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सीरिया के बर्बर संघर्ष के इतिहास पर मंडराया खतरा

१५ सितम्बर २०१७

सीरिया का गृहयुद्ध मौजूदा दौर के सबसे बर्बर संघर्षों में से एक है. साथ ही इसे फिल्माया भी खूब गया है. लेकिन अब इसके इतिहास पर खतरा मंडरा रहा है.

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Syrien Youtube Kunst
तस्वीर: Laurens Cerulus

सीरिया के गृहयुद्ध को लेकर लाखों वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किये गये हैं, जिन्हें युद्ध क्षेत्र में फंसे लोगों ने बनाया है. ये वीडियो बीते सात साल से चल रहे सीरिया के संघर्ष के बहुत से पहलुओं को समेट हुए हैं. इनमें बमबारी में तबाह होते शहर हैं तो दूसरी तरफ अपने बच्चों की मौत पर बिखलते माता पिताओं के हृदयविदारक दृश्य. ये वीडियो सीरिया के संघर्ष में सिसकती जिंदगियों के दस्तावेज हैं.

लेकिन सीरिया के कार्यकर्ताओं को डर है कि ये वीडियो दस्तावेज खत्म हो जाएंगे क्योंकि यूट्यूब हिंसक सामग्री को नियंत्रित करना चाहता है. हाल के महीनों में, दुनिया की सबसे बड़े वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यूट्यूब ने ऐसी सामग्री को हटाने के लिए कदम उठाये हैं जो विचलित करती हो या फिर आतंकवाद का समर्थन करती हो. इसीलिए सीरियाई संघर्ष से जुड़े हजारों वीडियो बिना किसी नोटिस के हटा दिये गये हैं.

ऐसे में, कार्यकर्ताओं को आशंका है कि इस तरह मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के सबूत नष्ट हो जाएंगे. इसके साथ ही संकटग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों से वह मंच भी छिन सकता है जिसके जरिए वह दुनिया को अपने हालात से रूबरू करा सकते हैं.

इसीलिए कार्यकर्ता एक वैकल्पिक आर्काइव बनाने में जुटे हैं, लेकिन वह यह भी मानते हैं कि उनका यह आर्काइव यूट्यूब की जगह नहीं ले सकता है. इसकी वजह है यूट्यूब के पास मौजूद बढ़िया टेक्नोलॉजी और दुनिया भर में उसकी पहुंच.

सीरिया के गृहयुद्ध में सभी पक्षों की तरफ से किये जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के सबूत दर्ज करने के लिए 2014 में सीरियन आर्काइव के नाम से एक समूह बनाया गया. इस समूह के सह-संस्थापक हादी अल-खतीब यूट्यूब के बारे में कहते हैं, "यह अपनी यादों को लिखने जैसा है. ये यादें हम अपनी किताब में नहीं बल्कि किसी और की किताब में लिख रहे हैं और हमारा उस पर नियंत्रण नहीं है."

अल-खतीब बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में यूट्यूब ने सीरिया से जुड़े लगभग 180 चैनल बंद कर दिये हैं. उन्होंने यूट्यूब के साथ काम करते हुए इनमें से 20 चैनलों को दोबारा शुरू कराया है और इस तरह चार लाख वीडियो बचा लिये गये हैं. लेकिन डेढ़ लाख वीडियो का भविष्य अभी अधर में लटका है क्योंकि यूट्यूब ने अभी तक उनके बारे में फैसला नहीं लिया है.

अल खतीब कहते हैं, "अब चीजें हमेशा के लिए तो खत्म नहीं होती हैं. लेकिन यह बहुत खतरनाक है क्योंकि यूट्यूब का कोई विकल्प नहीं है."

वहीं यूट्यूब का कहना है कि अगर किसी वीडियो को गलत तरीके से हटाया गया है तो उसे वापस लाया जाएगा और इस मुद्दे का हल तलाशने के लिए सीरियाई कार्यकर्ताओं से बात हो रही है.

सीरिया के कुछ समूह यूट्यूब को इस्तेमाल न करने की बात भी कह रहे हैं. सीरिया के एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन वीडियो एंड डॉक्यूमेंटेशन सेंटर इन सीरिया (वीडीसी) का कहना है, "जोखिम बहुत बढ़ गया है और अब हमारा इस प्लेटफॉर्म (यूट्यूब) पर भरोसा नहीं रहा." वीडीसी के कार्यकारी निदेशक हुसाम अल-कातलाबी कहते हैं कि वह अपना खुद का स्टोरेज और प्लेटफॉर्म बना रहे हैं.

स्विट्जरलैंड में रजिस्टर्ड वीडीसी 2011 से ही सीरिया में मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ी जानकारियों को जमा कर रहा है और उसने 2014 से ही अपना यूट्यूब चैनल निष्क्रिय कर दिया है. लेकिन हर कोई ऐसा कर पाने की स्थिति में नहीं है. यूट्यूब भी कई सीरियाई कार्यकर्ताओं को निजी अकाउंट, वीडियो एडिट, अनुवाद और अपलोड करने के लिए मुफ्त तकनीकी मदद दे रहा है.

दरअसल यूट्यूब पर यूरोपीय और पश्चिम देशों में दबाव है कि वह हिंसक सामग्री को रोकने के लिए कदम उठाये. इसीलिए उसने कई उपाय किये हैं जिनमें मशीन लर्निंग भी शामिल है. इसमें मशीनी तरीके से "आपत्तिजनक" वीडियो सामग्री की पहचान होती है. इसके बाद विशेषज्ञ उसका मूल्यांकन कर तय करते हैं कि क्या उसे हटाये जाने की जरूरत है. यूट्यूब के प्रवक्ता का कहना है, "ज्यादातर समय मूल्यांकन करने वाले हमारे विशेषज्ञ सही फैसला करते हैं. और अगर गलती हो भी जाये तो हम उसे तुरंत ठीक कर देते हैं."

एके/एमजे (एपी)