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हाथी के खिलाफ मौत का वारंट

११ अगस्त २०१७

भारत में वन्य अधिकारी और शिकारी एक हाथी को मारने के लिए निकल पड़े हैं, जिसने बीते एक महीने से तबाही मचा रखी है और अब तक 15 लोगों की जान ले चुका है.

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Indien - Elefant - Stadt
फाइलतस्वीर: Getty Images/AFP/Diptendu Dutta

वन प्रशासन ने गुरुवार को इस हाथी की मौत के वारंट पर दस्तखत कर दिये हैं. पड़ोसी देश नेपाल की सीमा पार कर बिहार और फिर वहां से झारखंड पहुंचे इस हाथी ने बीते कुछ महीनों में भारी तबाही मचायी है. हाथी मार्च में बिहार आया और चार लोग इसके शिकार बने. इसके बाद यह झारखंड पहुंचा जहां इसने 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. झारखंड के मुख्य वन और वन्यजीव संरक्षक लाल रत्नाकर सिंह ने शुक्रवार को कहा, "हाथी ने यहां के लोगों के दिल में दहशत भर दी है. कई छोटे गांव और पहाड़ी बस्तियों से लोग भाग गये हैं. बीते चार दिनों में ही इसने दो लोगों को मारा है."

रत्नाकर सिंह ने समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में कहा, "छह कुशल शिकारियों के साथ कुल 50 लोगों की टीमें बनायी गयी है और ये लोग हाथी के जाने के रास्तों पर उसकी खोज कर रहे हैं. कल रात को भी हाथी नजर आया था इसलिए जल्दी ही उसे ढूंढ निकाला जायेगा."

इंसान और जंगल की लड़ाई में हर रोज गयी एक जान

कुछ दिन पहले वन विभाग ने हाथी को जिंदा पकड़ने की कोशिश से इनकार किया था. रत्नाकर सिंह का कहना था कि हाथी को बेहोश करना उसके उग्र स्वभाव को देखते हुए खतरनाक है. इसके अलावा घने जंगल में विजिबिलिटी की भी समस्या रहती है. उनका कहना था कि बेहोश करने की कोशिश में हाथी सूई लगने के बाद ज्यादा उग्र हो सकता है और ऐसे में वह अंधाधुंध नुकसान पहुंचाएगा. इस प्रक्रिया में और ज्यादा लोगों की जान जा सकती है. उनका कहना था कि बेहोश करने वाली दवा पूरी तरह से असर करने में 30 मिनट का समय लेती है.

भारत में हाथियों और दूसरे जंगली जानवरों के हमले बीते कुछ सालों में बहुत आम हो गये हैं. सरकारी आंकड़ों में भी हर साल 300 से ज्यादा लोगों के हाथियो का शिकार बनने की बात कही जाती है. बहुत सारे हाथी भोजन की तलाश में गांवों और खेतों में घुस आते हैं और खेतों को तबाह कर देते हैं. नाराज गांव के लोग इन हाथियों को अकसर मार देते हैं.

एनआर/एके (डीपीए)