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हमारा ढांचा विश्वस्तर का नहीं: मनमोहन

१५ अगस्त २०१०

भारत में धूमधाम से मनाई गई आजादी की 63वीं सालगिरह. लालकिले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश को संबोधित किया. भविष्य की योजनाओं के साथ कश्मीर और माओवादी समस्या पर भी बोले मनमोहन.

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तस्वीर: AP

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किला की प्राचीर से दिए गए अपने परंपरागत संबोधन में राष्ट्रीय अस्मिता से लेकर गरीबी, आर्थिक स्थिति और सुरक्षा जैसे सभी मुद्दों को छुआ.

ढांचागत संरचना

प्रधानमंत्री ने कहा कि भौतिक संरचना आर्थिक विकास में बाधा डाल रही है. उन्होंने कहा, "उद्योग को बिजली की आपूर्ति में कमी है. हमारे रोड, बंदरगाह और एयरपोर्ट विश्व स्तर के नहीं हैं." प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार स्थिति को सुधारने के लिए अधिक कदम उठाएगी, लेकिन साथ ही निजी सेक्टर को भी इन प्रयासों में शामिल होने का आह्वान किया. "अच्छी भौतिक संरचना तैयार करने के लिए जरूरी संसाधन जुटाना अकेले सरकार के लिए मुश्किल है. इसलिए हमने निजी सेक्टर को इन प्रयासों में शामिल करने का प्रयास किया है." भारत सरकार का अनुमान है कि 12 वीं पंचवर्षीय योजना में संरचना विकास पर निवेश को बढ़ाकर 1000 अरब अमेरिकी डॉलर करना होगा.

कश्मीर

कश्मीर में जारी हिंसा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रदर्शनकारी युवाओं से कहा कि हिंसा से किसी का फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि संविधान के ढांचे में वे हिंसा का त्याग करने वालों के साथ बातचीत में आगे बढ़ना चाहते हैं. जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, "इस ढांचे के अंतर्गत हम किसी भी बातचीत में आगे बढ़ने को तैयार हैं जो शासन में आम आदमी की भागीदारी और उनके विकास को बढ़ाए." कश्मीर में हाल की हिंसा का उल्लेख करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, "हिंसा के साल अब खत्म होने चाहिए. ऐसी हिंसा से किसी का लाभ नहीं होगा."

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माओवादी हिंसा

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नक्सलवाद को आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया और व्यक्तिगत और राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर केंद्र-राज्य सहयोग के जरिए समस्या का समाधान करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि यदि नक्सली हिंसा का परित्याग कर दें तो सरकार उनके साथ बात करने को तैयार है. साथ ही उन्होंने इस पर जोर दिया कि आदिवासियों को विकास का लाभ मिलना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी सदियों से जंगल के उत्पादों पर निर्भर रहे हैं और आजीविका के नए स्रोत बनने तक इसे समाप्त नहीं किया जाना चाहिए.

विकास

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों, अनुसूचित जाति और जनजातियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और समाज के दूसरे पिछड़े वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. धर्मनिरपेक्षता को देश के लोकतंत्र का एक पाया बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार "अल्पसंख्यकों की रक्षा और उनकी विशेष जरूरतों को पूरा करने को अपना कर्तव्य" समझती है. उन्होंने कहा, "लेकिन आज इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें बहुत से नए कार्यक्रमों की जरूरत नहीं है. हमें पहले शुरू किए गए कार्यक्रमों को भ्रष्टाचार के मौकों और जनता के धन की बर्बादी को कम करते हुए प्रभावी तरीके से कार्यान्वित करना होगा."

रिपोर्ट: पीटीआई/महेश झा

संपादन: ओ सिंह

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