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भारत में मिले 1.6 अरब साल पुराने 'पौधे'

१७ मार्च २०१७

भारत में 1.6 अरब साल पुराने जीवाश्म मिले है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दिखने में लाल शैवाल जैसे ये जीवाश्म दुनिया के अब तक के सबसे पहले पौधे हो सकते हैं.

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Eine Röntgenaufnahme der fossilen Rotalge zeigt das Innenleben des Fundstücks aus Indien
तस्वीर: REUTERS/S. Bengston

पीएलओएस बायोलॉजी जनरल में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार, अभी तक ज्ञात सबसे पुराने शैवाल 1.2 अरब साल पुराने हैं, जो कैनेडियन आर्कटिक से मिले थे. वैज्ञानिकों के बीच इस बात को लेकर बहस रही है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कब हुई, लेकिन इस बारे में मोटे तौर पर वे एकमत हैं कि लगभग 60 करोड़ साल पहले बहुकोशकीय संचरना बनने लग गई थीं.

भारत में मिले ताजा जीवाश्म की रिपोर्ट के लेखक और स्वीडिश म्यूजियम ऑफ नेचुरल साइंस में जीवाश्मशास्त्र के मानद प्रोफेसर स्टेफान बेंगस्टन कहते हैं कि अब विशेषज्ञों को जीवन वृक्ष को फिर से लिखना पड़ सकता है. वह कहते हैं, "जीवन की शुरुआत उससे कहीं पहले हो चुकी थी जितना हम समझते हैं."

ताजा जीवाश्म में विश्लेषण करने के लिए कोई डीएनए नहीं बचा है. लेकिन संरचना को देख कर लगता है कि वह लाल शैवाल रहा होगा. बेंगस्टन कहते हैं, "इतनी पुरानी चीज के बारे में आप कुछ भी शत प्रतिशत विश्वास से नहीं कह सकते, क्योंकि उसमें कोई डीएनए नहीं बचा है. लेकिन उसकी संरचना और बनावट लाल शैवाल जैसी है." वैज्ञानिकों का कहना है कि बेहद छोटे इन बहुकोशकीय जीवाश्मों में एक तो धागे जैसा लिखता है जबकि दूसरा गोल बल्ब जैसा है. ये जीवाश्म मध्य भारत के चित्रकूट में एक चट्टान की तलछटी में मिला.

पृथ्वी का निर्माण 4.5 अरब साल पहले हुआ था. ऐसे प्रमाण हैं जो इशारा करते हैं कि पहली बार जीवन की शुरुआत 3.7 से 4.2 अरब साल पहले समुद्री बैक्टीरिया के रूप में हुई थी. इसके बहुत बाद समंदर में आदिकाल के पौधे और अन्य जीव अस्तित्व में आए. 

बेंगस्टन कहते हैं कि जिस समय के ये जीवाश्म हैं उस समय पृथ्वी की सतह लगभग बंजर थी, जीवन अति सूक्ष्म स्वरूप में मौजूद था और पर्यावरण में आज के मुकाबले सिर्फ एक से दस प्रतिशत ही ऑक्सीजन थी.

पृथ्वी पर जीवन में पौधों की बहुत बड़ी भूमिका है. प्रकाश संश्लेषण में पौधे सूरज की रोशनी को रासायनिक ऊर्जा में बदलते हैं. इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन भी तैयार होती है. इस तरह पौधों के अस्तित्व में आने से ही पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को तैयार करने में मदद मिली.

एके/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)