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लड़कों से 16 करोड़ घंटे ज्यादा घर के काम करती हैं लड़कियां

१० अक्टूबर २०१६

क्या आप भी घर के काम करने के लिए लड़कों के बजाय लड़कियों को कहते हैं? लड़कियां, लड़कों से 40 फीसदी ज्यादा घरेलू काम करती हैं.

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Film - a girl walks home alone at night
तस्वीर: capelight pictures

5 से 14 बरस की लड़कियां अपनी उम्र के लड़कों के मुकाबले घर के कामों में 40 फीसदी ज्यादा वक्त गुजारती हैं. इसका सीधा असर उनकी खेल कूद और पढ़ाई आदि उन गतिविधियों पर पड़ता है जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं. संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घर के कामों में लड़कियां लड़कों से 16 करोड़ घंटे ज्यादा बिताती हैं.

युनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेन फंड यानी यूनिसेफ ने यह रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक खाना पकाना, सफाई करना, परिजनों की देखभाल करना, पानी लाना और ईंधन के लिए लकड़ी जुटाने जैसा घर का काम अक्सर लड़कियों का काम बन जाता है. और ऐसी लड़कियां सबसे ज्यादा दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका में हैं. सबसे खराब हालत बुरकीना फासो, यमन और सोमालिया में है.

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यूनिसेफ की मुख्य लैंगिक सलाहकार अंजू मल्होत्रा ने कहा, "इस अवैतनिक घरेलू कामकाज का बोझ लड़कियों के कंधों पर किशोरावस्था की शुरुआत में ही आ जाता है. नतीजा यह होता है कि लड़कियों को सीखने, बढ़ने और बचपन को खुलकर जीने के मौके बलिदान करने पड़ते हैं. बच्चों में इस तरह काम का असमान बंटवारा लैंगिक भेदभाव की रूढ़िवादी सोच को भी आगे बढ़ाता है. लिहाजा महिलाओं पर पीढ़ियों तक काम का बोझ बढ़ता रहता है."

विश्लेषक मानते हैं कि लैंगिक भेदभाव पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल जो अपने नए लक्ष्य तय किए थे उनमें इस बात पर आम सहमति थी कि 2030 तक अत्यधिक गरीबी और अवसरों की कमी के साथ साथ महिला विरोधी हिंसा से भी निपटना है.

जननांगों की विकृति की परंपरा से जूझती औरतें

हर 11 अक्टूबर को दुनिया इंटरनेशनल डे ऑफ द गर्ल मनाती है. इस दिन को मनाने की शुरुआत 2011 में हुई थी. इस दिन को मनाने का मकसद उन चुनौतियों के प्रति पूरी दुनिया को संवेदनशील बनाना है जिनसे दुनिया की 1.1 अरब लड़कियां जूझ रही हैं. शोधकर्ता कहते हैं कि हिंसा, बाल विवाह, महिला खतने और लड़कियों की अनपढ़ता से निपटना सिर्फ बच्चियों की क्षमताओं के लिए जरूरी नहीं है बल्कि पूरी दुनिया की आर्थिक तरक्की, शांति स्थापना और गरीबी उन्मूलन के लिए भी जरूरी है.

बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था प्लान इंटरनेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों के लिए ज्यादा काम इसलिए भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. प्लान इंटरनेशनल ने चेतावनी दी है कि करोड़ों लड़कियों की हालत ऐसी है कि वे लगभग लापता हैं क्योंकि उनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

वीके/एमजे (रॉयटर्स)