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स्मोकिंग कम हुई, लेकिन तंबाकू से मौतें बढ़ीं

७ अप्रैल २०१७

साल 1990 से दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों का प्रतिशत घटा है लेकिन धूम्रपान से होने वाली मौतों की संख्या में इजाफा हुआ है. एक अध्ययन के मुताबिक तंबाकू सेवन के चलते होने वाली आधी मौतें सिर्फ चार देशों में होती हैं.

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WHO Bericht Raucher Indonesien
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Siagian

साइंस जर्नल 'द लैंसेट' में छपे एक अध्ययन मुताबिक दुनिया भर में साल 2015 के दौरान तंबाकू सेवन के चलते तकरीबन 64 लाख लोगों की जान चली गयी. इनमें से आधी से ज्यादा मौतें सिर्फ चीन, भारत, अमेरिका और रूस में हुईं.

"ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज" नाम से छपे इस अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों की संख्या में पिछले 25 वर्षों के दौरान गिरावट आई है. साल 2015 में हर चार में से 1 पुरूष और हर 20 में से 1 महिला रोजाना धूम्रपान करती है. लेकिन साल 1990 में यह आंकड़ा इससे कहीं अधिक था. उस वक्त हर तीन में 1 व्यक्ति और हर 12 में से 1 महिला इसका शिकार थी.

बढ़ती जनसंख्या के चलते तंबाकू सेवन से होने वाली मौतों की संख्या 1990 से 2015 की अवधि में 4.7 फीसदी तक बढ़ गयी है. इस बीच धूम्रपान करने वालों की संख्या भी 7 फीसदी बढ़कर 93 करोड़ तक पहुंच गयी, जो है साल 1990 में महज 87 करोड़ थी. इस अध्ययन में धूम्रपान करने वालों के देशों में मौजूद व्यापक असमानता को भी दिखाया गया है.

पिछले 25 वर्षों में ब्राजील अपने तंबाकू उपभोक्ताओं की संख्या को कम करने में काफी सफल रहा है. पुरुषों में तंबाकू सेवन का स्तर 29 से 12 फीसदी तक घटा है और महिलाओं में 19 फीसदी से घटकर 8 फीसदी तक आ गया है. लेकिन इंडोनेशिया, बांग्लादेश और फिलिपींस जैसे देशों में अब भी धूम्रपान का वही स्तर बना हुआ है. साल 1990 से लेकर 2015 तक इसमें कोई खास कमी नहीं आयी है.

बड़े बाजार

रूस में धूम्रपान विरोधी नीतियों पर साल 2014 तक कोई सुगबुगाहट ही नहीं थी. रूस में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में 4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि अफ्रीकी क्षेत्रों पर बड़ी तंबाकू कंपनियों की नजर है और इन क्षेत्रों में धूम्रपान करने वाले पुरुषों और महिलाओं की संख्या साल 2010 के मुकाबले साल 2025 तक 50 फीसदी बढ़ सकती है.

Jugendliche rauchen Zigaretten in Kongo
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/Blinkcatcher

नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के टोबैको ऐंड ऐल्कोहल सेंटर से जुड़े जॉन ब्रिटन के मुताबिक, "आधुनिक तंबाकू उद्योग गरीब देशों के बच्चों और युवा लोगों को इसकी लत लगाकर मुनाफा कमाते हैं. क्योंकि इन कंपनियों का उद्देश्य मुनाफा कमाना है और मुनाफे के लिये वह इनका जीवन ले लेते हैं." ब्रिटन के मुताबिक धूम्रपान को रोकने के उद्देश्य से की गई सभी वैश्विक पहलें मसलन उच्च कर, शिक्षा अभियान और पैकेज चेतावनी- तंबाकू उपभोक्ताओं पर केंद्रित होती है और तंबाकू उत्पादकों को इससे नहीं जोड़ा जाता. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक रोजाना धूम्रपान करने वाले लोग समय से पहले ही मौत के गिरफ्त में आ जाते हैं. अमेरिकी यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक मृत्यु और विकलांगता के लिए धूम्रपान दूसरा सबसे बड़ा जोखिम है.

एए/आरपी (एएफपी)