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शांति दूत रहे इस्राएली नेता शिमोन पेरेस के निधन पर शोक

२८ सितम्बर २०१६

सात दशक लंबे राजनीतिक जीवन में दो बार इस्राएल के प्रधानमंत्री और एक बार राष्ट्रपति रहे इस्राएली नेता शिमोन पेरेस का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. विश्व भर में शांति बहाली में पेरेज के योगदान को याद किया गया.

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Jassir Arafat und Shimon Peres
तस्वीर: picture-alliance/Pressens Bild Scanpix AB

पूर्व इस्राएली राष्ट्रपति पेरेस का 28 सितंबर को 93 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया. दो हफ्ते पहले स्ट्रोक होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पेरेज के देशवासियों समेत पश्चिमी देशों के प्रमुख नेताओं ने उनके निधन पर शोक संदेश दिए हैं और कई बड़े नेता पेरज के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने पहुंचेंगे.

फलीस्तीनियों और इस्राएल के बीच हुए प्रसिद्ध ऑस्लो समझौते के लिए पेरेस समेत तीन लोगों को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. पेरेस  के निधन के साथ ही अब तीनों विजेताओं में से कोई जीवित नहीं बचा. 1990 के दशक की शुरुआत में इस पर हस्ताक्षर हुए थे. इसका मकसद इस्राएली और फलस्तीनी लोगों के बीच "स्थायी और व्यापक शांति समझौता" स्थापित करना था, जिसकी विश्व भर में प्रशंसा हुई थी. हालांकि इस समझौते को आज तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है.

इस्राएल के परमाणु कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले पेरेस के निधन पर जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने उन्हें दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस्राएल-जर्मन संबंधों के रचयिता के तौर पर याद किया. श्टाइनमायर की ओर से जारी बयान में लिखा है, "भूत को भविष्य से जोड़ने की उनके दृढ़ संकल्प के साथ शिमोन पेरेस ने खुद को इस्राएल और जर्मनी के बीच एक अनोखी मित्रता के प्रति समर्पित कर दिया था."

शिमोन पेरेस्की का जन्म दो अगस्त, 1923 को विश्नेवा में हुआ था, जो उस समय पोलैंड का भाग था. 1934 में वे अपने परिवार के साथ फलस्तीनी इलाके में चले गए और फिर वहीं राजनीति में प्रवेश किया. इस्राएल के संस्थापक डेविड बेन-गुरिऑन से उन्होंने राजनीति के गुर सीखे. 1952 में केवल 29 साल की उम्र में शिमोन पेरज इस्राएल के रक्षा मंत्रालय के महानिदेशक बनने वाले सबसे युवा व्यक्ति बने. यहीं के अपने कार्यकाल में उन्होंने इस्राएल की सेना को एक सामान्य सेना से तथाकथित परमाणु शक्ति संपन्न सेना बना डाला.

सन 1959 में पेरेस पहली बार संसद सदस्य के रूप में चुने गए. इसके बाद के सालों में उन्होंने उप रक्षा मंत्री का पद संभाला. 1977 में सिमोन पेरेस को प्रधानमंत्री पद के चुनाव में तेजी से उभर रही लिकुद पार्टी के नेता मेनाकेम बेगिन के हाथों हार का सामना करना पड़ा. पहली बार लिकुद पार्टी के समर्थन से ही वे 1984 में प्रधानमंत्री बने और बारी बारी से लिकुद पार्टी के नेता के साथ पीएम पद संभालने का समझौता किया.

सन 1992 में लेबर पार्टी की अगुवाई वाली सरकार में वे विदेश मंत्री रहे और उसी दौरान फलस्तीन और जॉर्डन के साथ पहले शांति समझौते स्थापित करने में कामयाबी पाई. इन उपलब्धियों के लिए 1994 में उन्हें फलस्तीनी नेता यासेर अराफात के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

1995 में एक यहूदी कट्टर राष्ट्रवादी के हाथों इस्राएली प्रधानमंत्री इत्साक राबिन की हत्या के बाद पेरेस ने कार्यकारी प्रधानमंत्री का पद संभाला. केवल छह महीने बाद हुए चुनाव में बेन्यामिन नेतन्याहू उन्हें हराकर देश के प्रधानमंत्री बने. शिमोन पेरेस ने अपना सात दशक लंबा अर्थपूर्ण राजनीतिक कैरियर 2007 से 2014 के बीच इस्राएल के राष्ट्रपति के रूप में समाप्त किया.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने पेरेस के निधन के अवसर पर इस्राएल और पूरे मध्य पूर्व इलाके में शांति स्थापित करने के उनके लक्ष्य को याद करते हुए कहा, "उन्होंने टू-स्टेट समाधान के लिए लगातार काम किया जिससे इस्राएल और फलस्तीन के अलावा पूरे इलाके में सुरक्षा और सौहार्द स्थापित होता."  इस द्विराष्ट्र समाधान में स्वतंत्र इस्राएल के साथ साथ जॉर्डन नदी के पश्चिम की ओर स्थित स्वतंत्र फलस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दिए जाने की बात है, जो अब तक नहीं हो पाया है.

आरपी/एमजे (एपी/डीपीए)