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हापाग लॉयड के जहाज चीन में टूटेंगे

११ अगस्त २०१४

भारत, बांग्लादेश या पाकिस्तान के किसी तट जहाजों को तोड़ने का काम होता है, अक्सर कम पैसे देकर, पर्यावरण और सुरक्षा को ताक पर रख कर. अब जर्मनी की हापाग लॉयड कंपनी अपने जहाज इन देशों में तोड़ने के लिए नहीं भेजना चाहती.

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ChicagoExpress
तस्वीर: Hapag-Lloyd AG/Foto: Heinz-Joachim Hettchen

जहाज निर्माता कंपनी हापाग लॉयड अपने पुराने, खराब हो चुके जहाजों को सेकंड हैंड मार्केट में नहीं बेचेगी बल्कि खुद पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इन्हें तुड़वाने का काम करेगी. इससे जुड़ा फैसला कंपनी के मैनेजिंग बोर्ड ने ले लिया है. हैम्बर्ग की कंपनी ने तय किया है कि उनके पुराने जहाज कई साल चलने के बाद संदिग्ध पर्यावरण और सामाजिक स्थितियों वाले भारत, पाकिस्तान या बांग्लादेश के तटों पर नहीं पहुंचेंगे.

जहरीले पदार्थ

हर साल एक हजार से ज्यादा कार्गो जहाज एक एक करके तोड़े जाते हैं और इसके हर कल पुर्जे को अलग किया जाता है, वह भी भारत में. इन जहाजों में एस्बेस्टस, सीसा, भारी धातु और कई तरह के बीमार करने वाले केमिकल होते हैं. शिप ब्रेकिंग प्लेटफॉर्म नाम के संगठन के मुताबिक भारत में इन जहरीली जगहों पर काम करने वालों में अधिकतर सिर्फ 15 साल के हैं और आए दिन गंभीर दुर्घटनाएं यहां होती हैं.

हापाग लॉयड के प्रवक्ता ने कहा कि उनकी कंपनी इस तरह के हालात को बढ़ावा नहीं देना चाहती. शिपब्रेकिंग प्लेटफॉर्म की प्रमुख पाट्रित्सिया हाइडेगर ने बताया, "हम हापाग लॉयड के इस कदम का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि दूसरी जहाज निर्माता कंपनियां इससे प्रेरणा लेंगी." उनके मुताबिक यूरोप की तीन बड़ी कंपनियों में से एक डेनमार्क की कंपनी मैर्स्क है जो यूरोपीय मानकों के हिसाब से जहाज तोड़ती है.

जहाजों की कीमत गिरी

अभी तक हापाग कंपनी पुराने जहाज किसी और कंपनी को बेच देती थी और काफी पैसे कमाती थी. ये जहाज आगे भी चलाए जाते. लेकिन कंपनी के प्रवक्ता ने बताया, "हमने पाया कि पिछले सालों में नए मालिक बहुत जल्दी इन जहाजों को तोड़ने के लिए भेज देते थे." हाल के दिनों में जहाजों के ठेके कम हुए हैं और सेकंड हैंड जहाजों की कीमत बहुत गिरी है. ऐसे में कंपनी ने यूरोप में ही जहाज तोड़ने का फैसला किया.

पिछले साल पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में 655 जहाजों को तोड़ा गया. लंदन के शिप एजेंट कंपनी ईए गिब्सन के मुताबिक एक टन पुराना इस्पात इन देशों में 455 से 470 डॉलर तक बिका. यानि एक छोटे कंटेनर जहाज के लिए कुल कीमत 26 से 27 लाख डॉलर. वहीं चीन में ये जहाज निगरानी में तोड़े जाते हैं और वहां पुराने इस्पात की कीमत कीमत 308 डॉलर प्रति टन मिलती है.

जहाज खुद तुड़वाना

हापाग लॉयड का न्यू ऑरलीन्स एक्सप्रेस नाम का जहाज चीन के शिपयार्ड पर तोड़ा जाएगा. यह जहाज 1989 का बना है, 240 मीटर लंबा है. इस पर 13,000 कंटेनर एक साथ ले जाए जा सकते हैं. इसमें 14,000 टन इस्पात है. सामान्य तौर पर तोड़ने के लिए जहाज को बेच दिया जाता है जबकि चीन में कंपनी खुद ही जहाज तुड़वा सकती है. हालांकि इसमें कंपनी को करीब 20 लाख डॉलर का नुकसान है.

यह जर्मनी की इकलौती कंपनी है जिसने ये कदम उठाया है. 2009 में अंतरराष्ट्रीय जहाज संगठन आईएमओ ने हॉन्गकॉन्ग समझौता किया था ताकि दुनिया भर में पर्यावरण सुरक्षा और जहाजों की रिसाइक्लिंग के मानक तय किए गए. लेकिन नॉर्वे से कांगो, फ्रांस और जर्मनी तक किसी देश ने इस समझौते को मंजूर नहीं किया है.

एएम/एमजे (डीपीए)