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सौर ऊर्जा को बंदरों का खतरा

१९ जुलाई २०१६

भारत का मकसद 2022 तक रूफ सौर पैनलों के जरिए 40 हजार मेगावाट ऊर्जा जुटाना है. लेकिन इसमें चुनौती बन रहे हैं बंदर. अब बंदरों के खतरे के लिए पैनलों का बीमा कराने की योजना बन रही है.

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Rhesusaffe Nahaufnahme
तस्वीर: AP

जयपुर के व्यापारी नरेंद्र सेठी ने पिछले साल अक्टूबर में जब पहली बार अपनी सीधी छत पर सोलर पैनल लगवाया तो इसने आस-पास के सारे लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. लेकिन सिर्फ लोगों का ही ध्यान नहीं खींचा बल्कि इस अजीब सी चीज ने बंदरों को भी आकर्षित किया. भारत में बंदर यूं भी घरों और दफ्तरों में बिन बुलाए मेहमान हैं. ये सेठी की छत में भी चढ़े, सोलर पैनलों को नुकसान पहुंचाया और कनेक्टर केबल को तोड़ दिया. अब सेठी ने नए पैनल्स 8 फीट की ऊंचाई पर लगाए हैं. इनके तारों को अच्छी तरह ढक कर रखा गया है. सेठी कहते हैं, ''पैनल्स को ऊंचाई पर लगाना ठीक है. इससे छत खाली भी हो जाती है और बंदरों से सुरक्षा भी हो जाती है.''

Solarpark Indien
तस्वीर: SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images

अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक भारत मार्च 2017 तक राष्ट्रीय ग्रिड में सौर ऊर्जा की क्षमता में दो गुना से अधिक का इजाफा करना चाहता है. भारत का मकसद 2022 तक रूफ सौर पैनलों के जरिए 40 हजार मेगावाट ऊर्जा जुटाना है. अभी ग्रिड से जुड़े रूफ टॉप पैनलों के जरिए महज 400 मेगावाट ऊर्जा मिल रही है. ऐसे में स्वाभाविक रूप से देश भर की छतों पर सौर पैनलों को लगाए जाने का अभियान चलाया जाना है. मंत्रालय के मुताबिक इसके लिए 30 प्रतिशत सरकारी सब्सिडी दी जा रही है.

लेकिन सौर उर्जा को बढ़ाने के लिए भारत में कुछ असामान्य किस्म की चुनौतियां हैं. कहीं मौसम की चुनौतियां हैं तो कहीं विनाशक बंदरों की. और इनसे सुरक्षा का मसला सिर्फ तकनीकी नहीं है बल्कि सोलर पैनल के डरे हुए ग्राहकों को बीमा योजनाओं की भी पेशकश करनी होगी.

Arbeiter in einer Solaranlage in Indien
तस्वीर: C.Khanna/AFP/Getty Images

दिल्ली में रहने वाली तान्या बत्रा, सोलर यंत्र बेचने वाली कंपनी संकल्प एनर्जी में मार्केटिंग वाइस प्रेसिडेंट हैं. वह कहती हैं, ''उत्तर भारत में ग्राहकों की ओर से बंदरों के सोलर पैनल तोड़ देने की शिकायत बेहद आम है. इसलिए यह जब वे सोलर की तरह की कोई महंगी चीज खरीदते हैं तो उनका चिंतित होना स्वाभाविक है.''

हालांकि रूफ टॉप पैनलों के इस्तेमाल में हो रही बढ़ोत्तरी के चलते इनकी कीमतें गिरी हैं और यह काफी चलन में आ रहे हैं. ऐसे में कंपनियां इन पैनलों को बंदरों से बचाने के लिए कुछ कदम उठा रही हैं. मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस समस्या से निजात पाने के लिए मंत्रालय बीमा प्रदाताओं के साथ काम कर रहा है जिससे कि सोलर पैनलों का भी बीमा हो सके. इस बीमा के तहत प्राकृतिक आपदाओं, खतरनाक मौसम के असर, चोरी और बंदरों के खतरे से सोलर पैनलों का बीमा हो सकेगा.

Solar Indien
तस्वीर: dapd

अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव तरुण कपूर कहते हैं, ''बीमा कंपनियों के समूह की ओर से देश भर में लगाए गए सौर ऊर्जा संयंत्रों के बीमा के लिए सुझाव मांगे गए हैं. उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में यह समूह सरकार को अपने सुझाव देगा.''

तान्या बत्रा उम्मीद जताती हैं कि इस तरह का ​बीमा खरीददारों को आकर्षित करेगा, ''लेकिन इसके लिए सरकारी रफ्तार के बजाय तेजी से काम किए जाने की जरूरत है.''

पिछले महीने, विश्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक को 62 करोड़ 50 लाख डॉलर का ऋण देने की घोषणा की, ताकि इसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा से जुड़ी कंपनियों को बढ़ाने में किया जा सके. अधिकारियों का कहना है कि तकरीबन 80 हजार नए सोलर रूफ टॉप संयंत्रों को लगाए जाने का लक्ष्य है जिनमें से हर एक 5 किलोवाट ऊर्जा पैदा करेगा. इससे राष्ट्रीय ग्रिड में तकरीबन 400 मेगावाट ऊर्जा का इजाफा होगा.

आरजे/आरपी (थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन)