1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

2009 में सबसे ज़्यादा भारतीय बने ब्रिटिश नागरिक

२९ मई २०१०

ब्रिटेन की नई सरकार के नए उद्देश्यों में एक है वहां यूरोपीय देशों के बाहर से आने वाले लोगों की संख्या घटाना. ताज़ा आंकड़े कहते हैं कि 2009 में ब्रिटेन की नागरिकता लेने वालों में भारतीयों की संख्या सबसे ज़्यादा रही.

https://p.dw.com/p/NcTY
तस्वीर: AP

जब ये आंकड़े सामने आए तो ब्रिटेन के आप्रवास मंत्री दामियान ग्रीन ने कहा, "इन आंकडों से पता चलता है कि नई सरकार के सामने आप्रवास से जुड़ी कितनी बड़ी चुनौती है. अब ये हमारा कर्तव्य है कि हम ब्रिटेन के फायदे के लिए आप्रवास को नियंत्रित करें और यह करने का मेरा पक्का इरादा है."

भारत पाक बांग्लादेश

2009 में जिन विदेशी नागरिकों ने ब्रिटेन की नागरिकता ली उनमें भारतीय का नाम सबसे ऊपर है. पिछले साल 26 हज़ार 535 भारतीय ब्रिटेन के नागरिक बने. दूसरे नंबर पर भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान है जहां के 20 हज़ार 945 लोगों ने ब्रिटेन की नागरिकता ली. बांग्लादेश इस सूची में तीसरे नंबर पर है जहां के 12 हज़ार 40 लोगों को ब्रिटेन की नागरिकता मिली.

Indian Institute of Technology Indisches Institut für Technologie in Bombay
लंदन ड्रीम मुश्किलतस्वीर: picture-alliance / dpa

इस आकंड़ों से ब्रिटेन की नई सरकार को परेशानी हो रही है. ब्रिटेन के आप्रवास मंत्री ग्रीन का कहना है, "मुझे लगता है हाल के दिनों में विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा हुई है इसलिए हम आप्रवास औसतन कम करेंगे और इसे 90 के दशकों के स्तर पर लाएंगे जहां कुछ सौ लोग ब्रिटेन आते थे न कि कुछ हज़ार."

उपाय जल्द ही

ग्रीन ने घोषणा की कि "आने वाले सप्ताहों और महीनों में जनता देखेगी कि हम इस मुद्दे को सुलझाएंगे और आप्रवास नियंत्रित हो इसके लिए कई उपाय करेंगे, जिसमें वर्क परमिट से लेकर शादी के कारण आने वाले लोगों और आने वाले छात्रों के आवेदनों की कड़ी जांच की जाएगी."

नई सरकार ने अपने उद्देश्यों के तहत घोषणा की थी कि वह यूरोपीय संघ के बाहर से आने वाले लोगों की संख्या में कटौती करेगी और ये उसकी एक प्राथमिकता है. ज़ाहिर है इसकी गाज भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों पर ही सबसे ज़्यादा पड़ेगी. हालांकि उद्योग जगत का कहना है कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि वे फिर हुनरमंद लोगों को नौकरी के लिए नहीं बुला सकेंगे.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह