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हरी सब्जी खाइए, मधुमेह से बचिए

२० अगस्त २०१०

हरी पत्तेदार सब्जियां अगर रोज खाई जाएं तो मधुमेह की बीमारी से बचा जा सकता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है. हालांकि रिपोर्ट बनाने वालों का कहना है कि अभी और रिसर्च करने की जरूरत है.

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तस्वीर: picture-alliance / OKAPIA KG, Germany

दो लाख से ज्यादा लोगों पर हुए परीक्षणों के जरिए इंग्लैंड की लिसेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हरे पत्ते वाली सब्जियों और वयस्कों में होने वाले टाइप-2 मधुमेह के बीच रिश्ता कायम कर लिया. परीक्षणों में साफ है कि हरी सब्जियां खाने वाले लोगों में इस बीमारी का खतरा कम हो जाता है. अगर भोजन में एक सब्जी जरूरी मात्रा में शामिल कर लिया जाए, तो शुगर के खतरे को 14 फीसदी तक कम किया जा सकता है. हालांकि बहुत ज्यादा फल और सब्जियां खाने से ये असर खत्म हो जाता है.

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मोटापे से बढ़ता है शूगरतस्वीर: picture alliance/dpa

हरी पत्तियों में एंटीऑक्सिडेंट और मैग्नेशियम की मात्रा ज्यादा होती है लेकिन इसे पचाने के लिए ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ती है. इसी तरह के एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने चीन में मिलने वाली कुछ हरी जड़ी बूटियों के सत्व को शुगर रोकने में काफी असरदार पाया. हालांकि ये परीक्षण चूहों पर किए गए. इसका नाम है इमोडिन. यह इंसुलिन के लिए प्रतिरोधक का काम करता है. इंसुलिन हार्मोन खून में से मिठास की अधिक मात्रा को काबू में रखता है.

ये तो जगजाहिर है कि खानपान और एक्सरसाइज के जरिए इस बीमारी से बचा जा सकता है. इस पर बड़ा विवाद है कि खानपान में ऐसा क्या शामिल किया जाए जो शुगर के खतरे को खत्म कर सके. इसीलिए दुनिया में कई बड़े संस्थान इस पर रिसर्च कर रहे हैं. आम तौर पर शुगर के इलाज के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है. खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने वाली दवाइयों का किडनी पर काफी बुरा असर होता है.

टाइप-2 का मधुमेह सबसे ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाता है. ये बीमारी अमीर देशों की तरफ से विकासशील देशों की तरफ तेज़ी से बढ़ रही है. ऐसे देशों में ज्यादा मिठाई और चिकनाई वाला खानपान और आरामपसंद जीवनशैली इसकी बड़ी वजह है. इस समय दुनिया में 22 करोड़ से ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं. हर साल 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत इसके कारण से हो रही है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक जिस तरह से लोगों में मोटापा बढ़ रहा है अगले 10 सालों में ये संख्या दोगुनी हो सकती है.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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