80 साल का हुआ टेप रिकॉर्डर
क्या आपको याद हैं वे दिन जब कैसेट की टेप को पेंसिल से घुमाया करते थे? आज जो सुनकर अजीब लगता है उसी ने 80 साल पहले बदल दिए थे संगीत सुनने के मायने.
पहला टेप रिकॉर्डर
थॉमस एडिसन के फोनोग्राफ की खोज के करीब 50 साल बाद विद्युत उपकरण बनाने वाली कंपनी एईजी ने 1935 में बर्लिन के बाजार में मैग्नेटोफोन के1 उतारा. इससे पहले लोग रिकॉर्डिंग का मजा ले चुके थे, लेकिन इसमें नई बात यह थी कि इसमें प्लास्टिक की टेप थी, जिस पर आयरन पाउडर की परत जमाई गई.
रिकॉर्डिंग के नए स्तर
हालांकि शुरुआती रिकॉर्डिंग में बहुत शोर था, लेकिन कंपनियों को उम्मीद थी कि रिकॉर्डिंग की दिशा में नई संभावनाएं हैं. जैसे रिकॉर्डिग को काटा जाना या अलग करना. जल्द ही ऐसा संभव हुआ. लंदन सिंफनी ऑर्केस्ट्रा की रिकॉर्डिंग के साथ मैग्नेटिक टेप के इस्तेमाल वाला पहला कॉन्सर्ट 1936 में लुडविग्सहाफेन में हुआ.
दफ्तर से घर तक
प्रसारक अब कार्यक्रम को रिकॉर्ड कर सकते थे. दोबारा जरूरत पड़ने पर चला सकते थे. लाइव लगने के लिए उन्हें 24 घंटे स्टूडियो में रह कर कार्यक्रम नहीं करना पड़ता था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद मशीनों को बनाना और उन्हें इस्तेमाल करना और आसान होता गया. मशीनें घर पर इस्तेमाल के लिए भी बनने लगीं.
वृहत उत्पादन
रेडियो निर्माता माक्स ग्रूंडिग ने टेप रिकॉर्डिंग की असीम संभावनाएं समझ कर उसके बड़े स्तर पर उत्पादन की बात सोची. 1951 में उनकी कंपनी ने 'रिपोर्टर 500एल' नामका सस्ता टेप रिकॉर्डर बाजार में उतारा. ग्रूंडिग (तस्वीर में बाएं) की प्रशंसा खुद जर्मनी के आर्थिक चमत्कार के जनक और जर्मन वित्त मंत्री लुडविग एरहार्ड (बीच में) ने भी की.
कभी भी कहीं भी
नए टेप रिकॉर्डर का इस्तेमाल बढ़ता गया. जल्द ही यह बिजली के तार की जगह बैटरी से चलने लगा. ऐसा होने से लोग अब इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकते थे. तस्वीर में दिख रहा है 1963 का टेलीफुंकेन मैग्नेटोफोन 300, जो बैटरी से चलता था और जिसे तारमुक्त होने के कारण कहीं भी ले जाना संभव था.
खास से आम हुआ
पार्टियों की शान बन गया था टेप रिकॉर्डर. अब रिकॉर्ड बदलने की जरूरत भी नहीं रही, अपनी मर्जी के गाने आगे पीछे रिकॉर्ड किए जा सकते थे. 60 और 70 के दशक में युवा वर्ग ने इसे खूब पसंद किया. यह तस्वीर 1979 में पश्चिम जर्मनी में ली गई थी.
कई बार, बार बार
अब संगीत प्रेमी अपने पसंदीदा कॉन्सर्ट को रिकॉर्ड कर घर पर बार बार सुन सकते थे. वे इसे अपने दोस्तों के साथ साझा भी कर सकते थे. यह तस्वीर 1970 में सेंट्रल जर्मनी में बुर्ग आल्सफेल्ड में एक संगीत समारोह में ली गई थी.
पूर्ण नियंत्रण
टेप रिकॉर्डर के आ जाने से श्रोता पूरी सिंफनी एक बार में सुन सकते थे, उन्हें रिकॉर्ड बदलने की जरूरत नहीं पड़ती थी. इस तस्वीर में अभिनेता कार्लहाइंज बोएम अपने बेटे के साथ रिकॉर्डिंग का आनंद ले रहे हैं.
तरह तरह के
जर्मन पॉप स्टार निकोले के पास उनके लिविंग रूम में एक उच्चस्तरीय रील टू रील टेप रिकॉर्डर था. 1982 में यूरोविजन संगीत प्रतियोगिता की विजेता रही निकोले अपने घर पर प्रतियोगिता के गानों की तैयारी करती हुई.
दूसरे उपयोग
शीत युद्ध के दौरान, पूर्व जर्मनी और पश्चिम जर्मनी राजनीतिक उथल पुथल के बीच एक दूसरे की जासूसी में व्यस्त थे. इस तरह की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए दोनों ही उच्च तकनीक का खास ख्याल रखते थे, इसमें टेप रिकॉर्डर भी शामिल था.
टेप पर पकड़
टेप रिकॉर्डर पर जरूरी मीटिंग, भाव तोल और बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया जाता था. अदालतों में भी अहम सबूत के तौर पर टेप रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल होने लगा. तस्वीर आउसबुर्ग जिला अदालत की है जिसमें मूल साक्ष्य के रूप में अपहरणकर्ता की फिरौती मांगने वाली फोन कॉल की रिकॉर्डिंग सुनाई गई.
तालमेल की मुश्किल
1974 में अमेरिकी सिंगर नील सेडाका ने फ्रैंकफर्ट में रिकॉर्डिंग की योजना बनाई, हालांकि जब इंजीनियर ने अमेरिका में रिकॉर्ड किया गया पियानो का टेप बजाया तो वह ठीक सुनाई नहीं दे रहा था. अमेरिका में रिकॉर्ड हुए टेप और यूरोप की मशीनों के बीच तालमेल नहीं था.
संगीत का शुक्रिया
जल्द ही डिजिटल रिकॉर्डिंग ने टेप रिकॉर्डिंग मशीन को बहुत पीछे छोड़ दिया. और उसके बाद सीडी और एमपी3 ने डिजिटल ऑडियो टेप को बाहर का रास्ता दिखा दिया. टेप रिकॉर्डर अब इतिहास का हिस्सा बन गए हैं.