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लेजर की मदद से होगा कैंसर का खात्मा

महेश झा२९ जून २०१६

अब वैज्ञानिक लेजर किरणों को इस तरह केंद्रित कर एक बिंदु पर निशाना साधना चाहते हैं जिससे कैंसर की कोशिका जहां हो वहीं खत्म हो जाए. इसके लिए रिसर्च काफी आगे पहुंच चुकी है.

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Symbolbild Brustkrebsvorsorge
तस्वीर: picture alliance/CHROMORANGE

वैज्ञानिकों को लेजर की किरणों को इस तरह समेटने में कामयाबी मिली है कि वह सूरज की ताकत को कलम की नोक पर केंद्रित कर सकें. एक धार जो भविष्य में कैंसर के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला देगी. यह खोज बहुत ही मानवीय भावनाओं से निकली है. इसे संभव बनाया है ड्रेसडेन के रिसर्चर प्रो. मिषाएल बाउमन ने. वह कहते हैं कि मुझे बहुत दुख होता है कि मैं सभी मरीजों का इलाज नहीं कर पाता और यही दुख मुझे रिसर्च करने के लिए प्रेरित करता है

कैंसर में ये हैं फायदेमंद

अब तक कैंसर के इलाज के लिए जो प्रक्रिया इस्तेमाल की जा रही है उसमें ट्यूमर को खत्म करने वालीं किरणें स्वस्थ कोशिकाओं को भी मार डालती हैं. साथ ही इस बात का भी खतरा रहता है कि कैंसर ग्रसित सभी कोशिकाएं नष्ट नहीं होंगी. प्रोफेसर बाउमन ट्यूमर के कण-कण को खोजते हैं और फिर उस पर हमला किया जाता है. इस रिसर्च में बाउमन के साथी प्रो. अबोलमाली समझाते हैं, “हम मरीज के शरीर के अंदर बड़ा सा जख्म देखते हैं और जांच करते हैं कि ट्यूमर कितना बुरा है. फिर उसे सीटी स्कैन के साथ मिलाकर देखते हैं संदेह की पुष्टि करते हैं.“

इस ट्यूमर को अब प्रोटोन किरणों से जलाया जाता है. बाउमन ने प्रोटोन किरणों का यह क्रांतिकारी इस्तेमाल शुरू किया है. प्रोटोन की किरणों को केंद्रित किया जा सकता है इसलिए वे स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट नहीं करतीं. बाउमन बताते हैं, “प्रोटोन में कम ऊर्जा होती है, जिसकी वजह से वह बहुत कम क्षति पहुंचा सकता है. वह शरीर में घुसता है, स्वस्थ कोशिकाओं को बहुत कम नुकसान पहुंचाता है और फिर अचानक अपनी ऊर्जा तेजी से बढ़ाता है और कैंसर के सामने कोई मौका नहीं रहता.“

छुरी की धार से तराशा सौंदर्य

लेकिन प्रोटोन का रेडिएशन लेना जटिल और महंगा है. प्रोफेसर बाउमन की टीम का इरादा किफायती और अच्छी थेरेपी विकसित करना है. उसका समाधान लेजर है. हाल ही में रिसर्चरों ने साबित किया है कि कोशिकाओं को लेजर की रोशनी से भी नष्ट किया जा सकता है. बाउमन बताते हैं कि दुनिया भर में हम अकेले ग्रुप हैं जो रेडिएशन के डोज को कंट्रोल करने की हालत में थे. यह कैंसर के इलाज में अहम कदम है. इसके इस्तेमाल में आने पर क्लीनिकों को प्रोटोन से ट्यूमरों को नष्ट करने के लिए महंगे पार्टिकल एक्सेलेटर खरीदने की जरूरत नहीं होगी. इसके लिए लेजर ही काफी होगा.

महेश झा