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चीन-पाकिस्तान के सीपैक कॉरिडोर के दस साल

३१ जुलाई २०२३

रविवार को चीन के उप प्रधानमंत्री ही लीफेंग पाकिस्तान पहुंचे. वह चीन और पाकिस्तान की साझा परियोजना सीपैक के दस साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए इस्लामाबाद में हैं.

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पाकिस्तान और चीन के संबंधों का आधार सीपैक
बालोचिस्तान में सीपैक परियोजनातस्वीर: A. G. Kakar/DW

चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के दस साल पूरे हो गये हैं. 2013 में शुरू हुई यह परियोजना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए तो अहम है ही, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गयी है. इस परियोजना के तहत चीन ने पाकिस्तान में दसियों अरब डॉलर का निवेश किया है और विशाल ट्रांसपोर्ट, ऊर्जा व ढांचागत प्रोजेक्ट चलाये हैं.

पाकिस्तान के लिए सीपैक आसान नहीं रहा है. एक तो राजनीतिक उथल पुथल और उस पर आतंकवादी हमलों का डर सीपैक के लिए हमेशा एक चुनौती बना रहा है. इस चुनौती में पाकिस्तान की बिगड़ती अर्थव्यवस्था एक और पहलू बन गयी है, जिसके कारण इस्लामाबाद को अपने हिस्से की वित्तीय जिम्मेदारियां उठाने में मुश्किल हो रही है.

क्या रहा हासिल?

इस्लामाबाद के कॉमसैट्स (COMSATS) विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध पढ़ाने वाले एसिस्टेंट प्रोफेसर अजीम खालिद कहते हैं, "एक दशक में सीपैक के नतीजे मिश्रित रहे हैं. चीन का प्राथमिक मकसद था अरब सागर से उसका सीधा संपर्क, जो अब भी कमोबेश पूरा नहीं हो पाया है. दूसरी तरफ, अपने कम अवधि के लक्ष्यों की पूर्ति में पाकिस्तान ने खासी तरक्की की है.”

हाल के सालों में चीन पाकिस्तान के सबसे भरोसेमंद विदेशी साझीदारों में से एक रहा है. उसने मुश्किल आर्थिक हालत में पाकिस्तान की काफी मदद की है. पिछले हफ्ते उसने पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर का कर्ज दिया, जो दिवालिया होने के कगार पर खड़े पाकिस्तान के लिए बड़ी राहत है. पिछले साल आईएमएफ ने एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान के कुल कर्ज का 30 फीसदी चीन के सरकारी और निजी बैंकों से ही आया है.

सुरक्षा सबसे बड़ा मसला

भारत के इन दोनों पड़ोसियों की 596 किलोमीटर लंबी सीमा एक-दूसरे से लगती है और यह सियाचिन से लेकर कराकोरम तक फैली हुई है. पाकिस्तानी राजनेता अक्सर चीन के साथ अपने रिश्तों को ‘हिमालय से मजबूत, समंदर से गहरे और शहद से मीठे' बताते हैं. हालांकि सीपैक को लेकर इन रिश्तों में बीते सालों में तनाव भी रहा है.

सीपैक के रूप में चीन को हिंद महासागर तक सीधी पहुंच मिलती है. लेकिन वहां काम करने वाले उसके नागरिकों की सुरक्षा एक बड़ा मसला रहा है. परियोजना के आसपास लगातार आतंकवादी हमले हुए हैं जिनमें बड़ी संख्या में चीनी नागरिक भी मारे गये हैं. रविवार को ही एक राजनीतिक दल की सभा में हुए आत्मघाती बम हमले में 44 लोगों की जान चली गयी. यह हमला उसी उत्तर-पश्चिमी हिस्से में हुआ, जहां सीपैक की कई परियोजनाएं चल रही हैं.

चीन ने पाकिस्तान में लगाया बड़ा दांव

सीपैक कॉरिडोर चीन के पश्चिमी इलाके शिनजियांग को पाकिस्तान के बालोचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है. लेकिन उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि इन परियोजनाओं का उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा है. बालोच अलगाववादी दावा करते हैं कि चीन के हितों की सुरक्षा के लिए हजारों पाकिस्तानी फौजी उनके खिलाफ तैनात किये गये हैं.

जानों की कीमत पर

अप्रैल 2021 में क्वेटा के एक लग्जरी होटल पर आतंकवादी हमले में पांच लोग मारे गये थे, जहां चीनी राजदूत का कार्यक्रम होना था. उसके बाद दासू बांध की ओर जा रही चीनी कर्मचारियों से भरी एक बस में बम धमाका हुआ जिसमें 9 चीनियों समेत कुल 12 लोगों की जान गयी. हालांकि पाकिस्तान ने कहा कि यह धमाका गैस लीक होने के कारण हुआ लेकिन चीन इसे आतंकवादी हमला ही मानता है.

खालिद कहते हैं, "चीन के मकसद पूरे होने की राह में सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौतीहै. सीपैक के अपने शिखर पर ना पहुंच पाने में यह सबसे बड़ी वजह है.”

इसके बावजूद परियोजना ने दस साल पूरे किये हैं और दोनों देश इस मौके को जश्न की तरह मनाना चाहते हैं. चीनी उप प्रधानमंत्री के स्वागत में इस्लामाबाद चीनी झंडों से पटा हुआ है. सुरक्षाकर्मी हाई अलर्ट पर हैं और दो दिन की सरकारी छुट्टी का ऐलान किया गया है ताकि लोगों की भीड़ कम से कम हो.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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