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तकनीक कर रही है खिलाड़ियों का स्टैमिना बढ़ाने में मदद

१५ नवम्बर २०१६

जर्मनी में फुटबॉल खिलाड़ियों को कड़ी मेहनत से तैयार किया जाता है. इसमें तकनीक की भी भूमिका है. जानिए, लेवरकुजेन की टीम कैसे ले रही है तकनीक की मदद.

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DFB-Pokal Viertelfinale Bayer 04 Leverkusen 1. FC Kaiserslautern
तस्वीर: picture-alliance/dpa

फुटबॉल दुनिया का लोकप्रिय खेल है. पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ियों को टीम में बने रहने के लिए नियमित रूप से अत्यंत उच्च स्तर पर कुशल खेल का प्रदर्शन करना होता है. इस बात को सिमोन रॉल्फेस से बेहतर कौन जान सकता है. रॉल्फेस जर्मनी की प्रीमियर लीग बुंडेसलीगा के बायर लेवरकूजेन क्लब के कप्तान रहे हैं. वह जानते हैं कि उनकी शारीरिक तंदरुस्ती जीत या हार का फैसला कर सकती है लेकिन हर पल चोट लगने का डर लगा रहता है. इसलिए आजकल क्लबों के मेडिकल डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी बढ़ गई है. वे टीम की कामयाबी में अहम रोल निभाते हैं. रॉल्फेस बताते हैं, "चूंकि मैं चोट लगने के बाद लंबे समय तक खुद पर ज्यादा जोर नहीं डाल सकता, हमने फिटनेस बनाए रखने के लिए एल्टीट्यूड चैंबर में ट्रेनिंग की."

तस्वीरों में, जब पांव धोखा दे जाए

बायर लेवरकूजेन का ट्रेनिंग सेंटर दुनिया के सबसे आधुनिक सेंटरों में से है. यहां अत्याधुनिक यंत्रों की मदद से शारीरिक मुश्किलों की विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों को सिमुलेट किया जा सकता है. मसलन एक एंटी ग्रैविटी ट्रेडमिल है. इस पर चलना चांद पर चलने जैसा होता है. 3,500 मीटर की ऊंचाई जैसी स्थिति पैदा करने के लिए कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा घटाई जा सकती है और फुटबॉलरों को ट्रेनिंग के लिए विशेष माहौल दिया जा सकता है.

लेवरकुजेन के स्पोर्ट्स साइंटिस्ट कार्स्टन राडेमाखर बताते हैं, "हमारे यहां बहुत तरह की सुविधाएं हैं. एल्टीट्यूड चैंबर उनमें से एक है, जहां हम आल्प्स की चोटी के माहौल में स्टैमिना ट्रेनिंग देते हैं." यानी कमरे के भीतर ही ऐसे हालात पैदा किए जाते हैं मानो आप पहाड़ की किसी चोटी पर दौड़ रहे हैं. कम गुरुत्वाकर्षण का मतलब होता है जोड़ों पर कम दबाव. कमरे में सांस में ली जाने वाली हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है. ये ऑक्सीजन लेने की जरूरत बढ़ाता है और शरीर में रक्त की लाल कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है. नतीजा होता है उच्च स्तर का स्टैमिना. रॉल्फेस कहते हैं, "ऊंचाई का खास तौर पर मेरे कार्डियो वस्कुलर सिस्टम पर असर पड़ता है और दौड़ना कठिन काम हो जाता है. साथ ही ओवर प्रेसर ट्रेड मिल की मदद से मैं जल्द ही सामान्य जॉगिंग कर सकता हूं, हद से ज्यादा कर देने के डर से मुक्त होकर."

ये हैं फुटबॉल के नए नियम

कार्स्टन राडेमाखर ने खिलाड़ियों के लिए कई तरह के टेस्ट तैयार किए हैं. जैसे टैपिंग टेस्ट जिसमें दोनों पैरों के साथ छह सेंकड में जितना हो सके धरती के संपर्क में रहते हैं. या फिर थ्री चैंबर्स टेस्ट. थ्री चैंबर्स टेस्ट अभ्यास के आखिर में होता है. खिलाड़ी मास्क, ऊन का हैट और ग्लव्स पहनकर चैंबर में जाते हैं. तापमान ध्रुवीय होता है यानी माइनस 100 से भी नीचे. कार्स्टन राडेमाखर कहते हैं, "कोल्ड चैंबर का सबसे बड़ा फायदा ये है कि खिलाड़ी बहुत जल्द आराम पाते हैं और खासकर इंग्लिश वीक्स के दौरान जब हम चैंपियंस लीग, बुंडेसलीगा और जर्मन कप के खेलते हैं, जल्द से जल्द सामान्य स्तर पर आ जाते हैं."

हर चैंबर पहले से ज्यादा ठंडा होता जाता है. भारी ठंड में खून की बाहरी धमनियां सिकुड़ती हैं, आइस बाथ की तरह, बस वैसा मजा नहीं आता. खिलाड़ी हर मैच या ट्रेनिंग सेशन के बाद आइस चैंबर का इस्तेमाल करते हैं. ठंडे चैंबर चोट लगने के बाद ठीक होने के समय को घटाने में मदद करते हैं. इतनी मेहनत के बाद ही खिलाड़ी विश्व स्तरीय प्रदर्शन के लिए तैयार हो पाते हैं.

महेश झा