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फैशन का फ्यूचर है पहने जा सकने लायक मशीनें

महेश झा२८ जून २०१६

कैसा हो अगर आपके कपड़े ही आपके फोन को रिचार्ज कर दें. बैट्री उठाने का झंझट ही खत्म हो जाएगा ना. फैशन डिजायनर्स आपकी इसी समस्या का हल निकालने में लगे हैं और इसमें मदद कर रही हैं वेयरेबल मशीनें.

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Deutschland Jan Falkenberg auf der Messe Hannover
तस्वीर: DW/Z. Abbany

1941 में जब जर्मनी के कोनराड सूजे ने बाइनरी सिस्टम पर काम करने वाला पहला कंप्यूटर जेड3 बनाया, तब यह कपड़ों की तीन आलमारियों जितना बड़ा था और केवल चार तरह की गणनाएं कर सकता था. आज ऐसे मिनी कंप्यूटर बन चुके हैं, जो कपड़ों तक में फिट किये जा रहे हैं. और भविष्य वेयरेबल डिवाइस यानी पहने जाने वाली मशीनों की ओर बढ़ रहा है. जैसे टेक फैशन डिजायनर लीना वासोंग ने एक ड्रेस बनाई है जिसमें कंप्यूटर छुपा है. वह कंप्यूटर एक एलईडी डिसप्ले को संचालित करता है और उसकी वजह से कपड़ा पहने लड़की की दिल की धड़कन के हिसाब से ड्रेस रंग बदलती है. सेंसर नब्ज के स्पंदन को रजिस्टर करते हैं. ड्रेस में सिला केबल उसे एक माइक्रो कंट्रोलर तक पहुंचाता है और अंत में वह डिसप्ले तक सिग्नल भेजता है. बर्लिन की लीना वासोंग बताती हैं कि हमारी मांसपेशियां स्वाभाविक रूप से सारा समय काम करती रहती हैं, लेकिन हममें से ज्यादातर नहीं सोचते कि वे किस तरह काम करते हैं. इंटेलिजेंट ड्रेस का आधार यही स्वाभाविकता है.

वक्त के साथ कैसे बदली बिकिनी, देखें

नीदरलैंड्स के बोर आकर्सडिक भी एक इंटेलिजेंट ड्रेस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने एक हाईटेक ओवरऑल बनाया है. उसे पहनने वाला जीता-जागता वाईफाई हॉटस्पॉट बन जाता है. इसी तरह डिजायनर पाउलीने फॉन डोंगेन ने सोलर सेल वाली एक ड्रेस बनाई है. उसकी बिजली की मदद से स्मार्टफोन की बैट्री चार्ज की जा सकती है. इस फैशन लाइन का नाम है वीयरेबल सोलर. पाउलीने फॉन डोंगेन कहती हैं, “मैं समझती हूं कि बहुत से लोगों के लिए इस तरह का फैशन दूर का ढोल है. हमें उन्हें दिखाना होगा कि इसकी क्षमता क्या है और इसका उनके लिए क्या मायने हो सकते हैं. जब कंप्यूटर या सेलफोन बाजार में आया था तो बहुत से लोगों को पता नहीं था कि इसका उनकी जिंदगी में क्या अर्थ होगा. और अब तो हम उसके बिना रह ही नहीं सकते.“

डिजिटल इनोवेशन की एक्सपर्ट अग्निएश्का वालोर्स्का कहती हैं कि तकनीक हमारे जीवन का साथी बन चुकी है और हमें इसका अहसास तक नहीं है. इसमें उनके डिजायन का भी अहम रोल है. पिछले दशकों में कंप्यूटर न सिर्फ छोटे और आसान होते गए हैं, बल्कि रंगबिरंगे भी. अमेरिकी कंपनी एप्पल ने 90 के दशक में अपने चॉकलेटी केस के साथ नए मानक बनाए और कंप्यूटर को लाइफस्टायल प्रोडक्ट तथा स्टेटस सिंबल बना दिया. इसी तरह आईफोन और आईपैड के साथ एप्पल ने इंसान और मशीनों के बीच इंटरएक्शन में क्रांति ला दी. अब मशीनें इन्सान की इच्छाओं के आधार पर चलेंगी. वालोर्स्का बताती हैं, “फिलहाल हमें इन मशीनों के साथ पेश आना सीखना पड़ता है. हमारी आदत नहीं है कि हम कहीं टाइप करें, क्लिक करें. हमारी आदत है इशारे करना, बोलना, सुनना. और मैं समझती हूं कि बहुत कुछ इस दिशा में जाएगा. हम इशारे करेंगे और मशीनें समझ जाएंगी.”

खतरनाक है यह फैशन

शरीर और तकनीक एक दूसरे में घुलमिल रहे हैं. भविष्य वीयरेबल्स का है. स्मार्टवॉच या फिटनेसट्रैकर दिल की धड़कनों को रिकॉर्ड करते हैं, चले गए कदमों की गिनती करते हैं और इस्तेमाल हुई कैलोरी की गणना करते हैं. स्मार्टफोन ऐप की मदद से इस डाटा का इवैल्यूशन हो सकता है. यहां तक कि नींद पर भी नजर रखी जा सकती है. डिजायनर लीना वासोंग के लिए यह शुरुआत भर है. लीना वासोंग कहती हैं, “बहुत ही अच्छा होगा कि वीयरेबल्स और फैशन तकनीक भविष्य में इस तरह बदले कि कपड़े हमारे शरीर की जरूरतों के अनुरूप बन जाएं. तब सर्दियों में हम ठिठुरेंगे नहीं. हमारे कपड़े को पता चल जाए कि ठंड हो रही है और वह हीटर ऑन कर देगा.“

जिंदगी बदल रही है. हम मशीनों को बदल रहे हैं और मशीनें हमें बदल रही हैं.

महेश झा/वीके