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हर भुलक्कड़ी अल्जाइमर नहीं

२९ अगस्त २०१३

लोगों में भूलने की बीमारी के कारणों को ढूंढ रहे वैज्ञानिकों को एक तगड़ा संकेत हासिल हुआ है. इसके आधार पर वो एक दिन बता सकेंगे कि कार की चाबियां भूलने जैसी आदतें अल्जाइमर की चेतावनी हैं या नहीं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट इस बात के सबूत देती है कि उम्र के साथ भूलने की समस्या अल्जाइमर की पूर्व स्थिति हो सकती है. इसके साथ ही इस बात के भी संकेत हैं कि बढ़ती उम्र की सामान्य भुलक्कड़ी का आखिरकार इलाज हो सकेगा. न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने युवा और वृद्ध दिमागों पर रिसर्च किया है. यह दिमाग उन लोगों के हैं जिन्होंने मौत के बाद इसे दान किया था और जिनमें तंत्रिका तंत्र से जुड़ी कोई बीमारी नहीं थी.

रिसर्चरों ने एक जीन का पता लगाया है जो बूढ़े लोगों में ठीक से काम करना बंद कर देता है. यह जीन हिप्पोकैम्पस यानी दिमाग के याददाश्त वाले केंद्र का खास हिस्सा है. इस दौरान जीन एक जरूरी प्रोटीन की कम मात्रा पैदा करती है. दिमाग के इस हिस्से को डेनटेटे गायरस कहते हैं और लंबे समय से यह बुजुर्गों के मामले में संदेह के घेरे में था. खास बात यह है कि यह तंत्रिकाओं में उस जगह का पड़ोसी है जहां से अल्जाइमर बनना शुरू होती है. (नाच नाच कर भगाइए अल्जाइमर)

इस बात के कुछ सबूत हैं कि आरबीएपी48 नाम के प्रोटीन की कमी बूढ़े लोगों में याददाश्त को प्रभावित करती है. रिसर्च करने वालों ने इसके लिए चूहों पर ध्यान लगाया. चूहों में भी बुढ़ापे के साथ ठीक वैसे ही भूलने की समस्या होती है जैसी इंसानों में. प्रयोग के दौरान इस प्रोटीन की कमी ने चूहों को मक्के तक पहुंचने के रास्ते से भटका दिया इसके अलावा आमतौर पर याददाश्त से जुड़े जो काम चूहे आसानी से कर लेते हैं, उसमें तो उन्होंने और बुरा प्रदर्शन किया.

Futurando 29 Alzheimer
तस्वीर: DW

इस दौरान यह भी पता चला कि इस प्रोटीन की कमी से होने वाला नुकसान वापस लौटाया जा सकता है. प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने से बूढ़े चूहे दोबारा जवान चूहों जितने तेज दिमाग वाले हो गए. साइंस जर्नल ट्रांसलेशनल मेडिसिन को रिसर्चरों ने इस बारे में रिपोर्ट दी है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी की टीम का नेतृत्व करने वाले नोबेल विजेता डॉ एरिक कैंडल का कहना है, "अब तक का सबसे बेहतरीन सबूत है," उम्र के साथ भूलने की समस्या अल्जाइमर की शुरुआत जैसी नहीं रही.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग की डॉ मॉली वैग्स्टर इस रिसर्च से नहीं जुड़ी हैं, लेकिन उन्होंने इसके बारे सावधान किया है कि अभी यह रिसर्च का शुरूआती दौर है जिसकी पुष्टि करने में कई साल लगेंगे. वैग्स्टर का कहना है कि रिपोर्ट से इस बात के कुछ और सबूत मिल गए हैं कि एक निश्चित उम्र पार करने के बाद "हम सब लोग अल्जाइमर की तरफ नहीं बढ़ते हैं." उदाहरण के लिए कुछ दूसरे रिसर्चरों ने यह पता लगाया था कि सामान्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ दिमाग के दूसरे हिस्से में न्यूरॉन्स का संपर्क कमजोर पड़ जाता है, जिसकी वजह से याददाश्त को वापस लाना मुश्किल हो जाता है हालांकि असंभव नहीं. उसके उलट अल्जाइमर न्यूरॉन्स को खत्म कर देता है.

एनआर/एमजे(एपी)

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