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हॉलीवुड में गाने की तमन्ना नहीं: कैलाश खेर

२२ अगस्त २०१०

अल्लाह के बंदे, बम लहरी और या रब्बा जैसे गानों के साथ हिंदी गानों को एक नई आवाज और पहचान देने वाले कैलाश खेर लोकप्रियता के शिखर पर हैं. हॉलीवुड से गानों की पेशकश होने के बावजूद कैलाश की वहां गाने की इच्छा नहीं है.

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तस्वीर: AP

अमेरिका के टूर से वापस आने के बाद कैलाश खेर का कहना है कि वैसे तो पश्चिमी देशों में लोग उन भारतीय कलाकारों को सुनना चाहते हैं जिनकी आवाज अलग तरह की है, इसके बावजूद उनकी आवाज हॉलीवुड के लिए फिट नहीं बैठती. "सांता मोनिका पियर पर ट्वाइलाइट डांस सीरिज में गाना बिलकुल अलग अनुभव रहा क्योंकि ऐसे में आप नए श्रोताओं से रूबरू होते हैं. जब मैंने बम लहरी गाना गाया तो लोग नाचने लगे. कॉन्सर्ट इतनी बढ़िया रही कि मुझे वहां फिल्मों में गाने के प्रस्ताव मिले हैं."

लेकिन कैलाश खेर ने विनम्रतापूर्वक हॉलीवुड से मिल रहे प्रस्तावों को मना कर दिया है. "अगर मैं कोई हॉलीवुड प्रोजेक्ट पर काम करता हूं तो वह बहुत अच्छा होना चाहिए, मेरे समय का सदुपयोग होना चाहिए. सिर्फ भारतीय संगीत के घिसेपिटे आइडिए पर काम नहीं होना चाहिए. लेकिन मुझे जो प्रस्ताव मिले वे सब ऐसे ही थे."

Tanzender Derwisch in Ägypten
तस्वीर: AP

कैलाश खेर के मुताबिक उनके पास हॉलीवुड की तुलना में बेहतर योजनाएं हैं. कैलाश का कहना है कि उन्होंने अल्लाह के बंदे फिल्म के लिए एक गाने में संगीत दिया है और उसे गाया भी है. इसके अलावा वह एक अल्बम के लिए भी काम कर रहे हैं और यही उनकी प्राथमिकता है. कैलाश भारतीय प्रशंसकों को बेहद अहम मानते हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कुतुब फेस्टिवल में उनकी कॉन्सर्ट होगी.

शास्त्रीय संगीत में कैलाश की शिक्षादीक्षा तभी शुरू हो गई थी जब वह आठ साल के थे लेकिन उन पर सबसे ज्यादा प्रभाव पारंपरिक लोक संगीत का है जिसे उनके पिता गाया करते थे. संगीत की दुनिया में नाम कमाने से पहले कैलाश ने व्यापार में अपना हाथ आजमाना चाहा लेकिन विफल रहे. इसके बाद 2001 में उन्होंने संगीत को प्राथमिकता बनाते हुए मुंबई का रास्ता अपना लिया.

मुंबई में कैलाश रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर रहे. पहला ब्रेक उन्हें तब मिला जब विज्ञापन के लिए उनकी आवाज का इस्तेमाल हुआ. कैलाश खेर को इसके बाद सफलताएं मिलती चली गईं और हिंदी सिनेमा में उनकी आवाज एक अलग पहचान बन गई.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम