शव की सफाई या गैर से सेक्सः विधवाओं का जीवन
२४ जून २०१६कैमरून के दौआला शहर में रहने वाली क्लैरिस के पति बीते साल मलेरिया से चल बसे. घरवालों ने उन्हें घर से निकाल दिया. उन्हें अपने देवर से शादी करने को मजबूर किया गया. शादी के बाद उन्होंने अपने नए पति से सेक्स किया और फिर पता चला कि उन्हें सिफलिस हो गया है. सिफलिस एक खतरनाक यौन रोग है जो दृष्टि तक छीन सकता है.
बिलखते हुए क्लैरिस ने बताया, "उसने मुझ पर बेवफाई का आरोप लगाया. परिवार के लोगों को जमा कर लिया और सबके सामने मुझे वेश्या तक कहा." बात करते वक्त क्लैरिस अपनी शादी की अंगूठी को घुमा रही थीं. उन्होंने कहा, "सबने कहा कि मैं चुड़ैल हूं और मैंने ही अपने पति को मार डाला. मेरी सौतेली मां ने तो धमकी दी कि मुझे जान से मार देंगी." क्लैरिस अपनी बेटी के साथ वहां से भाग निकलीं. अब वह शहर के बाहर एक लकड़ी के घर में रहती हैं.
अनजान लोगों का साथ सेक्स
क्लैरिस की इस कहानी में आप बस नाम बदल दीजिए और आपको अफ्रीका में विधवाओं की लाखों कहानियां मिल जाएंगी. पति के मर जाने के बाद उन्हें परिवारों द्वारा त्याग दिया जाता है. उनसे उनकी संपत्ति छीन ली जाती है और उन्हें भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है. बहुत सी विधवाओं को पवित्र होने की प्रक्रिया के नाम पर अपने पति के किसी रिश्तेदार के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है. इस रस्म का मकसद विधवा को उसके मृत पति की आत्मा से छुटकारा दिलाना होता है. कुछ समुदायों में तो इन विधवाओं को अनजान लोगों से सेक्स को भी मजबूर किया जाता है. कुछ जगह उन्हें अपने पति का शव साफ करके उस गंदे पानी को पीना होता है.
अफ्रीका का एक सच यह भी है, जननांगों की विकृति
इन सब रस्मों के नतीजे के तौर पर महिलाओं को मिलता है एचआईवी, एड्स और ऐसी ही भयानक बीमारियां. विडोज़ राइट्स इंटरनैशनल नाम की संस्था के लिए काम करने वाली कैरेन ब्रुअर कहती हैं, "विधवाएं इन रस्मों को मानें तो उनका जीवन अभिशप्त हो जाता है. और ना मानें तो भी उनका जीवन अभिशप्त हो जाता है. अगर आप इन अमानवीय और अपमानजनक रस्मों को मानती हैं तो आपको भयानक रोगों का खतरा घेर लेता है. और अगर आप नहीं मानती हैं तो अपने पति को अंतिम विदा न करने के आरोप लगाकर आपको अपमानित किया जाता है और घर से निकाल दिया जाता है."
हर 10 में से एक औरत विधवा
इन महिलाओं के लिए काम करने वाले स्वयंसेवी बताते हैं कि ज्यादा अफ्रीकी देशों के कानून विधवाओं को उनके पति की संपत्ति पर हक नहीं देते इसलिए उन्हें घरों से निकाल देना आसान होता है. बहुत से मामलों में तो महिलाओं को अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती. कैमरून की राजधानी याऊंदे में रहने वाली बेर्थे की कहानी कुछ ऐसी ही है. बीते साल उनके पति के अंतिम संस्कार के बाद जब उनके देवर और ननद ने उनसे घर के कागज मांगे तो उन्होंने बिना सोचे-समझे दे दिए. एक साल बाद उन्हें पता चला कि उनका घर तो बेच दिया गया है. बेर्थे कहती हैं, "जब मैंने शिकायत की धमकी दी तो उन्होंने मुझे मार-मार कर अधमार कर दिया. मैं बस एक गरीब औरत ही तो थी." वह आज भी लंगड़ाकर चलती हैं.
बूंद बूंद को तरसते लोग
वीके/आईबी (रॉयटर्स)