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मछुआरों पर रोक लगाकर मछलियों को कैसे बचाएंगे!

ओंकार सिंह जनौटी८ सितम्बर २०१६

अगर किसी इलाके की मुख्य उपज लुप्त होने लगे तो जाहिर है कि लोगों की रोजी रोटी पर भी असर पड़ेगा. यही हाल पेरू में आरापाइमा मछलियों का है. यहां इतनी मछलियां पकड़ ली गईं कि अब उनका अस्तित्व खतरे में आ गया है.

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Vietnam Vinpearl City Times Aquarium Arapaima Fisch
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L.T. Linh

आरापाइमा मीठे पानी की शिकारी मछलियां हैं, दुनिया में सबसे बड़ी. उनकी कहानियां दक्षिण अमेरिका के मछुआरे पीढ़ियों से सुनते आए हैं. अमेजन की सहायक नदी रियो उकायली आरापाइमा मछलियों का घर है. इसकी दलदली झील में इन मछलियों का खूब मन लगता है. और यह पूरा माहौल लोगों की जिंदगी है. अमेजन प्रोजेक्ट में मैनेजर के तौर पर काम करने वालीं मिलाग्रोस ओबलिटास क्विरोस कहती हैं, "मैंने पहली बार जब नदी देखी तो मैं 11 साल की थी, और मैंने सोचा कि यह सागर है. जब आप देखते हैं कि आपका आसपास कितना विशाल है तो फिर आपको पता चलता है कि प्रकृति का आयाम कितना विशाल है. यही इसे मेरे लिए खास बनाता है. मैं खुद को इसका हिस्सा समझती हूं और ये अहसास मुझे सिर्फ यहीं होता है."

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यह इलाका इमीरिया कहलाता है और इसे संरक्षित क्षेत्र का दर्जा हासिल है. यहां अब आरापाइमा मछलियों के शिकार पर बैन है. लेकिन इस वजह से मछुआरों के जीवन पर असर पड़ता है. लिहाजा समाजसेवी संस्थाएं स्थानीय मछुआरों के साथ मिलकर आरापाइमा मछलियों को बचाने का रास्ता निकालना चाहती हैं, उन्हें पकड़ने पर रोक लगाए बिना. इसके लिए जरूरी है कि सब एक दूसरे पर भरोसा करें. अमेजन प्रोजेक्ट के मैनेजर एरनान फ्लोरेस मार्टिनेस कहते हैं, "स्थानीय लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे परंपरागत रूप से आरापाइमा मछलियों पर निर्भर हैं. लेकिन अब तक वे ये काम अनौपचारिक रूप से कर रहे थे, बिना लाइसेंस के. इसलिए हमारा लक्ष्य है कि उन्हें अवैधता से बाहर निकाला जाए ताकि वे कानूनी तौर पर मछली पकड़ सकें. और वे मछली पकड़ने की योजना का पालन करें और टिकाऊ तरीके से मछली पकड़ें."

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आरापाइमा, जिसे स्थानीय भाषा में पाइचे कहा जाता है, अनोखी होती हैं. वे विरले ही दिखती हैं. पहले मछुआरे यहां जिताना जी चाहे मछली पकड़ते थे. अब संरक्षित क्षेत्र में इस पर रोक है. मछुआरों को पता है कि अच्छी मछली पकड़ने के लिए उन्हें कितना वक्त चाहिए. बाजार हर दिन भरे होते हैं, पाइचे जैसे महंगी मछलियों से भी. इस मछली का सख्त मांस पेरू के भोजन में बहुत लजीज माना जाता है. लिहाजा पेरू की सरकार इस समस्या का सामना मत्स्यपालन को प्रोत्साहन देकर भी कर रही है. वह शोध में निवेश कर रही है. लोग मछलियों के बारे में जितना जानेंगे व्यावसायिक मत्स्यपालन उतना ही संभव हो सकेगा. और प्रकृति में उनके संरक्षण को संभव बनाएगा.

जब अक्टूबर से फरवरी के बीच आरापाइमा मछलियां अपने बच्चों का ख्याल रखती हैं, उस समय उसे आमतौर पर नहीं पकड़ा जाना चाहिए. इसके अलावा तभी जब वह प्रजनन के लायक हो जाए. देहाती इलाकों में, जैसे कि शिपीबो में संरक्षण के प्रयासों में बच्चों को भी साथ जोड़ा जा रहा है. मिलियाग्रोस ओबलितास क्विरोस चाहती हैं कि परंपरागत ज्ञान को बच्चों तक खेल खेल में पहुंचाया जाए. वह कहती हैं, "समस्या यह है कि जब स्थानीय लोग अपने आसपास की प्रजाति बहुलता को बहुत सामान्य मानते हैं तो वे प्रकृति के खजाने को कोई महत्व नहीं देते. लेकिन हमारा लक्ष्य लोगों को यह बताना है कि उनके यहां की प्रकृति कितनी मूल्यवान है."

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सिर्फ आरापाइमा मछलियों के लिए ही इमीरिया का संरक्षित क्षेत्र आखिरी उम्मीद नहीं है. यहां के मछुआरों के लिए भी है. यदि वे नियमों पर चलें, तो वे जल्द ही आरापाइमा मछलियां कानूनी तौर पर पकड़ पाएंगे. और उन्हें अपने जाल की ओर खींच पाएंगे.