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भारतीय वेबसाइट ने जीता बॉब्स पुरस्कार

डानिएला श्पेथ/आईबी२ मई २०१६

14 भाषाएं, 56 ऑनलाइन प्रोजेक्ट और ढेर सारी चर्चा. डॉयचे वेले की अंतरराष्ट्रीय जूरी ने 12वीं बार बॉब्स पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. भारत का "स्टॉप एसिड अटैक्स" बना विजेता.

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स्टॉप एसिड अटैक्स
तस्वीर: stopacidattacks.org

डॉयचे वेले के प्रतिष्ठित बॉब्स पुरस्कारों के विजेताओं की घोषणा की गई है. अंतरराष्ट्रीय जूरी ने भारत के "स्टॉप एसिड अटैक्स" की मुहिम को चार में से एक पुरस्कार के लिए चुना है. इसके अलावा एक अन्य भारतीय वेबसाइट चौपाल ने यूजर्स पुरस्कार जीता है. अन्य विजेता हैं बांग्लादेश, ईरान और जर्मनी से. डॉयचे वेले के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग ने बॉब्स पुरस्कारों की घोषणा के मौके पर कहा, "अभिव्यक्ति की आजादी के लिहाज से 2016 अच्छा साल साबित नहीं हो रहा है. सभी महाद्वीपों में अभिव्यक्ति पर किसी ना किसी रूप में रोक लगाई जा रही है."

जूरी के लिए 14 भाषाओं में से विजेता चुनना आसान नहीं था. द बॉब्स – बेस्ट ऑफ आनलाइन एक्टिविज्म – के लिए इस साल 2,300 से ज्यादा वेबसाइटों और ऑनलाइन प्रोजेक्टों के सुझाव बॉब्स टीम तक पहुंचे. अंतरराष्ट्रीय जूरी ने 126 वेबसाइटों को नामांकित किया और इनमें से चार विजेता चुने. इस साल ना केवल वेबसाइटों को नामांकित किया गया, बल्कि कई इंस्टाग्राम अकाउंट, फेसबुक पेज और यहां तक कि स्मार्टफोन ऐप भी प्रतियोगिता में शामिल थे. इस विविधता को देख कर पता चलता है कि ऑनलाइन एक्टिविज्म के कितने रूप हो सकते हैं.

सोशल चेंज

स्टॉप एसिड अटैक्स - भारत

स्टॉप एसिड अटैक्स (एसएए) एक ऐसा अभियान है जो एसिड हिंसा से पीड़ित महिलाओं को लड़ने का हौसला देता है. एसएए पीड़ित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का और उन्हें समाज में सम्मानजनक जगह दिलवाने का काम करता है. अभियान का मकसद है कि वे महिलाएं, जिन्हें तेजाब हमले से जूझना पड़ा है, वे खुद को अकेला और कमजोर महसूस न करें. इन महिलाओं के लिए नई जिंदगी की राहें आसान करने में एसएए अपना योगदान दे रहा है.

भारत की ओर से जूरी सदस्य अभिनंदन सेखरी ने इस बारे में कहा, "एसिड हमलों को रोकना एक बहुत मुश्किल लड़ाई है. इन लोगों ने एसिड हमले की पीड़ितों की ओर समाज का दृष्टिकोण बदला है. ना केवल वे पीड़ितों को साथ लाने में सफल रहे हैं, बल्कि उन्होंने कानून में भी बदलाव करवाए हैं."

सिटीजन जर्नलिज्म

रेजर्स एज – बांग्लादेश

पिछले एक साल से बांग्लादेश में ब्लॉगर लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं. रेजर्स एज नाम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म इन्हीं हत्याओं और ब्लॉगरों की दिक्कतों को दर्शाती है. फिल्म दिखाती है कि कैसे कट्टरपंथियों की हिम्मत बढ़ती चली जा रही है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

बांग्लादेश की जूरी सदस्य रफीदा अहमद खुद पिछले साल की विजेता हैं. उनके पति अविजीत रॉय की 2015 में हत्या कर दी गयी थी. रफीदा कहती हैं, "लगातार दो साल तक बांग्लादेश के प्रोजेक्ट का जीतना दिखाता है कि देश में हालात अब भी सुधरे नहीं हैं, बल्कि बिगड़ते ही चले जा रहे हैं पिछले पांच हफ्तों में चार लोगों की हत्या की जा चुकी है. धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ता, लेखक, ब्लॉगर, प्रोफेसर और अल्पसंख्यक अब कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं."

टेक फॉर गुड

गेरशाद - ईरान

गेरशाद एक स्मार्टफोन ऐप है जो ईरान में सक्रिय "मॉरल पुलिस" के खिलाफ काम करता है. ईरान में लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं, मिसाल के तौर पर महिलाएं वहां बिना हिजाब के घर से बाहर नहीं निकल सकती. नियंत्रण रखने के लिए सड़कों पर अधिकारी तैनात होते हैं. इस ऐप से उनकी लोकेशन का पता किया जा सकता है. ऐप इस्तेमाल करने वाले लोकेशन को मार्क करते हैं, जिससे बाकियों को पता चल जाता है कि वह रास्ता नहीं लेना है.

ऐप चलाने वाले अपनी पहचान सामने नहीं लाना चाहता. लेकिन ईरान की जूरी सदस्य गुलनाज एसफानदियारी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार हमारा ऐप इस्तेमाल करने वालों को प्रोत्साहित करेगा. बेशक इससे ईरान के लोगों पर एक अच्छा प्रभाव पड़ेगा, जो इस मॉरल पुलिस से बचने की कोशिश में रहते हैं. गेरशाद के माध्यम से हम ईरान में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं."

आर्ट्स एंड कल्चर

सेंट्रुम फ्युर पोलिटिशे शोएनहाइट – जर्मनी

अंग्रेजी में इसका मतलब है सेंटर फॉर पॉलिटिकल ब्यूटी. यह संस्था कई तरह के प्रदर्शन आयोजित करती है और बदलाव की मांग करती है. 'मुर्दे आ रहे हैं' नाम के एक प्रदर्शन के साथ इस संगठन ने यूरोप की शरणार्थी नीति की निंदा की और लोगों का ध्यान उन शरणार्थियों की ओर खींचा जो यूरोप आने की कोशिश में अपनी जान गंवा रहे हैं. जर्मनी की जूरी सदस्य काथारीना नोकुन ने कहा, "ये लोग ऐसे राजनीतिक मुद्दे उठाते हैं, जो जनता को असहज महसूस होते हैं. वे नागरिकों और नेताओं, दोनों को उकसाते हैं, राजनीतिक फैसलों करते हैं और नेताओं को कदम उठाने पर विवश करते हैं"

यूजर अवॉर्ड:

चौपाल

चौपाल विचारों को समर्पित एक ओपन प्लैटफॉर्म हैं. मसालेदार पत्रकारिता से हटकर यहां एक ऐसा मंच उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है जहां समसामयिक मसलों पर गंभीरता से विचार व्यक्त किए जा सके. इस पेज पर अच्छे और महत्वपूर्ण विचार सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे महानगरों से ही नहीं आते, बल्कि ये सुदूर गांव या कस्बे में बैठे किसी भी सामान्य-जन के हो सकते हैं. चौपाल एक गैर-लाभकारी प्रयास है. वेबसाइट का दावा है कि यदि भविष्य में इससे कुछ आय होती है, तो उसका उपयोग जरूरतमंदों की शिक्षा के लिए किया जाएगा. चौपाल के लिए 100,000 से ज्यादा यूजर्स ने वोट दिए.

जूरी अवॉर्ड के विजेताओं को 13 से 15 जून को जर्मनी के बॉन शहर में होने वाले ग्लोबल मीडिया फोरम के दौरान पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया जाएगा.