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पाकिस्तान: बीवी के लिए नाबालिग बेटी का सौदा

३ जनवरी २०१७

मोहम्मद रमजान ना तो सुन सकता है और ना ही बोल सकता है. उसका दिमाग भी बिल्कुल बच्चे जितना है. लेकिन उसे यह जरूर पता है कि साइमा उसकी बीवी है, जो उसे बहुत कम्र में दुल्हन के तौर पर दी गई थी.

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Symbolbild Eine Frau trägt Burka Glaube Religion
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रहने वाला 36 वर्षीय रमजान मुस्कराता है और उंगलियों पर साइमा की उम्र गिनता है जब उन दोनों की शादी हुई थी. और 13 पर जाकर उसकी गिनती रुक जाती है. लेकिन साइमा के पिता वजीर अहमद का कहना है कि शादी के समय साइमा 13 की नहीं, बल्कि 14 साल की थी. लेकिन यह कोई आम शादी नहीं, बल्कि सौदेबाजी थी. ये सौदा साइमा के पिता ने किया था ताकि वह रमजान की बहन को अपनी दूसरी पत्नी बना सकें.

वजीर अहमद की पहली पत्नी यानी साइमा की मां से सिर्फ लड़कियां ही पैदा हुईं. वजीर खान को उम्मीद थी कि अगर वह दूसरी शादी कर लेगा तो बेटा पाने की उसकी मुराद पूरी हो सकती है.

देखिए शादी के कानून जो होश उड़ा देंगे

लेकिन सबील तब तक शादी नहीं कर सकती थी जब तक उसके भाई की देखभाल करने के लिए घर में उसकी बीवी ना आ जाए. वह बदले में दुल्हन बनने को तैयार हो गई थी. सबील का कहना है कि वह अपने भाई की खातिर ही अहमद वजीर से शादी करने को राजी हुई. उसका कहना है, "कोई भी मेरे भाई को अपनी बेटी देने को तैयार नहीं था.”

वजीर अहमद का कहना है, "हमने अपनी एक लड़की दी और उनके परिवार की एक लड़की ले ली. यह हमारा हक है.” पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में दूरदराज के इलाकों में इस तरह लड़की लेने और देने का चलन आम है. स्थानीय लोग इसे "वत्ता सत्ता" कहते हैं जिसका मतलब है लेना और देना. यहां तक कि कर्ज चुकाने के लिए भी लड़कियां दी जाती हैं. इसके अलावा, दहेज की रकम को परिवार में ही रखने के लिए लड़कियों की शादी चचेरे भाइयों से भी कर दी जाती है.

बहुत से लोगों का कहना है कि इस्लाम के मुताबिक किशोर अवस्था में पहुंचते ही बेटी की शादी कर देना हर पिता की जिम्मेदारी होती है. पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग के फैसल तंगवानी कहते हैं, "अगर जल्दी लड़कियों की शादी नहीं की जाती, तो हमारे समाज में माना जाता है कि माता पिता ने अपनी धार्मिक जिम्मेदारियां पूरी नहीं की हैं.”

रुक नहीं रही हैं कम उम्र में शादियां

बेटी की शादी एक अपाहिज से होने को वजीर अहमद खुदा की मर्जी मानता है. उसका कहना है, "अल्लाह ने वह ही उसकी किस्मत में लिखा है. यही उसका मुकद्दर है.” रमजान और साइमा की उम्र में लगभग 20 साल का फासला है, लेकिन वजीर अहमद को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. इस इलाके में शादी के लिए कानूनी उम्र 16 साल है. इसीलिए जब पुलिस को साइमा की शादी के बारे में शिकायत मिली तो उन्होंने कार्रवाई की. यह शिकायत शायद उनके किसी रिश्तेदार ने की जिसका साइमा के पिता से झगड़ा चल रहा था.

रमजान और वजीर अहमद को कुछ दिन तक जेल में रहना पड़ा, लेकिन फिर साइमा ने अदालत में गवाही दी कि शादी के वक्त उसकी उम्र 16 साल थी और इस तरह दोनों को रिहा कर दिया गया. साइमा का कहना है कि उसने अपने पिता और पति को बचाने के लिए ऐसा किया था.

एके/आरपी (एपी)