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महिलाओं के लिए हर गली असुरक्षित

विश्वरत्न श्रीवास्तव४ अगस्त २०१६

यूपी में इस साल बलात्कार के 9,000 मामले दर्ज हो चुके हैं. एमपी, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों की हालत कई सवाल खड़े कर रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Sharma

वहां से तो इस तरह की खबरें नहीं आतीं. पर सच यह है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होते हैं. बीते कुछ सालों से मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. आलम यह है कि यहां हर रोज लगभग 14 महिलाओं से रेप हो रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.

महिला अपराधों पर नियंत्रण नहीं

पुलिस मुख्यालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में महिलाओं के विरुद्ध कुल 25,731 अपराध दर्ज हुए हैं. इसमें बलात्कार के 5,071 मामले भी शामिल हैं. 272 मामले गैंगरेप के हैं. 2016 के शुरुआती 6 महीनों के जो रिकॉर्ड सामने आए हैं, उनके अनुसार, राज्य में इस साल अभी तक लगभग सात प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है. बीते साल 2015 में जनवरी से जून तक कुल 24,233 महिला-विरोधी अपराध हुए जबकि इस साल जून तक 25,860 अपराध दर्ज किए गए.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने अभी 2015 के आकड़े जारी नहीं किए हैं. एनसीआरबी के 2014 के आकड़ों के मुकाबले मध्यप्रदेश में 2015 में बलात्कार के मामलों में मामूली कमी आई है. इसके अलावा दहेज हत्या, उत्पीड़न के मामलों में भी मामूली सुधार हुआ है.

बच्चियों से दुराचार बढ़ा

नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के मामले भी मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहे हैं. 2015 में दर्ज हुए बलात्कार के 5,071 मामलों में से 605 में बाल यौन शोषण सरंक्षण अधिनियम यानी पोक्सो एक्ट लगाया गया है. बच्चियों के साथ छेड़छाड़ और अन्य हिंसा के मामले भी राज्य की चिंताजनक तस्वीर पेश करते है. भारत भर में पांच साल में बच्चों से बलात्कार के मामलों में 151 फीसदी की वृद्धि हुई है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2010 में दर्ज 5,484 मामलों से बढ़कर यह संख्या 2014 में 13,766 हो गई है. इसके अलावा पोक्सो एक्ट के तहत देश भर में 8,904 मामले दर्ज किए गए हैं.

यूपी एवं अन्य राज्यों की स्थिति

एनसीआरबी की पिछली रिपोर्ट में बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर था. मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान का नंबर था जहां 3,759 मामले सामने आये जबकि तीसरे नंबर पर मौजूद उत्तर प्रदेश में तब बलात्कार के 3,461 मामले पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हुए. इन सबके बीच अगर अपराध दर यानी अपराध प्रति लाख आबादी के हिसाब से देखें तो दिल्ली सबसे आगे है.

इस साल की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की स्थिति बिगड़ने की आशंका है. महिला अपराधों में तेजी से हुई वृद्धि और पीड़ितों द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के चलते एनसीआरबी की आने वाली रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर आ सकता है. पुलिस थानों में दर्ज शिकायत को लेकर मीडिया में आ रही रिपोर्टों के अनुसार 2015 में राज्य में बलात्कार के 9,000 से ज्यादा अपराध दर्ज हुए हैं.

महिला सुरक्षा के मामले में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और दिल्ली की स्थिति भी चिंताजनक ही है. महाराष्ट्र में 26,693 मामले महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ दर्ज किए गए तोवहीं असम में 19,139 मामले सामने आए. देशकी राजधानी दिल्ली में 15,265 महिलाओं पर अत्याचार केखिलाफ दर्ज किए गए जो अपराध दर यानी अपराध प्रति लाख आबादी के हिसाब से सर्वाधिक है.

सख्त सजा की मांग

बुलन्दशहर गैंगरेप के पीड़ितों ने अपराधियों को सख्त सजा की मांग की है. पीड़िता ने आंख फोड़ने की बात कही है तो पीड़ितों का दर्द देखने के बाद राजनीति में भी उबाल आया हुआ है. गुनाहगारों को सबके सामने गोली मारने से लेकर उन्हें अंधा करने जैसी सजा की मांग की जा रही है. दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने बलात्कारियों को “सार्वजनिक रूप से मौत की सजा” देने की वकालत की है. वहीं महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप और उसकी हत्या के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे को लगता है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों पर नियंत्रण के लिए शरीयत जैसे कानून की आवश्यकता है. वैसे, राज ठाकरे के राजनीतिक विचारों से असहमति रखने वाले नितिन पाटिल भी बलात्कारियों से निपटने के लिए शरियत जैसे कड़े कानून को उपयोगी मानते हैं.