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जर्मनी में जजों की वर्दी में स्कार्फ पर बहस

विवेक कुमार९ अगस्त २०१६

जर्मनी में इस बात पर बहस चल रही है कि जजों और वकीलों को स्कार्फ जैसे धार्मिक प्रतीक पहनने चाहिए या नहीं. रोक के समर्थकों का कहना है कि इससे निष्पक्षता प्रभावित होती है.

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Christian Wulff Prozess Zwischenbilanz 19.12.2013
तस्वीर: Getty Images

जर्मनी में फिलहाल बुर्के पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है. लेकिन जर्मनी में जजों के संगठनों की तरफ पहली बार ऐसी मांग उठी है. जजों के कई संगठनों ने मांग की है कि जज और प्रशिक्षु वकीलों पर अदालतों ने बुर्के पहनकर आने पर प्रतिबंध होना चाहिए ताकि निष्पक्षता बरकरार रखी जा सके. वैसे इस तरह का एक सीमित प्रतिबंध बर्लिन में पहले से लगा हुआ है. बर्लिन के नगर अधिकारियों पर दफ्तर में इस तरह का प्रतिबंध लागू है.

जजों के दो संगठनों, असोसिएशन ऑफ जर्मन एडमिनिस्ट्रेटिव जज और जर्मन असोसिएशन ऑफ जज के अलावा दो राज्यों बाडेन-वुर्टेमबर्ग और मेकलेनबुर्ग-वेस्ट पोमेरेनिया के न्याय मंत्रियों ने भी कहा है कि जजों और जूनियर वकीलों को कोर्ट में बुर्का पहनने से रोका जाना चाहिए. उनका तर्क है कि अपने धार्मिक विश्वासों का इस तरह सार्वजनिक प्रदर्शन दिखाता है कि कोर्ट रूम में न्यायिक निष्पक्षता का पालन नहीं हो रहा है.

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कैसे शुरू हुई बहस

बुर्के को लेकर मौजूदा बहस आउग्सबुर्ग के एक केस से शुरू हुई. इसी साल जून में बवेरिया प्रांत के इस शहर में 25 साल की एक प्रशिक्षु वकील को सिर पर स्कार्फ पहनने से रोक दिया गया. उसने मुकदमा कर दिया और जीत भी गई. आउग्सबुर्ग की प्रशासनिक अदालत ने कहा कि संघीय न्याय मंत्रालय ने 2008 में प्रशिक्षु वकीलों को कोर्ट में स्कार्फ पहनने से पाबंदी का जो निर्देश जारी किया था, वह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और उसका कोई कानूनी आधार नहीं है क्योंक बवेरिया में ऐसा कोई कानून नहीं है.

आउग्सबर्ग मामले के बाद कोर्ट में इस तरह की पाबंदी की मांग तेज हो गई है. बाडेन-वुर्टेमबर्ग राज्य के न्याय मंत्री गीडो वुल्फ इस तरह के कानून का मसौदा बना रहे हैं जिसके तहत जजों और प्रशिक्षु वकीलों पर पाबंदी लगाई जा सके. मेकलेनबुर्ग-वेस्ट पोमेरेनिया राज्य की न्याय मंत्री ऊटा-मारिया कुडेर का कहना है कि कोर्ट में अपने धर्म का प्रदर्शन करते प्रतीक पहनना अनुचित है क्योंकि जज और वकील राज्य के प्रतिनिधि होते हैं. उन्होंने कहा, "कोर्ट रूम में तो राज्य को हर हाल में और पूरी सख्ती के साथ निष्पक्ष होना होता है, लिहाजा ऐसा कोई भी प्रतीक वहां नहीं होना चाहिए जिससे निष्पक्षता में किसी भी तरह की कमी प्रतीत होती हो."

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जजों की वर्दी

जर्मनी में इस वक्त जजों को वर्दी पहननी होती है. उन्हें सफेद कमीज या ब्लाउज के साथ काला चोगा पहनना होता है. गर्दन पर सफेद बोटाइ या फिर स्कार्फ जरूरी है. असोसिएशन ऑफ जर्मन एडमिनिस्ट्रेटिव जजेस के अध्यक्ष रॉबर्ट जीगम्युलर ने द लोकल अखबार से कहा, "महिला और पुरुष दोनों जजों को एक ही तरह के कपड़े पहनने होते हैं जो इस बात का प्रतीक है कि केस का नतीजा इस बात पर निर्भर नहीं करता कि जज कौन है, बल्कि पूरी तरह इस बात पर निर्भर है कि कानून क्या कहता है." उन्होंने कहा कि अगर मामले में वादी इस्लाम के अलावा किसी और धर्म से हैं तो कपड़ों में निष्पक्षता का झलकना और ज्यादा जरूरी हो जाता है.

जर्मन फेडरेशन ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव जजेस का कहना है कि अगर जज अपनी वर्दी के अलावा सिर पर स्कार्फ पहनेंगे तो लोगों के न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर विश्वास को धक्का पहुंच सकता है.

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