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"23 जून यूरोप के लिए काला दिन"

महेश झा२४ जून २०१६

यूरोपीय संघ में रहने या नहीं रहने के सवाल पर ब्रिटिश जनता के फैसले के बाद दुनिया भर में प्रतिक्रिया हो रही है. ब्रेक्जिट फैसले के बाद यूरोप में नए जनमत संग्रहों और सुधारों की मांग हो रही है.

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London EU Referendum Kampagne Leave.eu Brexit Symbolbild
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Neal

सबको पता था कि टक्कर कांटे की थी लेकिन सबको उम्मीद थी कि ब्रिटेन की जनता जजबात से काम न लेकर विवेक से काम लेगी. लेकिन जनता ने अपना दोटूक फैसला सुनाया है, देश विबाजित है और मीडिया इस मूड के समेटने की कोशिश कर रहा है.

उधर दुनिया भर में ब्रिटेन के फैसले पर प्रतिक्रिया हो रही है. जर्मनी के उप चांसलर और अर्थनीति मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने फैसला आने के तुरंत बाद ट्वीट कर ब्रिटिश मतदाताओं के फैसले के दिन को यूरोप के लिए बुरा दिन करार दिया.

भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत ब्रेक्जिट के लघुकालीन और दीर्धकालीन असर से निबटने के लिए तैयार है.

फ्रांस में उग्र दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल फ्रंट की प्रमुख मारी ले पेन ने ब्रेक्जिट फैसले के बाद यूरोप के दूसरे देशों में भी जनमत संग्रह की मांग की है. फैसले को आजादी की जीत बताते हुए ले पेन ने ट्वीट किया, "जैसा कि मैं सालों से मांग कर रही हूं, हमें फ्रांस और ईयू के दूसरे देशों में ऐसे ही जनमत संग्रह की जरूरत है."

यूरोपीय ग्रीन पार्टी के प्रमुख राइनहार्ड बूटीकोफर ब्रेक्जिट फैसले के बाद यूरोपीय संघ की हालत और खराब होने की आशंका व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि 23 जून की तारीख यूरोप के इतिहास में गहरे काले दिन के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने घरेलू और बाहरी सुरक्षा को यूरोपीय स्तर पर ले जाने और पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ अर्थव्यवस्था के विकास की मांग की.

जर्मनी की वामपंथी पार्टी डी लिंके ने ब्रिटिश मतदाताओं के फैसले के बाद यूरोपीय संघ में सुधारों की मांग की है. पार्टी के नेता बैर्न्ड रीसिंगर ने ट्वीट किया, "पहले से कहीं ज्यादा अब सामाजिक और लोकतांत्रिक यूरोप की जरूरत है."

पार्टी सह प्रमुख कात्या कीपलिंग ने कहा है कि नव उदारवाद और कटौती की नीति ने राष्ट्रवाद और यूरोप विरोध की जमीन तैयार की है. उन्होंने ब्रेक्जिट को यूरोप में नई शुरुआत की पुकार बताया.