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21वीं सदी के अनोखे भिखारी

२८ जनवरी २०११

उनमें से एक कंप्यूटर वैज्ञानिक है और दूसरे सौर ऊर्जा के विशेषज्ञ. अब अपना पेशा और घर-बार छोड़कर वे सड़क पर हैं, घुमंतू भिखारी बन गए हैं. लेकिन वे "21वीं सदी के भिखारी" हैं, जिनकी अपनी वेबसाइट है.

https://p.dw.com/p/106iz
तस्वीर: AP

लिंडन ओवेन और खोसे मानुएल कालवो जब सड़क पर बैठकर भीख मांगते हैं, तो वे दूसरे भिखारियों की तरह ही दिखते हैं. लेकिन ध्यान से देखने पर पता चलता है कि उनके सामने चार डिब्बे हैं और उन पर लिखा है "बीयर के लिए", "वाइन के लिए", "व्हिस्की के लिए" और "बिल्ली के लिए". सामने से गुजरते राहगीर ठहर जाते हैं, हंसते हैं. खोसे मानुएल उनसे कहते हैं, "कम से कम हम ईमानदार तो हैं, और आपकी मुस्कान की कीमत क्या एक यूरो भी नहीं है?" लगता है कि लोग मान जाते हैं, क्योंकि डिब्बे में पैसे खनकते हैं. शालीनता के साथ धन्यवाद देते हुए खोसे उनसे कहते हैं, हमारा वेबसाइट देखिएगा, पता है www.lazybeggars.com . यहां स्पेन की सड़कों पर दोनों की जिंदगी के बारे में काफी जानकारी दी गई है. उन्हें पेपाल के जरिये भीख भी दी जा सकती है. लेकिन बेगर की स्पेलिंग गलत क्यों? जिस दोस्त ने वेबसाइट बनाई, वह बहुत पिया हुआ था, हंसकर लिंडन जवाब देते हैं.

और वे निकल पड़े

सिर्फ अपनी वेबसाइट की वजह से ही ये दोनों दूसरे बेघर भिखारियों से अलग नहीं हैं. अपनी मर्जी से उन्होंने सड़क पर जिंदगी गुजारने का फैसला लिया. लिंडन ओवेन एक कंप्यूटर स्पेशलिस्ट थे. वेल्स में उनकी अच्छी खासी नौकरी थी, परिवार था. लेकिन नौकरी का दबाव उनसे सहा नहीं जा रहा था. "एक दिन मैंने अपने बैग में सामान भरा, फ्लैट का दरवाजा बंद किया और फिर मैं निकल पड़ा", कागज में सिगरेट रोल करते हुए वह कहते हैं. घूमते घूमते फ्रांस होकर वे दक्षिण स्पेन पहुंचे, क्योंकि मौसम वहां बेहतर था.

Waage-Mann in Sofia
तस्वीर: DW

ग्रानाडा में उनकी मुलाकात 55 साल के खोसे मानुएल कालवो से हुई. उनकी रामकहानी भी कुछ ऐसी ही है. वे टेनेरिफा में एक कंपनी में सौर उर्जा के विशेषज्ञ थे, 8 लोग उनके मातहत काम करते थे. खाली समय में वे कविता लिखते थे. लेकिन वे खुश नहीं थे. एक दिन बीवी बच्चों को छोड़कर वे निकल पड़े. स्पेन के एक शहर से दूसरे शहर तक पैदल घूमते रहे.

बेघर नहीं घुमक्कड़

खोसे और लिंडन आठ साल से साथ हैं. वे अपने आपको बेघर नहीं, घुमक्कड़ कहते हैं. उनका कहना है कि वे आलसी भी नहीं है. लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने से बेहतर और क्या काम हो सकता है? "सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक हम यही करते हैं", खोसे कहते हैं. "व्हिस्की के लिए" और "बिल्ली के लिए" के दो मतलब हैं. उनके पास दो कुत्ते हैं, जिनके नाम हैं व्हिस्की और बिल्ली. उनके पास दो और डिब्बे हैं, जिन पर लिखा है "गांजा पीने के लिए" और "दूसरे पापों की खातिर". लेकिन इन्हें वे सिर्फ रात को बाहर निकालते हैं, "जब बच्चे सो जाते हैं".

फैसबुक पर उनके लगभग 600 दोस्त हैं. हां, वे मानते हैं कि सड़क की जिंदगी आसान नहीं होती. खास कर जाड़ों के दौरान. "लेकिन घरों में कायदे की जिंदगी बिताने वालों के मुकाबले हम कहीं ज्यादा खुश हैं", लिंडन का कहना है.

रिपोर्ट: डीपीए/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: ए जमाल