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स्वीडन की बंद होती जेलें

११ जनवरी २०१४

स्वीडन में मामूली सजा पाने वाले अपराधियों को जेल में रखने के बदले उनके पुनर्वास पर ध्यान देने से जेलों पर दबाव कम हो रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

स्वीडन की जज कारिन वेस्टरलैंड का कहना है कि उन्हें अपराधियों को जेल से बाहर रखने में ज्यादा झिझक नहीं होती है. देश में यह प्रयोग बहुत कामयाब रहा है, जिसमें सजा के बाद भी कैदियों को जेल में नहीं डाला जाता है.

वेस्टरलैंड का कहना है, "मैं चुन सकती हूं कि उनसे सामाजिक सेवा कराई जाए या फिर उन्हें प्रोबेशन पर रखा जाए, न कि किसी जेल में." हालांकि सभी अपराधियों के साथ इस तरह पेश नहीं आया जा सकता है, "अगर हम दूसरे अपराधों की बात करते हैं, मिसाल के तौर पर चोरी, नशा या सेक्स और हिंसा की वारदात. मैं जरूर कहना चाहती हूं कि पिछले 10 साल में इसकी सजा नहीं बदली है."

जज फैसला करते हैं कि किस अपराधी को टेथर (इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग) पर रखा जाए और कैसे उन्हें जेल से बाहर रखते हुए भी उन पर नजर रखी जा सके. स्वीडन में भले ही अपराध बढ़ रहे हों लेकिन वहां जेलों की संख्या कम हो रही है. साल 2005 के बाद से देश में नियम बना है कि जिसे भी छह महीने से कम की सजा हुई है, वह अपील कर सकता है कि उसे इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग पर रखा जाए, जेल में नहीं.

Langholmen's Youth Hostel
स्वीडन की एक जेल का दृश्यतस्वीर: Långholmen's Youth Hostel

घटते अपराधी

लेकिन फिर भी स्वीडन में अपराध बढ़ रहा है. स्वीडन में जेल में रखे जाने वाले कैदियों का अनुपात बहुत कम है. प्रति 1000 में सिर्फ आधा फीसदी. यानि फ्रांस से आधा और अमेरिका का 10 फीसदी. पिछले एक दशक में यहां की जेलों में कैदियों की आबादी 1000 घट गई है. जेल और प्रोबेशन सेवा के प्रमुख नील्स ओएबर्ग का कहना है, "हम वजहों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम पक्के तौर पर कोई जवाब नहीं दे सकते हैं."

सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में नए मापदंड दिए थे, जिसके मुताबिक कई मामलों में हल्की सजाएं दी जाने लगीं. इसके अलावा दो तिहाई सजा काट लेने के बाद आम तौर पर कैदियों को पैरोल पर रिहा कर दिया जाता है. साथ ही सरकार बड़े पैमाने पर पुनर्वास की योजना चला रही है, जिसका फायदा दिखा है. नॉर्टेजी जेल के 38 साल के एक कैदी का कहना है कि स्वीडन के कैदियों को नई जिंदगी शुरू करने का मौका मिलता है, "यह पहला मौका है, जब मैं कोई सजा काट रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि यह आखिरी होगा."

हालांकि 2004 में देश में 12 लाख अपराध रिकॉर्ड किए गए, जो 2012 में बढ़ कर 14 लाख हो गए. इनमें बहुत बड़ी संख्या ड्रग अपराधों और धोखाधड़ी की है. स्वीडन की मौजूदा मध्य-दक्षिणपंथी सरकार की योजना है कि बड़े अपराधों के लिए सख्त सजा हो. खास तौर पर हत्या के मामलों में. लेकिन उनके प्रस्ताव को विपक्ष का समर्थन नहीं मिल पाया है और न्याय व्यवस्था भी चाहती है कि सजा से ज्यादा पुनर्वास पर ध्यान दिया जाए.

समर्थन और विरोध

स्वीडन के कई लोग इस बदलाव के मौके का समर्थन करते हैं. पर कई लोगों को यह अटपटा लगता है. राष्ट्रीय पीड़ित समर्थन संघ के अध्यक्ष स्वेन-एरिक एलहम का कहना है, "हत्या के मामलों के लिए अब बहुत ज्यादा बार उम्र कैद नहीं दी जाती. मेरी नजर में यह बहुत आम समझ की बात है कि किसी भी हत्या के मामले में उम्र कैद ही होनी चाहिए. यह कहना बहुत जरूरी है कि जिसकी हत्या होती है, उसके परिवार को बहुत कुछ भोगना पड़ता है. वह नहीं समझते कि कम वक्त की सजा से अपराधी पर कोई फर्क पड़ता है."

कैदियों की घटती संख्या की वजह से 2013 में स्वीडन की चार जेलों को बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं 82 केंद्रों में से एक पुनर्वास केंद्र भी बंद कर दिया गया है. दूसरी जगहों पर पर्याप्त लोग नहीं हैं. नॉर्टेजी जेल के इंस्पेक्टर आंद्रेस एक्सट्रोएम का कहना है, "अगर सजा में प्रोबेशन का प्रावधान हो, तो जेलें खाली होंगी." उनके जेल में 200 कैदियों को रखने की व्यवस्था है लेकिन वहां सिर्फ 160 कैदी रहते हैं.

ओएबर्ग का कहना है कि जेलों के बंद होने से दो ही नतीजे निकल सकते हैं. या तो बाहर में हिंसा बढ़ेगी या फिर "हम लोगों का काम खत्म हो जाएगा".

एजेए/एमजे (एएफपी)

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