मोटापा खर्च करवाएगा 1.2 हजार अरब डॉलर
मोटापे की समस्या तेजी से पांव पसार रही है. इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया तो 2025 तक हर साल इससे होने वाली बीमारियों के इलाज पर दुनिया को 1.2 हजार अरब डॉलर खर्च करने होंगे. यह चेतावनी वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन ने दी है.
समस्या का विस्तार
मोटापे की समस्या 1980 से लेकर 2014 के बीच दोगुनी हो गयी है. ज्यादातर मोटे लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहां कम वजन की वजह से मरने वालों की संख्या मोटापे से मरने वाले लोगों से कम है.
28 लाख मौतें
दुनिया भर में हर साल मोटापे या जरूरत से ज्यादा वजन होने की वजह से 28 लाख लोग मारे जाते हैं. यह आंकड़ा समस्या की गंभीरता और तुरंत कदम उठाने की जरूरत पर जोर देता है.
बच्चों पर वार
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बच्चों में मोटापे की समस्या 21वीं सदी की सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है. इसकी वजह से बच्चों में कई बीमारियां घर कर रही हैं.
भयावह आंकड़े
2014 में दुनिया भर में 1.9 अरब लोगों का वजन जरूरत से ज्यादा पाया गया. वहीं मोटापे का शिकार लोगों की संख्या 60 करोड़ के आसपास थी. इस तरह 39 फीसदी व्यस्क ओवरवेट है जबकि 13 फीसदी मोटापे का शिकार.
मोटापे की जड़
मोटापे की सबसे बड़ी वजह ज्यादा कैलोरी और चिकनाई वाला खाना और शारीरिक परिश्रम ना करना है. ऐसे ज्यादातर लोग शहरों में रहते हैं और उनकी नौकरी भी ज्यादातर समय बैठे रहने की होती है.
बीमारियों का घर
मोटापे का शिकार या वजनी लोगों को दिल की बीमारी होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है. इसके अलावा उन्हें डायबिटीज, आर्थेराइटिस और कई तरह के कैंसर होने के भी ज्यादा आसार होते हैं.
भारी खर्च
मोटापे की वजह से होने वाली बीमारियां के इलाज पर खर्च 2025 तक सालाना 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. इनमें दिल की बीमारी और कैंसर के अलावा जोड़ों का दर्द और कमर दर्द भी शामिल है.
कहां कहां मोटापा
हैरानी वाली बात यह है कि आपको एक ही देश, एक ही समुदाय और एक ही घर में ही मोटापे के शिकार लोग भी मिल सकते हैं और कुपोषण के शिकार भी.
बच्चों में मोटापा
पांच साल से कम उम्र के 4.1 करोड़ बच्चों का वजन या तो सामान्य से ज्यादा था या वे मोटापे के शिकार थे. इसकी वजह बच्चों के खानपान की आदतें हैं.
अफ्रीका भी शिकार
2014 के बीच मोटापे या ज्यादा वजन के शिकार बच्चों की संख्या दोगुनी हो गयी. वहां 1990 में ऐसे बच्चे लगभग 54 लाख थे जो 2014 में बढ़कर 1.06 करोड़ हो गये.
सेहतमंद खाने की जरूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि खाना बनाने वाली कंपनियां खाने में फैट, शुगर और नमक की मात्रा को घटाकर सेहमतमंद खाने को बढ़ावा दे सकती हैं.
किफायती भी, सेहतमंद भी
अगर किफायती दामों में स्वास्थ्यवर्धक और पोषक तत्वों से भरपूर खाना उपलब्ध होगा तो लोगों के बीच उसे पसंद भी किया जाएगा. इससे मोटापे से निपटने में मदद मिल सकती है.
कसरत करेगी मदद
इस समस्या से निपटने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास जरूरी हैं. इसके लिए खाने पीने की आदतों में बदलाव करने के अलावा कसरत पर पर भी जोर देना होगा.
सरकारों की भूमिका
इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का कहना है कि सरकार और स्वास्थ्य से जुड़ी संस्थाओं को मोटापे से निपटने और उसकी दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए और सक्रियता दिखानी होगी.