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हर चौथे भारतीय को है घर छिन जाने का डर: सर्वे

७ दिसम्बर २०१६

भारत में जिन लोगों के पास अपना घर है, उनमें से एक चौथाई को यह डर सता रहा है कि उनका घर छिन जाएगा. ग्रामीण इलाकों में जमीन रखने वाले 20 फीसदी लोग ऐसे ही डर में जी रहे हैं.

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Mumbai Indien Regional Zug
तस्वीर: dapd

इसका कारण है उनके पास जरूरी दस्तावेज का ना होना. अमेरिकी सर्वेक्षण संस्था गैलप ने एक अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की कि अपने घर और जमीनों को लेकर लोग कितना सुरक्षित महसूस करते हैं. छह महीने तक चला यह सर्वेक्षण अपनी तरह का दुनिया का पहला अध्ययन है.

सर्वे में पता चला कि हर 10 में छह लोगों के पास अपना घर था जबकि एक तिहाई लोग अपने किसी परिजन के घर में रह रहे थे. घर के मालिकाना हक की तादाद बड़ी होने के बावजूद बहुत से लोग इस डर में जी रहे हैं कि उनसे उनका घर छिन सकता है. सर्वे में पता चला कि एक चौथाई मकान मालिक और लगभग आधे किरायेदार इस डर में जीते हैं. भारत में जितने दीवानी मुकदमे अदालतों में चल रहे हैं उनके लगभग दो तिहाई संपत्ति विवाद के ही हैं.

देखिए, ऐसे होंगे भविष्य के गांव

घर छिन जाने के खतरे में सबसे ज्यादा शहरी गरीब हैं क्योंकि एक तो उन्हें अपने अधिकारों का नहीं पता है, दूसरे उन्हें उस जगह से बेदखल किया जा सकता है जहां वे रह रहे हैं क्योंकि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है. सर्वे में उजागर हुआ कि इस डर में जी रहे लोगों में स्वास्थ्य समस्याएं भी ज्यादा होती हैं. सर्वे में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर लोगों ने कहा कि डर की सबसे बड़ी वजह है दस्तावेजों का ना होना. डर की दूसरी सबसे बड़ी वजह किसी परिजन के साथ संपत्ति को लेकर चल रहा विवाद था.

भारत एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है. बड़ी संख्या में लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. 2016 में शहरों में 37.7 करोड़ रह रहे हैं. 2030 तक यह आबादी 60 करोड़ तक बढ़ सकती है. और तब संपत्ति के अधिकार की लड़ाई भी बढ़ेगी.

सोचिए, शहर समाधान हैं या परेशानी

इस सर्वे के लिए गैलप ने ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल समेत कुल 14 राज्यों में 14 हजार लोगों से बात की. इनमें ऐसे पुरूष और महिलाएं हैं जिनके पास अपने घर हैं या जो किराये पर रहते हैं. इसी तरह का सर्वे अगले एक साल के भीतर नौ और देशों में किया जाएगा.

रिपोर्ट में पता चला है कि संपत्ति के अधिकार को लेकर महिला और पुरूष के बीच अंतर बहुत ज्यादा है. महिलाओं के पास मालिकाना हक बहुत कम हैं. हालांकि इस हक को लेकर पुरूष और महिलाएं दोनों ही बराबर परेशान रहते हैं. मकान मालिकों के मुकाबले घर खो देने का डर किरायेदारों में दोगुना पाया गया. ऐसा इसलिए भी है कि मकान मालिक किरायेदारों के साथ कम अवधि के करारनामे करते हैं. शहरों में घर खो देने का डर ग्रामीण इलाकों से थोड़ा ज्यादा है. शहरों में 30 फीसदी लोगों ने हां कहा जबकि गांवों में 26 फीसदी ने.

वीके/एके (रॉयटर्स)