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जापान ने दी भारत को डब्ल्यूटीओ में खींचने की धमकी

२३ जनवरी २०१७

जापान ने भारत को डब्ल्यूटीओ में ले जाने की धमकी दी है. विवाद स्टील व्यापार को लेकर है. आमतौर पर बातचीत से विवाद हल करने वाले जापान की ओर से ऐसा कदम सबको हैरान कर रहा है.

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Stahlfabrik in Japan
तस्वीर: AP

जापान का आरोप है कि पिछले एक साल में उसका भारत को स्टील निर्यात आधा हो गया है क्योंकि भारत ने कुछ प्रतिबंध लगा रखे हैं. इस पूरे विवाद को दुनियाभर में व्यापार विवादों की शुरुआत का संकेत माना जा रहा है.

जापान को आमतौर पर आक्रामक प्रतिक्रियाएं करते नहीं देखा जाता. स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश जापान विवादों को बातचीत से हल करने का पक्षधर रहा है. लेकिन स्टील जापान के वैश्विक उद्योग का अहम हिस्सा है. जापान जितनी चीजें विदेशों को बेचता है, उसका करीब आधा स्टील ही होता है. इसलिए अपने इस क्षेत्र के बचाव में जापान ने आक्रामक रुख दिखाया है.

भारत के अपने स्टील उद्योग की सुरक्षा के अलावा जापान की चिंता अमेरिका के नये राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के आने के बाद वैश्विक व्यापार में होने वाली उथल पुथल भी है. ऐसे में जापान को लगता है कि उसे अपने हितों की रक्षा के लिए मजबूती से खड़ा होना होगा. इसी के तहत उसने 20 दिसंबर को डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ शिकायत की थी. इस बारे में उद्योग मंत्रालय के एक अफसर ने बताया, "हमें अनुचित व्यापारिक व्यवहार को फैलने से रोकना होगा."

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भारत ने सितंबर 2015 में कुछ स्टील उत्पादों पर 20 प्रतिशत की ड्यूटी लगा दी थी. फरवरी 2016 में उसने आयात के लिए एक न्यूनतम मूल्य निश्चित कर दिया ताकि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देश स्थानीय स्टील उद्योग में सेंध ना लगा पाएं.

जापान के उद्योग मंत्रालय के अफसर ने कहा, "अगर बातचीत से विवाद हल नहीं हो पाया तो हम विश्व व्यापार संगठन से फैसला सुनाने का आग्रह कर सकते हैं." जापान ने डब्ल्यूटीओ से 20 दिसंबर को सलाह मांगी थी. नियम है कि 60 दिन के भीतर विवाद हल ना हो तो कार्रवाई की जा सकती है. जापान का कहना है कि भारत का कदम विश्व व्यापार संगठन के नियमों के विपरीत हैं और इस कारण से भारत में उसका निर्यात गिरा है. 2015 में जापान भारत को स्टील निर्यात करने वाला छठा सबसे बड़ा देश था और नवंबर में यह 10वें स्थान पर आ गया.

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स्टील को लेकर दुनियाभर में व्यापारिक विवाद बढ़ रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक चीन ने बेहद सस्ती कीमतों पर निर्यात किया है. इस कारण वियतनाम, मलेशिया और दक्षिण कोरिया उस पर पाबंदियां लगाने पर विचार कर रहे हैं. नतीजतन चीन का निर्यात 2016 में 3.5 प्रतिशत तक गिरा है. और अब ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद माहौल तनावग्रस्त है क्योंकि नये अमेरिकी राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार संधियों को तोड़ने और भारी भरकम आयात कर लगाने की बातें कही हैं. कैनन इंस्टिट्यूट फॉर ग्लोबल स्टडीज के रिसर्च निदेशक काजुहितो यामाशिता कहते हैं कि ट्रंप के आने के बाद व्यापारिक विवादों का सैलाब नजर आ सकता है.

वीके/एके (रॉयटर्स)