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स्पेन में मुश्किल सरकार बनाना

२१ दिसम्बर २०१५

स्पेन में हुए संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री मारियानो राखोय की कंजरवेटिव पार्टी ने एक तिहाई सीटें खो दी हैं. राखोय ने नई सरकार बनाने का दावा किया है लेकिन बचत विरोधी पार्टी पोडेमोस की जीत ने इसे मुश्किल बना दिया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

संसदीय चुनावों में बड़ी पार्टियों के भारी नुकसान के बाद सरकार बनाना मुश्किल चुनौती है. राखोय की पीपुल्स पार्टी करीब 30 प्रतिशत मतों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन उसने बहुमत खो दिया है और संभवतः नई सरकार बनाने के हालत में नहीं होगी. एक तिहाई सीटें खोने के बावजूद उन्होंने जीतने का दावा किया है और कहा, "जिसने चुनाव जीता है उसे सरकार भी बनानी चाहिए." लेकिन चुनाव नतीजों ने इस काम को मुश्किल बना दिया है. विपक्षी सोशलिस्ट पार्टी का प्रदर्शन भी फ्रांको तानाशाही के खत्म होने के बाद लोकतंत्र की राह पर चले स्पेन में सबसे खराब रहा है. उसे करीब 22 प्रतिशत वोट मिले.पार्टी नेता पेड्रो सांचेज ने हार मान ली और राखोय को बधाई भी दे दी है.

असल जीत वामपंथी पार्टी पोडेमोस और दक्षिणपंथी उदारवादी पार्टी सिउदादानोस की हुई है जो 350 सदस्यों वाली संसद में 69 और 40 सीटों के साथ मौजूद रहेगी. पीपुल्स पार्टी की 123 सीटें हैं जबकि सोशलिस्ट पार्टी की 90 सीटें. स्पेन की राजनीति में यह नए काल की शुरुआत है. पहली बार संसद में न सिर्फ चार तगड़े संसदीय दलों का प्रतिनिधित्व है, बल्कि महागठबंधन के अलावा किसी भी दो पार्टी का अकेले सरकार बनाना संभव नहीं है. सरकार के बचत कार्यक्रमों का विरोध कर रहे पोडेमोस के नेता पाब्लो इग्लेसियास ने चुनाव नतीजों को "एक नए स्पेन का जन्म" बताया है. मतदान में 73 प्रतिशत मतदाताओं ने हिस्सा लिया जो पिछले चुनावों से 4 प्रतिशत ज्यादा था.

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प्रधानमंत्री राखोयतस्वीर: Reuters/J.A. Ramos

मुश्किल गठबंधन

1975 में फ्रांको तानाशाही की समाप्ति के बाद से स्पेन में दो दलीय व्यवस्था काम करती रही है. इस बार न तो पीपुल्स पार्टी के लिए और न ही सोशलिस्ट पार्टी के लिए बहुमत सरकार बनाना आसान है. राखोय ने सरकार बनाने का दावा जरूर किया है लेकिन यह नहीं बताया कि वे बहुमत कैसे जुटाएंगे. न तो राखोय की पार्टी और सिउदादानोस के दक्षिणपंथी गठबंधन के पास बहुमत होगा और न ही सोशलिस्ट और पोडेमोस के वामपंथी गठबंधन को. बहुमत के लिए उन्हें छोटी पार्टियों का समर्थन जुटाना होगा. चुनाव प्रचार के दौरान किसी बड़ी पार्टी ने इस बात के संकेत नहीं दिए थे कि वे किसके साथ गठबंधन बनाएंगी.

पिछले कार्यकाल में राखोय के पास जितनी राजनैतिक सत्ता थी उतनी हाल के सालों में किसी प्रधानमंत्री की नहीं रही है. उनकी पार्टी ने 2011 के चुनावों में संसद में पूर्ण बहुमत जीता था. लेकिन राखोय को सत्ता संभालने के बाद ही वित्तीय संकट के कारण बचत के सख्त कदम लागू करने पड़े थे. इनकी वजह से स्पेन संकट से बाहर निकला और अर्थव्यवस्था का फिर से विकास शुरू हुआ. लेकिन 20 प्रतिशत से ज्यादा की बेरोजगारी सत्ताधारी पार्टी में भ्रष्टाचार के मामलों पर लोगों का गुस्सा चुनाव के दौरान नजर आया. इसका फायदा वामपंथी पोडेमोस को मिला जो ग्रीस की सीरिजा पार्टी की तरह बचत नीति का विरोध करती है.

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सिउदादानोस के नेता रिवेरा, सोशलिस्ट सांचेज और पोडेमोस के इग्लेसियासतस्वीर: picture-alliances/dpa/J. Martin

संवाद और सहमति

चुनाव परिणामों ने गठबंधन बनाना मुश्किल कर दिया है. सीटों की गणित के हिसाब से राखोय की पीपुल्स पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी का महागठबंधन संभव है, लेकिन दोनों ही पार्टियों ने चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन की संभावना से इंकार किया था. अब तक दोनों पार्टियों में से किसी एक को बहुमत मिलता रहा था. राजनीतिशास्त्री इग्नासियो खुरादो कहते हैं, "स्थिति बहुत जटिल है. आसान हल नहीं हैं." इतना ही नहीं आर्थिक नीति के अलावा कैटेलोनिया को स्वायत्तता के मुद्दे पर भी पार्टियों के बीच भारी मतभेद हैं, जिन्हें पाटना आसान नहीं है.

सोशलिस्ट पार्टी सभी वामपंथी ताकतों को मिलाकर वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है, लेकिन यह गठबंधन बनाना और उसे बनाए रखना आसान नहीं होगा. अब तक की टकराव की राजनीति से परेशान मतदाताओं ने ऐसी संसद चुनी है कि राजनीतिज्ञों को एक दूसरे से बात करने पर मजबूर होना पड़े. अल पाइस अखबार लिखता है कि पिछले चार सालों में राजनीतिक संवाद समाप्त हो गया था. पार्टियों को देश की समस्या सुलझाने के लिए बातचीत शुरु करनी चाहिए. गठबंधन वार्ता में महीनों लग सकते हैं. स्पेन के संविधान में चुनावों के बाद सरकार बनाने की कोई समय सीमा नहीं है. अगर निर्वाचित पार्टियां आपस में सहमति हासिल नहीं कर पाती हैं तो एकमात्र विकल्प नए चुनावों का होगा.

एमजे/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)

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