स्टोनहेंज में मिले और स्मारक
रिसर्चरों के मुताबिक अब तक ज्ञात स्टोनहेंज तो बस शुरुआत थी. जमीन के अंदर बहुत कुछ और है जिसका डिजिटल मैप तैयार किया गया है...
रिसर्चरों की टीम के प्रमुख विंसेंट गैफ्नी के मुताबिक यह स्टोनहैंज के बारे में नई जानकारी नहीं बल्कि जानकारियां मिलने की एक नई शुरुआत है. चार साल तक काम करके रिसर्चरों को जमीन के भीतर पत्थर के और भी धार्मिक स्मारक होने के सबूत मिले हैं.
स्टोहेंज की मौजूदगी वैज्ञानिकों को हैरान करती आई है और इसके इतिहास के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है. इस इलाके पर रिसर्च के दौरान टीम को 17 ऐसे स्मारक मिले हैं जिनके बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थीं.
यह डिजिटल मैप है जो स्टोनहैंज के इलाके में मिले नए स्मारकों की मौजूदगी दिखाता है. रिसर्चरों ने इनका पता लगाने के लिए मैग्नोमीटर, जमीन भेदने वाले रडार, इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंडक्शन सेंसर और 3डी लेजर का इस्तेमाल किया.
चार साल का यह प्रोजेक्ट स्टोनहेंज पर अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. इस तस्वीर में एक रिसर्चर मोटर में फिट मैग्नेटोमीटर की मदद से जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहा है.
डुरिंग्टन वॉल्स का अस्तित्व 4500 साल पहले का माना जाता है. इसे उस समय का पारंपरिक कारणों से महत्वपूर्ण स्मारक माना जाता है. परिधि में यह करीब 1.5 किलोमीटर है. रिसर्चरों को उम्मीद है कि स्टोनहेंज की तरह इसके इर्द गिर्द भी जमीन के नीचे बड़े बड़े पत्थर हैं.
मैप में एक बड़ी सी लकड़ी की बनी इमारत का भी जिक्र है. माना जाता है कि यहां पुराने समय में अंतिम संस्कार किया जाता रहा होगा.
लकड़ी का बना यह ढांचा स्टोहेंज से भी पुराना माना जा रहा है. रिसर्चरों का मानना है कि इसका निर्माण 3000 और 2000 ईसा पूर्व के बीच किया गया होगा.
रिसर्च में शामिल लुडविग बोल्ट्समान इंस्टीट्यूट के निदेशक वोल्फगांग नॉयबाउअर के मुताबिक हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती है बिना आक्रामक तरीके के सांस्कृतिक धरोहर का पता लगाना. उन्होंने कहा यह सिर्फ आधुनिक तकनीक से ही संभव है.
डिजिटल तस्वीरों में कई प्रागैतिहासिक काल के गड्ढे और कुछ कब्र जैसे टीले भी मिले हैं. इनसे कांस्य युग, लौह युग और रोमन काल की रिहाइश का पता चलता है.
5 सितंबर 2014 को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा स्टोनहेंज पहुंचे. माना जाता है कि स्टोनहेंज का निर्माण नवपाषाण और कांस्य युग में किया गया था. यह भी धारणा है कि इस इलाके का इस्तेमाल अंतिम संस्कार और अन्य धार्मिक रस्मों के लिए किया जाता था.