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24 को ही आएगा अयोध्या पर फैसला

१७ सितम्बर २०१०

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक पक्षकार रमेश चन्द्र त्रिपाठी की समझौते की अर्जी ख़ारिज कर दी है. इनके साथ तीन अन्य की भी समझौते की अर्जी ख़ारिज कर दी गई है. साथ ही रमेश चन्द्र पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है.

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तस्वीर: dpa - Bildarchiv

कोर्ट में पहले पांच लाख का जुर्माना लगाने की बात की लेकिन बाद में जुर्माने की रकम की घोषणा किए बगैर ही कोर्ट उठ गई. कोर्ट का कहना है कि मीडिया में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह अर्जी दी गई. इसके साथ ही कोर्ट ने शुक्रवार को एक अन्य पक्षकार निर्मोही अखाड़े के समझौते के प्रस्ताव पर हलफनामे को भी खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि 24 सितम्बर को कोर्ट का फैसला आने से पहले अगर दोनों पक्षों के 80 फीसदी पक्षकार किसी समझौते पर पहुंच जाते हैं तो उस से कोर्ट को अवगत करा दें. तब संभव है कि कोर्ट उसी समझौते पर अपनी मोहर लगा दे.

अदालत ने कहा कि रमेश चन्द्र त्रिपाठी के साथ दोनों पक्षों का बहुमत नहीं है. इसलिए उनकी अर्जी का कोई मतलब नहीं है. तीनों जजों की बेंच 10 मिनट के अन्दर यह फैसला सुना कर उठ गई.

26 जुलाई को इलाहबाद हाईकोर्ट की विशेष बेंच इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर चुकी है. 27 जुलाई को एक अन्य आदेश में हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा था कि आपसी सहमती से विवाद सुलझा लें लेकिन दोनों पक्ष इसके लिए तैयार नहीं हुए. सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड बनाम निर्मोही अखाडा मुक़दमे में विपक्षी संख्या 17 के स्थान पर आंबेडकर नगर जिले के भगवान पट्टी निवासी 71 वर्षीय जिस रमेश चन्द्र त्रिपाठी का नाम दर्ज है, उनकी तरफ से पिछले 10 साल में कोई वकील तक पेश नहीं हुआ. डिफेन्स अदित महकमे में नौकरी कर चुके रमेश चन्द्र ने अपनी अर्जी में कहा था कि एक अखबार में छपे एक लेख से उनका मन बदल गया.

हिन्दू पक्ष के वकील अजय पाण्डेय कहते हैं के उन्होंने ही रमेश चन्द्र त्रिपाठी की गवाही दिलाई थी. अपनी गवाही में वह काफी बहकी बहकी बातें कर रहे थे. अपने बयान में उन्होंने कई बार कहा कि मुझे याद नहीं. रमेश चन्द्र त्रिपाठी की विरोधाभासी बयानों को आधार बनाकर श्री राम जन्म भूमि पुनरुद्घार समिति की वकील रंजना त्रिपाठी ने अदालत से रमेश चन्द्र की अर्जी ख़ारिज करने की दरख्वास्त की.

समझौते की अर्जी देने वाले एक अन्य लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर ध्रुव सेन सिंह हैं. इन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों के कारण फैसला टालने की मांग की थी. इनके अलावा डॉक्टर अमित सिंह, डॉक्टर पाल, डॉक्टर इज़हार हुसैन ने भी फैसला टालने की अर्जी दी थी.

रिपोर्टः लखनऊ से सुहेल वहीद

संपादनः वी कुमार