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हरे लिबास में रूसी समर्थक कौन

२१ अप्रैल २०१४

हथियारों से लैस, चेहरे पर मास्क और एक जैसी वर्दी में चुपचाप काम करने वाले, ये वो हैं जो यूक्रेन में विद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं. सवाल ये है कि आखिर ये लोग कौन हैं.

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तस्वीर: DW/R. Goncharenko

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मुताबिक यूक्रेन सरकार के विद्रोहियों का समर्थन करने वाले ये लोग एलीट रूसी सेना के सदस्य कतई नहीं हैं. तो आखिर में सवाल ये है कि पूर्वी यूक्रेन में तैनात ये लोग कौन हैं. यहां बहुत से लोगों ने इनका उपनाम "लिटिल ग्रीन मेन" रखा है. कीव और पश्चिम के समर्थकों को लगता है कि तेज गति से काम करने और टीम गठन में माहिर ये लोग निश्चित रूप से रूसी कमांडो हैं और मॉस्को की तरफ से संकट पैदा करने के लिए भेजे गए हैं. क्रीमिया में भी पिछले महीने जिन लोगों ने सरकारी इमारतों पर कब्जा किया था वे भी इन्हीं की तरह दिखते थे.

यूक्रेन के पूर्वी इलाकों के 10 शहरों में विद्रोहियों ने सरकारी इमारतों को अपने कब्जे में ले रखा है. ये लड़ाके अन्य लोगों से कम या ना के बराबर बात करते हैं. वे सेना जैसी लगने वाली वर्दी पहनते हैं, चेहरे पर काले स्की मास्क लगाते हैं, पैरों में स्पोर्ट्स शो पहनते हैं और बुलेट प्रूफ जैकेट का इस्तेमाल करते हैं.

बुधवार को जब यूक्रेनी सेना ने विद्रोहियों से सामना करने के लिए बख्तरबंद टुकड़ी भेजी थी तब गुस्साए स्थानीय लोगों उन्हें रोक दिया. इस दौरान "लिटिल ग्रीन मेन" तुरंत हरकत में आ गए.

इन लड़ाकों ने बिना देरी किए छह बख्तरबंद गाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया. उसके बाद उन गाड़ियों को वे स्लावियांस्क ले गए. उसी दिन एक और बख्तरबंद टुकड़ी को भीड़ ने रोक लिया. हथियार सौंपने के बाद यूक्रेन के सैनिकों को वहां से जाने दिया गया. यहां भी खास तरह के जवान हरकत में नजर आए.

विशेषज्ञ पर्यवेक्षकों की नजरों में रहस्यमय लड़ाकों की तस्वीर साफ हो चुकी है. नाटो के सैन्य कमांडर अमेरिकी जनरल फिलिप ब्रीडलव ने अपने ब्लॉग में लिखा कि क्यों उन्हें और अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के नेताओं को लगता है कि ये लड़ाके केवल विशेष रूसी फोर्स के सदस्य हो सकते हैं.

उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि उनकी "सैन्य प्रशिक्षण, उपकरण और टीम की रणनीति, उनका राइफल को संभालने का अंदाज एकदम पेशेवर सैनिकों जैसा है. जब वे लड़ाई की मुद्रा में नहीं होते हैं तो राइफल की नोंक नीचे की तरफ होती है और उंगली ट्रिगर से हटी होती है."

वे आगे लिखते हैं कि यूक्रेनी इमारतों पर कब्जे के दौरान जिस तरह से उन्होंने आंसू गैस के गोलों और ग्रेनेड का इस्तेमाल किया वह मिलिशिया के लड़ाके नहीं कर सकते. उनका कहना है, "आखिरकार, जो हथियार और उपकरण वे इस्तेमाल करते हैं वह मुख्यतया रूसी सेना के इस्तेमाल के लिए हैं. यह उस तरह के उपकरण नहीं हैं जो आम नागरिकों को इतनी बड़ी मात्रा में मिल सकें."

कीव में सैनिक विशेषज्ञ ओलेक्सी मेलनिक कहते हैं, "ये ग्रीन मेन उसी तरह से दिखते हैं जो क्रीमिया में काम कर रहे थे. और एक बार फिर व्लादिमीर पुतिन इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि वे रूसी हैं."

पुतिन लंबे अर्से से इस बात से इनकार करते आए हैं कि रूसी सैनिक क्रीमिया में तैनात किए गए थे. लेकिन गुरुवार को उन्होंने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि रूसी सैनिकों की टुकड़ी वहां मौजूद थी जो क्रीमिया आत्म रक्षा बल के पीछे खड़ी थी. उनका मिशन स्थानीय नागरिकों की रक्षा करना था.

एए/एएम (एएफपी)