1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हिजड़े बनेंगे बॉडीगार्ड

९ मई २०१०

पिछले कुछ सालों से भारत में पहली बार हिजड़ों की सामाजिक स्थिति के बारे में चर्चा शुरू हुई है. उनके समुदाय की ओर से भी पहल की जा रही है. अब प्रस्ताव आया है बॉडीगार्ड के रूप में उनके इस्तेमाल का.

https://p.dw.com/p/NJoG
तस्वीर: AP

यह प्रस्ताव एक मंत्री की ओर से आया है. अरुणाचल प्रदेश के गृहमंत्री टाको डाबी का कहना है कि हिजड़े बहुत ईमानदार होते हैं, इसलिए वीआईपी लोगों की सुरक्षा के लिए उनका एक रेजिमेंट बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि मुग़ल दौर में भी बादशाह शाहजहां महल की सुरक्षा के लिए उन्हें नियुक्त करते थे, क्योंकि उन्हें हिजड़ों की ईमानदारी पर भरोसा था.

सिर्फ़ शाहजहां नहीं, बहुतेरे बादशाह और सुलतान हरम की सुरक्षा के लिए हिजड़ों का इस्तेमाल करते थे. यह परंपरा तुर्की व मध्य पूर्व के दूसरे देशों से चली आई है. दरबार के आस-पास ख़्वाजाओं की पूरी फ़ौज होती थी. लेकिन ईमानदार उन्हें इसलिए माना जाता था, क्योंकि सुलतान या बादशाह की राय में पुरुष न होने के कारण हरम की महिलाओं को इन हिजड़ों से कोई ख़तरा नहीं था. हरम की प्रथा ख़त्म होने के बाद हिजड़ों की उपयोगिता इस सिलसिले में ख़त्म हो गई.

बहरहाल, अरुणाचल के गृहमंत्री टाको डाबी ने कहा है कि उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम को इस आशय का एक पत्र भेजा है, और उन्हें इस पत्र के प्राप्त होने की सूचना भी मिल चुकी है. लेकिन पिछले हफ़्ते जब चिदंबरम ने अरुणाचल की यात्रा की थी, तो उन्होंने इस मसले को नहीं उठाया था.

गृहमंत्री डाबी इससे पहले पुलिस के सिपाहियों के लिए ड्यूटी के दौरान शराब पीने की वकालत कर चुके हैं. उनका कहना था कि ड्यूटी के दौरान शराब पीने से उन्हें ताकत मिलेगी. इसके अलावा अपराधियों को पकड़ने के लिए एकबार वे एक स्कूटर पर रात बिता चुके हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एम गोपालकृष्णन