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नोटबंदी के खिलाफ हजारों उतरे सड़कों पर

२८ नवम्बर २०१६

भारत में नोटबंदी के खिलाफ सोमवार को हजारों लोग सड़कों पर उतरे. विपक्ष का कहना है कि सरकार के इस फैसले से देश में "आर्थिक इमरजेंसी" के हालात पैदा हो गए हैं. हालांकि सरकार ने विपक्ष की आलोचना को खारिज किया है.

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Indien Ansturm auf Bank Umtausch von Rupien Scheinen
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Das

8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले से भारत की 86 प्रतिशत नकदी रद्दी में तब्दील हो गई. इससे आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है और अब भी पुराने नोट बदलवाने और नए नोट लेने के लिए बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने लंबी कतारें लगी हैं. इसके खिलाफ कोलकाता में लगभग 25 हजार लोगों ने अपना विरोध जताया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धमकी दी है कि अगर नोटबंदी के फैसले को वापस नहीं लिया गया तो इससे "दंगे और महामारी" हो सकते हैं. वहीं भारत की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर मुंबई में पुलिस ने कहा है कि छह हजार लोग नोटबंदी के खिलाफ सड़कों पर उतरे.

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हालांकि ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो केंद्र सरकार के कदम का स्वागत करते हैं. समर्थकों का कहना है कि इससे अमीर लोग अपना छुपा हुआ धन बाहर निकालेंगे और उस पर टैक्स चुकाएंगे. ऐसे में, कुछ ही राज्यों ने भारत बंद का समर्थन किया है. कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा, "सरकार ने जो अघोषित आर्थिक इमरजेंसी लगाई है, हम उसका विरोध कर रहे हैं. इस गैर कानूनी फैसले की वजह से देश भर में लोगों को बहुत दिक्कतें हो रही हैं."

पूर्व प्रधानमंत्री और जाने माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने पिछले हफ्ते सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि वह भ्रष्टाचार और काले धन पर रोक लगाने के सरकार के मकसद से असहमत नहीं है बल्कि नोटबंदी को जिस तरह लागू किया गया, वो कुप्रबंधन की एक नायाब मिसाल है. उन्होंने कहा कि सरकार के नोटबंदी के फैसले से जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट हो सकती है.

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लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार नोटबंदी के फैसले का बचाव कर रहे हैं. उन्होंने रविवार को उत्तर प्रदेश में एक रैली के दौरान कहा, "हम भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगा रहे हैं और वे भारत बंद कर रहे हैं." इसके अलावा रेडियो पर "मन की बात" कार्यक्रम में उन्होंने लोगों से देश को कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर दिया. उन्होंने युवाओं से अपील की कि हर रोज वे कम से कम दस लोगों को बताएं कि मोबाइल बैंकिंग कैसे होती है.

लेकिन आलोचक कह रहे हैं कि जहां देश की एक बड़ी आबादी अब भी दो वक्त की रोटी की जद्दोजहद में लगी है, वहां मोबाइल बैंकिंग की बात करना ख्याली दुनिया में रहने के बराबर है. भारत में 90 प्रतिशत लेन देन अब भी नकद राशि में ही होता है. बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास बैंक खाते की सुविधा नहीं है.

एके/वीके (एएफपी, डीपीए)