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हिंसा के बीच केन्या चुनाव

४ मार्च २०१३

पिछली बार भारी हिंसा में हुआ केन्या का आम चुनाव इस बार भी हिंसा के साथ शुरू हुआ. पूरे देश में भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. शुरुआती हिंसा में करीब 15 लोगों के मारे जाने की खबर है.

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तस्वीर: Reuters

मोम्बासा शहर से हिंसा की खबर है. तटीय प्रांत के पुलिस प्रमुख आग्रे अदोली का कहना है कि एक अलगाववादी ग्रुप ने इस हमले को अंजाम दिया, ताकि चुनाव में बाधा पहुंचाई जा सके. अधिकारियों का कहना है कि लगभग 200 लोग जमा हुए, जिन्होंने सेना की वर्दी पहन रखी थी. इनके हमले में छह सुरक्षाकर्मी भी मारे गए हैं.

हमला मतदान शुरू होने से ठीक पहले किया गया. मोम्बासा में चुनावों के मद्देनजर 400 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. पूरे देश में एक लाख सुरक्षाबलों की तैनाती के बीच केन्या में चुनाव हो रहे हैं.

प्रधानमंत्री रायला ओडिंगा और उनके उप प्रमुख उहुरू केन्याटा इन चुनावों में सबसे आगे बताए जा रहे हैं, राष्ट्रपति म्बाई किबाकी दो बार का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और संविधान के तहत तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते हैं.

केन्याटा और उप राष्ट्रपति पद के लिए उनके साथी विलियम रूटो पर आरोप है कि उन्होंने पिछले चुनाव के बाद जातीय आधार पर लोगों की हत्या में अहम रोल अदा किया. अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत भी उन्हें दोषी मानता है. पिछली बार के चुनाव के बाद की हिंसा में 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. बाद में दो पक्षों के बीच सत्ता का बंटवारा हुआ था.

केन्या के संस्थापक जोमो केन्या के बेटे केन्याटा को मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में भी पेश होना है. देश में राष्ट्रपति, संसद और स्थानीय अधिकारियों के चुनाव के लिए वोटिंग हो रही हैं, जिसमें लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को वोट देने हैं.

लोगों में मताधिकार का इतना उत्साह है कि वे तड़के तीन बजे से ही लाइन लगा कर वोटिंग का इंतजार करने लगे. बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से लाइन लगी थी. वोटिंग में अनियमितता के भी आरोप लगे हैं. यूरोपीय संघ और अमेरिकी कार्टर सेंटर ने भी ऐसे आरोप लगाए हैं. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि अगर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की नजर में दोषियों को उच्च पद पर चुना जाता है, तो इसके खराब नतीजे निकल सकते हैं.

केन्या में भारी बेरोजगारी, अथाह गरीबी और मुश्किल ढांचागत समस्याएं हैं. यहां की आबादी करीब साढ़े चार करोड़ है. अगर इन चुनावों में राष्ट्रपति पद का कोई विजेता नहीं मिलता, तो अप्रैल में दूसरे दौर की वोटिंग होगी.

एजेए/एएम (रॉयटर्स, एएफपी)