1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इराक युद्ध के बाद दुनिया बेहतर हुई या बदतर?

विवेक कुमार७ जुलाई २०१६

इराक युद्ध के बाद से छह लाख लोग मारे जा चुके हैं. टोनी ब्लेयर और जॉर्ज डब्ल्यू बुश मानते हैं कि दुनिया बेहतर हुई है. चिलकोट रिपोर्ट को खारिज करते हुए वह कहते हैं कि हमने जो किया, सही किया.

https://p.dw.com/p/1JL1K
Großbritannien Chilcot-Bericht Anhörung und Ergebnis des Ausschusses
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood

बीते एक हफ्ते में इराक में 250 लोग मारे गए हैं. बम धमाकों, आतंकी हमलों और गोलीबारी में. इन 250 लोगों की जान क्यों गई? उसी वजह से जिस वजह से लांसेट के सर्वे के मुताबिक मार्च 2003 से जून 2006 के बीच छह लाख लोग मरे थे. वही वजह, जिसने इस्लामिक स्टेट को जन्म दिया. वही वजह, जिसने आतंकवाद को घर-घर तक पहुंचने में मदद की. वही एक वजह, एक फैसला जो 2003 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और उनके दोस्त तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने लिया था. बुश के उस एक फैसले ने दुनिया के दो टुकड़े कर दिए थे. उन्होंने कहा था, तुम या तो हमारे साथ हो या हमारे खिलाफ. और ब्लेयर ने कहा था, जो भी हो जाए मैं आपके साथ हूं. इन दोनों नेताओं को और उस वक्त उनका साथ देने वाले बाकी बड़े नेताओं को भी अपने उस "गलत सूचनाओं और झूठे दावों" पर आधारित फैसले पर कोई पछतावा नहीं है.

इराक युद्ध में ब्रिटेन के शामिल होने की वजह तलाशने के लिए बनाई गई चिलकोट कमिटी की रिपोर्ट कहती है कि युद्ध करना गलत फैसला था. इस रिपोर्ट के मुताबिक, "सद्दाम हुसैन से फौरी तौर पर कोई खतरा नहीं था. सेना भेजने से पहले कूटनीतिक विकल्प नहीं आजमाए गए." युद्ध में कूदने के टोनी ब्लेयर के फैसले को गलत बताते हुए पूर्व ब्रिटिश अफसरशाह चिलकोट ने कहा कि फैसले के कानूनी आधार संतोषजनक नहीं थे. उन्होंने कहा, "हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि असैनिक तरीके आजमाए बिना ब्रिटेन युद्ध में कूद गया. उस वक्त सैन्य हमला आखिरी विकल्प नहीं था." चिलकोट वही कह रहे हैं जो युद्ध विरोधी कार्यकर्ता सालों से कहते आए हैं कि यह बुश और ब्लेयर की निजी लड़ाई थी जिसमें लाखों लोगों की जान ले ली गई. रिपोर्ट आने के बाद इराक में अपने सैनिक भाई को खो देने वाली एक महिला ने बिलखते हुए कहा, "मेरे भाई की जान एक आतंकवादी ने ली, जिसका नाम टोनी ब्लेयर है."

रमजान में बहा खून

ब्लेयर को कोई पछतावा नहीं है. जॉर्ज डब्ल्यू बुश को भी नहीं है. इस फैसले में उनका साथ देने वाले तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जॉन हार्वर्ड को तो कतई नहीं है. इन लोगों का मानना है कि दुनिया अब एक बेहतर जगह है. टोनी ब्लेयर ने पूरी भावुकता के साथ अपनी सफाई पेश की. उन्होंने कहा, "मैं मानता हूं कि हमने एकदम सही फैसला किया और दुनिया अब ज्यादा सुरक्षित और बेहतर जगह है." एकदम भर्राई आवाज में लगभग रो देने को तैयार ब्लेयर ने कहा कि युद्ध की योजना बनाने में जो गलतियां हुईं उनके लिए मुझे जितना दुख और पछतावा है और उसके बारे में तो आप लोग सोच भी नहीं सकते. लेकिन उनकी नजरों में दुनिया अब ज्यादा सुरक्षित है. और जॉर्ज डब्ल्यू बुश की नजरों में भी. उन्होंने चिलकोट रिपोर्ट आने के बाद एक बयान जारी कर कहा कि सद्दाम हुसैन के बिना दुनिया बेहतर जगह है. हालांकि वह शख्स ऐसा नहीं मानता जिसने 2003 में सद्दाम हुसैन की हार के बाद बगदाद में लगी उसकी मूर्ति तोड़ी थी.

सबसे खूनी साल बना 2016

कदीम शरीफ अल जबूरी ने 2003 में जब सुना कि पश्चिमी सेनाएं शहर में आ गई हैं और सद्दाम हुसैन का शासन खत्म हो गया है तो वह खुशी में झूमते हुए अपने घर से निकल आए थे. वह चौराहे पर लगी हुसैन की मूर्ति पर चढ़ गए थे और उसे तोड़ दिया था. अब 13 साल बाद उन्होंने बीबीसी से कहा, "अब जब मैं उस मूर्ति वाली जगह से गुजरता हूं तो मुझे शर्म आती है. मैं खुद से पूछता हूं कि मैंने वह मूर्ति क्यों तोड़ी. मैं उसे दोबारा बनाना चाहता हूं. दोबारा वहीं खड़ा कर देना चाहता हूं. लेकिन मुझे डर है कि ऐसा करने पर मुझे कत्ल कर दिया जाएगा."