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समाज

प्रशासन का इनकार, ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुई

१२ अगस्त २०१७

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के एक अस्पताल में तीन दिन के भीतर कम से कम 35 बच्चों की मौत हो गयी है. मारे गये बच्चों के माता पिता का कहना है कि बच्चों के वार्ड में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी की वजह से ये जानें गयीं.

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Indien Uttar Pradesh - Verwandte trauern um den Tod eines Kindes im Krankenhaus in Gorakhpur wegen Mangelndem Sauerstoff
तस्वीर: Getty Images/AFP

जिला मजिस्ट्रेट राजीव रौतेला ने बताया कि बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में अलग अलग बीमारियों से पीड़ित इन बच्चों का इलाज हो रहा था. उन्होंने बच्चों की मौत के लिए प्राकृतिक कारणों को जिम्मेदार बताया. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि ऑक्सजीन की सप्लाई में कमी की वजह से बच्चों की जानें गयीं.

लेकिन मारे गये बच्चों के माता पिता का कहना है कि वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई गुरुवार रात को ही खत्म हो गयी थी और परिवारों को सेल्फ-इंफ्लैटिंग बैग दिये गये थे ताकि वे बच्चों को सांस लेने में मदद कर सकें. अपने सात महीने के बच्चे को खोने वाले मृत्यंजय सिंह कहते हैं, "यह वह समय है जब सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है." नोबेल विजेता और बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी ने इस घटना पर ट्वीट कर कहा है कि यह त्रासदी नहीं, बल्कि नरसंहार है. 

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिये हैं. राज्य के सर्वोच्च स्वास्थ्य अधिकारी प्रशांत त्रिपाठी ने माना है कि ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली पाइपलाइन में कुछ समस्या थी. उनके मुताबिक, "लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडरों की मदद से काम चल रहा था. अस्पताल के गोदाम में पर्याप्त सिलेंडर हैं. इसलिए ये खबरें गलत हैं कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है."

वहीं माता पिता का कहना है कि अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने धमकी दी हुई थी कि अगर सरकार ने उसका बकाया पैसा नहीं चुकाया तो वह ऑक्सीजन की सप्लाई रोक देगी. रौतेला का कहना है कि अस्पताल पर कंपनी के 68 लाख रुपये बकाया है, लेकिन उनके मुताबिक अस्पताल में ऑक्सीजन के पर्याप्त सिलेंडर हैं.

इस अस्पताल में भर्ती कुछ बच्चे दिमागी बुखार से भी पीड़ित थे. जून से सितंबर तक बरसात के मौसम में इस बीमारी के मामले अकसर इस इलाके में देखने को मिलते हैं. इस अस्पताल में दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे बड़ी संख्या में भर्ती होते हैं. अस्पताल के प्रवक्ता सतीश चंद्रा कहते हैं कि पिछले दो महीनों में अस्पताल में दिमागी बुखार से पीड़ित 370 बच्चों का इलाज किया गया है जिनमें से 129 की मौत हो गयी.

एके/एनआर (एपी, डीपीए)