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पुतिन के राज में पैदा हुई पीढ़ी उन्हें आंख दिखा रही है

३१ मार्च २०१७

रूस में राष्ट्रपति पुतिन अगले साल अपने चौथे कार्यकाल के लिए फिर चुनावी मैदान में होंगे. लेकिन दूसरी तरफ पुतिन के राज में पैदा हुई पीढ़ी के बीच बदलाव की चिंगारी सुलग रही है.

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Russland Aufmarsch Oppositionskundgebung in Wladiwostok
तस्वीर: Reuters/Y. Maltev

26 मार्च को रूस के कई शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे. इसमें से सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. प्रदर्शनकारियों में बहुत सारे ऐसे किशोर थे जिन्होंने सिर्फ अपने देश में पुतिन का ही राज देखा है. 17 साल पहले व्लादिमीर पुतिन ने सत्ता संभाली और आगे भी वह सत्ता में बने रहना चाहते हैं.

मॉस्को में रहने वाले 17 साल के मातवेई कहते हैं, "मेरी तो पूरी जिंदगी अभी तक पुतिन के राज में बीती है.” मातवेई को भी मॉस्को में हुए प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया जा रहा था, लेकिन वह जैसे तैसे वहां से भाग निकले. वह कहते हैं, "हमें आगे बढ़ना होगा, लगातार अतीत की ही बातें बंद करनी चाहिए.”

इन प्रदर्शनों के पीछे भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले 40 वर्षीय एलेक्सी नावालनी को माना जाता है जो अपना संदेश लोगों तक फैलाने के लिए सरकार के नियंत्रण वाले टीवी चैनलों को नहीं, बल्कि इंटरनेट को इस्तेमाल करते हैं. उम्रदराज लोग ज्यादातर टीवी से ही सूचना पाते हैं.

सेंट पीटर्सबर्ग में हुए प्रदर्शनों में शामिल 18 वर्षीय मैक्सिम कहते हैं, "मेरे दोस्तों में से कोई भी टीवी नहीं देखता है, उन्हें इस पर भरोसा नहीं है.” वह बताते हैं कि पुतिन विरोधी प्रदर्शनों की योजना और जानकारी चैट एप्स ग्रुप पर लोगों के साथ साझा की गई. 

नावालनी लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए यूट्यूब और रूस में फेसबुक की तरह इस्तेमाल होने वाली वीकॉन्टाक्टे वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं. अपने एक हालिया वीडियो में उन्होंने रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव पर बेशुमार संपत्ति जमा करने का आरोप लगाया. यूट्यूब पर उनके 50 मिनट के इस वीडियो को 1.4 करोड़ बार देखा गया. हालांकि मेदवदेव के प्रवक्ता ने इन आरोपों को दुष्प्रचार कह कर खारिज किया है.

यह बात सही है कि रूस में पुतिन के सत्ता में आने के बाद से जीवनस्तर में सुधार आया है और इसीलिए ज्यादातर उम्रदराज लोग सरकारी भ्रष्टाचार की बात नहीं करते. लेकिन युवा लोग इस मामले में खासे मुखर हैं.

17 साल की कात्या कहती हैं, "मैं क्यों मानूं कि जो इस वक्त हो रहा है, वह गलत है? क्योंकि जब मैं छोटी थी तो मेरी मां मुझे कहानी सुनाती थी और उनमें कहा गया था कि चोरी करना, झूठ बोलना और किसी को मारना गलत बात है. लेकिन अब तो यही हो रहा है.”

युवा लोगों के दिलों में हिलोरें मारती बदलाव की भावना रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन के लिए बड़ी चुनौती है. बरसों से क्रेमलिन पुतिन के लिए समर्थन तैयार करने में जुटा है और इसके लिए देश में आयी स्थिरता का हवाला दिया जाता है. सोवियत संघ के विघटन के बाद फैली अवस्था के बीच रूसी लोगों के लिए स्थिरता सबसे अहम थी.

लेकिन राजनीतिक विश्लेषक येकेतारिना शुलमान कहती हैं कि जिन युवा लोगों ने वह दौर नहीं देखा, उनकी प्राथमिकताएं अलग हैं. उनके मुताबिक, "हमारी राजनीतिक व्यवस्था स्थिरता के मुद्दे से ग्रस्त है. लेकिन युवा लोगों को भविष्य का मॉडल चाहिए जो उनकी नजर में निष्पक्ष और साफ सुथरा हो.”

यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि युवा के बीच बदलाव की यह इच्छा पुतिन के शासन के लिए कोई बड़ी चुनौती साबित होगी या नहीं. फिलहाल तो सर्वे दिखा रहे हैं कि पुतिन अगले साल आसानी से जीत जाएंगे. उनके सबसे अहम प्रतिद्वंद्वी नावालनी बहुत पीछे चल रह हैं. इसके अलावा एक आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है. नावालनी अपने खिलाफ मुकदमे को राजनीति से प्रेरित बताते हैं.

एके/आरपी (रॉयटर्स)