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घंटों की यात्रा सेकंड्स में तय करेगी मेट्रो!

विवेक कुमार२४ जून २०१६

अगर रूस की यह योजना कामयाब रही तो मॉस्को के लोग जिस यात्रा में एक घंटा लगाते हैं, वहां कुछ सेकंड्स में पहुंच जाया करेंगे. रूस ने अमेरिका की एक कंपनी हाईपरलूप वन से समझौता किया है जिसके तहत भविष्य का यातायात बनाया जाएगा.

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Moskau U-Bahn Archivbild 31.01.2014
तस्वीर: picture-alliance/dpa

हाईपरलूप नाम का यह सिस्टम हाई-स्पीड यात्रा को नए मुकाम पर ले जाएगा. हाईपरलूप में एक ट्यूब होती है जिसके अंदर हवा नहीं होती. इसके अंदर चुंबकीय तश्तरियां तैरती हैं. ये तश्तरियां ही लोगों को 1200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से एक जगह से दूसरी जगह ले जाएंगी. यानी दिल्ली से मुंबई सवा घंटे के भीतर.

हाईपरलूप वन के संस्थापक शेरविन पिशेवर ने कहा, "हाईपरलूप मॉस्को के 16 लाख लोगों की जिंदगी में नाटकीय सुधार ला सकती है. उनकी यात्रा आज के मुकाबले कुछ अंशों तक रह जाएगी." पिशेवर ने बताया कि योजना का एक हिस्सा सामान को इसी रफ्तार से एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए सुविधाएं तैयार करना भी है. उन्होंने कहा, "भविष्य में हम रूस के साथ मिलकर एक नया सिल्क रोड बनाना चाहते हैं, एक कार्गो हाईपरलूप जिसमें सामान से लदे कंटेनरों को चीन से यूरोप सिर्फ एक दिन में भेजा जा सकेगा."

भविष्य का यातायात ऐसा होगा

अभी यह नहीं पता है कि इस योजना पर कुल कितना खर्च आएगा और संभव है कि मॉस्को शहर में हाईपरलूप अपनी पूरी रफ्तार से न चले. लेकिन इसके सफल संचालन से लोगों की जिंदगी की रफ्तार बेहद कम हो सकती है.

साइंस फिक्शन जैसी हो जाएगी दनिया

हाईपरलूप वन फिनलैंड, स्वीडन, नीदरलैंड्स, स्विट्जरलैंड, दुबई और ब्रिटेन के अलावा अमेरिका के लॉस ऐंजेलिस में भी स्टडी कर रही है. यह सपना सबसे पहले टेस्ला मोटर्स के चीफ एग्जेक्यूटिव ऑफिसर एलन मस्क ने 2013 में देखा था. उन्होंने योजना बनाई थी कि लॉस ऐंजेलिस से सैन फ्रांसिस्को की यात्रा सिर्फ 30 मिनट में पूरी हो जाए. सपना देखकर कागज पर लिख लेने से बात आगे बढ़कर यहां तक पहुंच गई है कि इसे पूरा किया जा सकता है. लेकिन दुनिया में अभी ऐसा कहीं हो नहीं रहा है. मतलब जब होगा तो पहली बार ही होगा. और जब होगा तो दनिया बदल जाएगी. यह एक ऐसी तकनीक होगी जो साइंस फिक्शन को असलियत में तब्दील कर देगी.

भविष्य के लिए विकल्प

डिजायनर्स के सामने अभी कई चुनौतियां हैं जैसे कि इतनी तेज रफ्तार को यात्री झेलेंगे कैसे. मतलब लोगों को उलटियां भी लग सकती हैं. और फिर एक बंद ट्यूब में बैठकर एक जगह से दूसरी जगह जाने का डर भी तो लोगों के मन में होगा. उससे कैसे निपटा जाएगा? हाईपरलूप अभी इन्हीं समस्याओं के हल खोजने में जुटी है लेकिन कंपनी का कहना है कि यह सपना पूरा होने में अब ज्यादा देर नहीं है. कंपनी के अधिकारी रॉब लॉयड ने बताया कि 2019 तक सामान को भेजने के लिए हाईपरलूप तैयार हो जाएगा. और 2021 तक लोग भी हाईपरलूप से यात्रा करने लगेंगे.

अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि सबसे पहला हाईपरलूप कहां शुरू होगा. कंपनी ने एक प्रतियोगिता शुरू की है जिसमें लोगों से ऐसे इलाके बताने को कहा गया है जहां हाईपरलूप कामयाब हो सकता है. एक महीने के भीतर इसके लिए 45 देशों से 225 से ज्यादा लोग अपने विचार भेज चुके हैं.

वीके/आईबी (रॉयटर्स)