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हर सीरियाई शरणार्थी नहीं

१३ सितम्बर २०१५

सीरिया से यूरोप पहुंचने वाला हर व्यक्ति शरणार्थी नहीं होता. कई सीरियाई जर्मनी में यूनिवर्सिटी की पढ़ाई करने के लिए भी आते हैं. आज से नहीं, कई सालों से. और अब ये वापस जा कर कुछ बदलना चाहते हैं.

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Syrien Kobane Zerstörung Ruinen
तस्वीर: DW/Kamal Sheikho

यजान अतासी और अल नेईमी खलीफा, इन दोनों में कई समानताएं हैं. ये दोनों ही 20 साल के हैं, दोनों अरब दुनिया से नाता रखते हैं और दोनों ही जर्मनी के शहर ड्रेसडेन में यूनिवर्सिटी की पढ़ाई करने के लिए पहुंचे हैं. लेकिन एक बड़ा फर्क है. यजान युद्धग्रस्त सीरिया से है, जबकि नेईमी समृद्ध कतर से. ऐसा नहीं कि एल्बे नदी पर बसे इस शहर की खूबसूरती ने इन दोनों को अपनी ओर खींचा हो. यहां आने का बस एक ही मकसद है, पढ़ाई.

यजान पिछले एक साल से नैनो टेक्नॉलॉजी के विषय में स्नातक डिग्री की पढ़ाई कर रहा है, तो नेईमी ने तीन महीने पहले ही ड्रेसडेन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में दाखिल लिया है. पढ़ाई में इन्हें मजा आ रहा है. पर कुछ परेशान करने वाले तत्व भी हैं. इस्लाम के खिलाफ पेगीडा का मोर्चा सैक्सनी राज्य की राजधानी ड्रेसडेन में ही शुरू हुआ. कई हफ्तों तक इन दोनों ने हर सोमवार होने वाले प्रदर्शनों को देखा. लेकिन यजान कहता है, "मुझे बिलकुल भी डर नहीं लगा. मैंने तो सीरिया में चल रही लड़ाई देखी है."

भाषा और समेकन पर ध्यान

जर्मन अकैडमिक एक्सचेंज डीएएडी के अनुसार 2013-14 के सत्र में सैक्सनी के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अरब दुनिया से करीब 740 छात्रों ने दाखिला लिया. इनमें 20 प्रतिशत सीरियाई थे. लेकिन कई बार इन देशों से आ रहे छात्रों के सर्टिफिकेट को जर्मनी में मान्यता नहीं मिलती. ऐसे में स्टूडेंट जर्मनी आ कर एक साल का कोर्स करते हैं और यहां स्कूल की परीक्षा भी देते हैं, ताकि उसके बाद वे यूनिवर्सिटी में भर्ती हो सकें. इन दोनों के साथ भी ऐसा ही हुआ. इस कोर्स में ना केवल सुनिश्चित किया जाता है कि स्कूली शिक्षा का स्तर जर्मनी के बराबर हो, बल्कि समेकन पर भी ध्यान दिया जाता है. जर्मन भाषा की क्लास होती है. यहां के रहन सहन, तौर तरीकों और समाज के बारे में भी जानकारी दी जाती है.

ऐसा ही एक कोर्स कराने वाले टीचर हैं धाफेर खलीफा. वे 21 साल पहले ट्यूनीशिया से जर्मनी आए थे और अब यहां के नागरिक हैं. पिछले आठ साल से वे विदेशी छात्रों को पढ़ा रहे हैं, "मैं उनके लिए बड़े भाई जैसा हूं." खलीफा बताते हैं कि जब वे जर्मनी आए थे, तो मदद करने वाला कोई नहीं था, इसलिए उन्हें यहां आने वालों से काफी जुड़ाव है और कई बार वे कोर्स की सीमाओं से बाहर जा कर भी छात्रों की मदद करते हैं.

सेमेस्टर की फीस 2,000 यूरो

इन छात्रों की पढ़ाई मुफ्त नहीं है. सैक्सनी में रिफ्यूजी काउंसिल की एक प्रवक्ता बताती हैं, "स्टूडेंट वीजा प्राप्त करने के लिए आर्थिक स्थिति का प्रमाण दिखाना अनिवार्य है." एक सेमेस्टर की फीस करीब 2,000 यूरो है. यजान के पिता सीरिया के उद्योगपति और विपक्ष के नेता थे. लेकिन युद्ध के कारण कारोबार खत्म हो गया. पिता अब तुर्की में रह रहे हैं और वहीं से किसी तरह पैसे भिजवा रहे हैं. अपना खर्च चलाने के लिए यजान पार्ट टाइम नौकरी करता है.

नेईमी की बात और है. उसके पिता कतर में हैं, पैसे की कोई कमी नहीं है. नेईमी बताता है, "कतर के पास तेल है और पैसा है. लेकिन मैं चाहता हूं कि यहां रह कर नई चीजें सीख सकूं. सिर्फ राजनीति की क्लास में ही नहीं, बल्कि यहां के लोगों से भी." यजान भी यहां से कुछ ले जाना चाहता है, "मैं जानना चाहता हूं कि लोगों को एक साथ शांति से जीवन बिताने के लिए क्या क्या करने की जरूरत पड़ती है."

आईबी/आरआर (डीपीए)