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हथियार कार्यक्रम और तेज करेगा उत्तर कोरिया

१३ सितम्बर २०१७

उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बाद चिर परिचित अंदाज में अपने हथियार कार्यक्रम को और तेज करने की कसम खायी है. इस बीच उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम बनाने के दावों को परखने की भी कोशिश हो रही है.

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Archivbild Kim Jong-Un
तस्वीर: Reuters/KCNA

उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने नये प्रतिबंधों की कड़े शब्दों में निंदा की है और इन्हें अमेरिका की ओर से "पूरी आर्थिक नाकेबंदी" कहा है जिसका मकसद देश और यहां के लोगों का "गला घोंटना" है. उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी में जारी बयान के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने कहा है कि "यह एक गैरकानूनी और गंदा प्रस्ताव" है जो "अमेरिका की तरफ से आया है." विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, "डीपीआरके अपनी कोशिशों को दोगुनी कर देगा ताकि देश की संप्रभुता और जीने के अधिकार की रक्षा के लिए अपनी ताकत बढ़ायी जा सके." डीपीआरके का मतलब है डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया. विदेश मंत्रालय का बयान मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के राजदूत हान तेई सोंग के बयान के अनुरूप ही है. हान ने कहा था कि उत्तर कोरिया "अंतिम उपायों को इस्तेमाल करने के लिए तैयार है. आने वाले दिनों में जो उपाय किये जायेंगे, उनसे अमेरिका को ऐसी तकलीफ होगी जो उसने अपने इतिहास में कभी अनुभव नहीं किया."

दक्षिण कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर उत्तर कोरिया के इस जवाब को "अब तक का सबसे निचले दर्जे का जवाब कहा है." इसके साथ ही दक्षिण कोरिया ने अपनी लंबी दूरी तक मार करने वाली नयी मिसाइल तौरुस का परीक्षण भी किया है. हवा से जमीन पर मार करने वाली जर्मन मिसाइल दक्षिण कोरिया से दागे जाने पर भी उत्तर कोरिया के सैन्य ठिकानो को बारीकी से निशाना बना सकती है.

Nordkorea Unabhängigkeitsfest
तस्वीर: Reuters/Kyodo

उत्तर कोरिया का कहना है कि उसे अमेरिकी सेनाओँ से अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियारों की जरूरत है और विश्लेषक मान रहे हैं कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के शासन में देश ने अपनी हथियार बनाने की क्षमता में तेजी से इजाफा किया है. हालांकि उत्तर कोरिया के ताजा परमाणु परीक्षण की क्षमता के दावों पर अलग अलग बातें कही जा रही हैं. दक्षिण कोरिया के मुताबिक इसकी क्षमता 50 किलोटन थी जबकि जापान इसे 160 किलोटन बता रहा है.

अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से जुड़ी एजेंसी 38 नॉर्थ का कहना है कि "मोटे तौर पर उसका अनुमान है कि यह 250 किलोटन" का रहा होगा. उत्तर कोरिया ने इसे हाइड्रोजन बन बताया था जो इतना छोटा है कि बड़ी आसानी से किसी मिसाइल में फिट हो सकता है. 38 नॉर्थ के मुताबिक 1945 में हिरोशिमा में जिस परमाणु बम ने तबाही मचाई थी उसकी तुलना में यह बम 16 गुना ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है.

Nordkorea Flagge
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/W. Maye-E

38 नॉर्थ के मुताबिक उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण से पहाड़ी इलाके में जो क्षति हुई है वह पिछले पांच परीक्षणों की तुलना में बहुत ज्यादा है. इसके बाद से माउंट मानताप के इलाके में बड़ी गाड़ियों की आवाजाही और खदान के उपकरणों को देखा जा रहा है जिससे पता चलता है कि भविष्य में जमीन के भीतर परीक्षण करने की और तैयारियां चल रही हैं.

इधर दक्षिण कोरिया के न्यूक्लियर सेफ्टी एंड सिक्योरिटी कमीशन ने बताया है कि उसने जेनॉन 133 के कुछ अंश जमा किये हैं. यह अक्रिय गैस का एक रेडियोएक्टिव आइसोटोप है जो प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है. दक्षिण कोरियाई वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों से जुड़ा हो सकता है.

Nordkorea Kim Jong Un bei Besuch einer Fabrik für Nuklearwaffen
तस्वीर: Reuters/KCNA

उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों और अमेरिका को सबक सिखाने की धमकियों के बीच अमेरिका के रक्षा मंत्री ने अमेरिकी परमाणु हथियारों का जायजा लिया है. बुधवार को वह अमेरिकी परमाणु हथियारों के केंद्र एयरफोर्स के मिनो अड्डे पर पहुंचे जो नॉर्थ डकोटा में है. यहां 100 से ज्यादा जमीन से जमीन पर मार करने वाली परमाणु ताकत से लैस मिसाइलों के साथ ही परमाणु बम ले जाने में सक्षम लड़ाकू विमानों का बेड़ा भी है. रक्षा मंत्री जिम मैटिस रणनीतिक कमांड से ब्यौरा भी लेंगे. यही वो कमांड है जिसका शीर्ष अधिकारी जंग में परमाणु बलों को आदेश देता है.

रक्षा मंत्री का यह दौरा उत्तर कोरिया के हाल में हुए परीक्षणों से पहले ही होना था लेकिन वायु सेना रक्षा मंत्री को अपनी परमाणु मिसाइलों और परमाणु बम गिरा कर किसी भी इलाके को तबाह करने में सक्षम बी-52 बमवर्षक विमानों की सदैव तैयार रहने वाले बेड़े का प्रदर्शन करना चाहते थे. ट्रंप प्रशासन अरबों डॉलर खर्च से अपने परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण के कार्यक्रम के लिए दबाव बनाना चाहता है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय परमाणु हथियारों पर नीति की समीक्षा करने में जुटा है लेकिन यह साफ है कि इस बारे में पहले ही फैसला कर लिया गया है. पिछले महीने ही पेंटागन ने दो अहम ठेके देकर अपने इरादे जता दिये. पहला ठेका नॉर्थरॉप ग्रुमान और बोइंग को मिला है. 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर का यह ठेका इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को और विकसित करने के लिए दिया गया है. नयी मिसाइल मिनटैमन 3 की जगह लेगी. दूसरा ठेका लॉकहीड मार्टिन और रेथियान को मिला है. 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर का यह ठेका नए परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम और हवा से मार करने वाली क्रूज मिसाइल के विकास के लिए है. अमेरिकी वायु सेना भी अगली पीढ़ी के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बमवर्षक विमान बी-21 रायडर बनाने में जुटी है जबकि अमेरिकी नौसेना परमाणु पनडुब्बियों की नई फ्लीट तैयार करने में जुटी है.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)