1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हटा क्रिकेट से ध्यान

१३ अक्टूबर २०१०

कई श्रोता मानते हैं कि कॉमनवेल्थ के कारण भारत के आम लोगों का ध्यान क्रिकेट से हटा और उन्होंने हॉकी, कुश्ती, निशानेबाजी जैसे खेलों पर भी ध्यान दिया.

https://p.dw.com/p/PdKT
तस्वीर: AP

ये बहुत ही सुखद है कि इस बार शायद बहुत वर्षों के बाद ऐसा अवसर आया है जब एक आम भारतीय क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों विशेष कर एथलेटिक्स, कुश्ती, निशानेबाजी की खेल प्रतिस्पर्धाओं और खिलाडियों की एक एक खबर पर कान लगाए बैठा है और ऐसा लग रहा है मानो पूरा देश खेलमय सा हो गया है. विपरीत परिस्थितियों में भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने वाले खिलाडियों के बारे में जानकर अच्छा लगा. इन खेलों में जिस तरह से भारत की महिला खिलाडियों का प्रदर्शन रहा है वह भविष्य में आने वाली खिलाडियों के लिए निश्चित रूप से प्रेरणास्रोत बनेगा . बस चिंता इतनी है कि कहीं इन खेलों की समाप्ति के बाद इनकी उपेक्षा न हो . प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

अजय कुमार झा, गीता कालोनी, दिल्ली

**********

हैलो जिंदगी में इन्टरनेट तथा ऑनलाइन गेमिंग की गलत लत एवम उसके दुष्परिणामों के सम्बन्ध में विस्तार से की गई चर्चा सत्र प्रतिशत और समक्ष योगी लगी.वर्तमान समय में अधिकांश युवा इस का शिकार होते जा रहें हैं तथा दुशपरिणाम भी भोग रहे हैं. इस में समय, पैसा और स्वास्थ्य की बरबादी के सिवाई कुछ भी हासिल नहीं होता हैं. साथ ही गांधी जी की शख्सियत पर की गई चर्चा प्रेरणादायक लगी. वर्तमान आधुनिकता के दौर में गांधी जी के संदेश और विचार प्रसंगी हैं, जिसे नकारा नहीं जा सकता. गांधी जी आज भी अहिंसा में विश्वास करने वालों के दिलों दिमाग में अपनी पहचान छोड़े हुए हैं. डॉयचे वेले परिवार को धन्यवाद.

अतुल कुमार, राजबाग रेडियों लिस्नर्स क्लब, सीतामडी, बिहार

***********

बॉलीवुड के बदलते ट्रेन्ड पर हैलो ज़िंदगी में बहुत रोचक ढंग से प्रकाश डाला गाया.आपका कार्यक्रम पेश करने का अन्दाज़ बहुत भाता हैं. अपने कार्यक्रमों के बदले स्वरूप की जो बात आपने आपकी बारी आपकी बात में कहीं, उसे हैलो ज़िंदगी ने सिद्ध कर दिया.आज का युवा कुछ नया चाहता हैं, जिंदगी में, व्यापार में, सोच में हर जगह उसे नवीनता चाहिए और इसी नवीनता को आपने भी अपने कार्यक्रमों के स्वरूप में ढाला हैं.

प्रमोद महेश्वरी, शेखावती, ऱाजस्थान

***********

आम आदमी को क्या देंगे कॉमनवेल्थ खेल – आजकल हम हिन्दुस्तानी अंग्रेजों की गुलामी से ज्यादा अब गुलाम हैं. अगर देश के चंद नेताओं की बदौलत इस देश की हालत एक मरीज के जैसी हो जायेगी तो क्या होगा. एक आम आदमी से कोई गलती होती है तो उसे तुरन्त जेल भिजवा दिया जाता हैं, लेकिन देश का कोई नेता कोई बड़ी गलती जानकर करता है तो उसे नज़र अन्दाज़ कर दिया जाता हैं. आखिर क्यों ?

शैलेंद्र चौहान

**********

कल रात खोज कार्यक्रम में टेस्ट ट्यूब बेबी के बारे में दी गयी जानकारी काफी ज्ञान्बर्धक और रोचक लगी. असल में कुछ दिन पहले में और मेरी पत्नी इसी विषय पर बातचीत कर रहे थे . परन्तु सही जानकारी न होने के कारण इस बारे में मैं उनको ज्यादा बता न पाया था. और जब DW में इसी टेस्ट ट्यूब बेबी के बारे में जानकारी दी गयी तो मेरा तो कम ही बन गया. अप सब को इस लिए धन्यवाद..

पृथ्वीराज पुरकायस्थ

************

अयोध्या मामला सुप्रीम कोर्ट में अच्छा होता की सभी मुसलिम संगठन और सभी हिन्दू संगठन अपने अपने समुदायों के सभी संगठनों की मीटिंग लेकर पहले यह तय कर लेते कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जाना है या आपसी समझौता करना हैं. अभी जिस प्रकार सब अपने अपने मन मुताबिक बातें कर रहे हैं, यह अच्छा नहीं है. आम हिन्दू भाई और आम मुस्लिम भाई के दिलों में झांक कर भी इन्हें देखना चाहियें.

आचार्य शिवप्रसाद सिंह, राजभार, राजगुरू

********

संकलन: कवलजीत कौर

संपादनः आभा एम