्ण भविष्य के लिए

डॉयचे वेले से बातचीत में पेरकोविच ने बताया, "हमारा मानना है कि यदि साधनों को अफगान युवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाए तो उस से एक शांतिपूर्ण भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है." पेरकोविच मानते हैं कि इन बच्चों को और खास तौर से लड़कियों को मौके देने की सख्त जरूरत है ताकि वे अपने समुदाय और अपने देश में सुधार ला सकें.

वह बताते हैं कि जब उन्होंने अफगानिस्तान आ कर बच्चों को दिखाया कि स्केटबोर्ड का किस तरह से इस्तेमाल किया जाता है तो उन्हें बच्चों से जिस तरह की प्रतिक्रिया मिली, उसकी वह उम्मीद नहीं कर रहे थे, "मैं यह देख कर हैरान रह गया कि लड़के और लड़कियां दोनों ही इसे आजमाना चाहते थे, क्योंकि मैंने कभी यहां लड़कियों को खेलते कूदते नहीं देखा था".

14 साल की मदीना ने काबुल के स्केटिंग पार्क में स्केटबोर्ड सीखा और अब वह खुद ट्रेनर हैं. डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं मजार के सभी बच्चों को खेल में हिस्सा लेने की सलाह दूंगी, सिर्फ स्केटिंग ही नहीं, बास्केटबॉल और फुटबॉल भी."

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स्केटिंग के जरिए बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है.तस्वीर: Skateistan

लड़कियों में उत्साह

अफगानिस्तान की ओलंपिक समिति के अध्यक्ष जाहेर अघबार को भी इस पार्क पर बहुत नाज है. वह बताते हैं कि ना सिर्फ यहां बच्चे आ कर खेल सकते हैं, बल्कि वह कंप्यूटर की ट्रेनिंग भी ले सकते हैं और इंटरनेट भी इस्तेमाल कर सकते हैं, "और तो और ये सब मुफ्त है, यहां तक कि पार्क के चार किलोमीटर के दायरे में यातायात भी मुफ्त है, बच्चों को क्लास भी मुफ्त में मिलती है और सारा सामान भी."

अफगानिस्तान ऐसा देश है जहां पिछले 40 साल से जंग चल रही है. ऐसे में अफगान युवा यह नहीं जानते कि शांत माहौल कैसा होता है. अफगानिस्तान की 60 फीसदी आबादी 18 साल से कम उम्र की है. पेरकोविच के लिए यही बात प्रेरणा बनी. पिछले कुछ सालों में वह हजारों अफगान बच्चों को स्केटिंग करना सिखा चुके हैं. इनमें से करीब 40 प्रतिशत लड़कियां हैं.

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यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख 29/05 और कोड 1928 हमें भेज दीजिए ईमेल के जरिए hindi@dw.de पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: fotolia/Cmon

हालांकि कई परिवार पसंद नहीं करते कि बच्चियां सबके सामने खेल में हिस्सा लें. ऐसी बच्चियों के लिए अलग से क्लास चलाई जाती है जिसमें लड़कियां ही ट्रेनिंग देती हैं. मजारे शरीफ की वेटिंग लिस्ट में भी 80 प्रतिशत लड़कियां ही हैं. लेकिन अगले साल जब अफगानिस्तान से सेनाएं लौट जाएंगी, तब क्या होगा? पेरकोविच को भी इस बात की चिंता सता रही है, "हम नहीं जानते कि क्या होगा, आर्थिक तौर पर हमारे आगे चुनौतियां आएंगी. हम नहीं जानते की पैसा कहां से आएगा, लेकिन हम हर हाल में लम्बे वक्त तक अफगानिस्तान में रहना चाहते हैं".

पेरकोविच चाहते हैं कि अफगानिस्तान का युवा खुद में भरोसा रखे और स्केटिंग के जरिए एक अच्छे भविष्य की राह पर चले.

रिपोर्ट: वसलत हजरत नजिमी/ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे

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