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अनाथालय, जहां चिम्पांजी रहते हैं

६ जनवरी २०१७

यूगांडा के एनगाम्बा द्वीप पर एक अनाथालय है जहां चिम्पांजी रहते हैं. क्या इनके असली घर यानी वन सुरक्षित नहीं रखे जा सकते? एक शख्स ऐसी ही कोशिश में जुटा है.

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Schimpanse hinter Gittern
तस्वीर: picture alliance/Arco Images GmbH/P. Wegner

यूगांडा के एनगाम्बा द्वीप चिम्पांजियों का अनाथालय है. यहां हर किसी की अपनी दुख भरी कहानी है. किसी ने अपनी मां को खोया तो किसी को शिकारियों ने अपंग बना दिया. कोई चुरा लिया गया तो कोई अपने परिवार से भटक गया. और अब ये सब एक अनाथालय में हैं जहां कुछ लोग उनका बहुत ख्याल रखते हैं. लेकिन सिर्फ ख्याल रखना उनके लिए काफी है क्या? अनाथालय के केयरटेकर फिलिप सेकुल्या एक चिंपांजी के बारे में बताते हैं, "वह डरपोक हो गया है. जब वह दूसरे चिम्पांजियों को शोर करते हुए सुनता है, जैसा कि वे लौटने के समय करते हैं, तो वह डर जाता है."

चिम्पांजी भावनात्मक तौर पर बहुत जटिल जीव होते हैं. परिवार का नुकसान उनके बर्ताव में डिसऑर्डर पैदा करता है. एनगाम्बा के केयरटेकर चिम्पांजियों के ट्रॉमा की थेरेपी में काफी समय लगाते हैं. जैसे मदीना के साथ. मदीना को शिकारी पश्चिम एशिया में बेचने वाले थे. जब वह छोटी थी तो उसे काहिरा जाने वाली एक फ्लाइट के यात्री के बैग से पकड़ा गया. काफी समय तक वह खुद में सिमटी और डरी हुई रही. अब वह पेंटिग सीख रही है.

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चिम्पांजी को इंसान का सबसे करीबी रिश्तेदार कहा जाता है. इनकी जगह जंगलों में है. यूगांडा के वर्षावनों में इनका घर है. उत्तरी यूगांडा में कुछेक बचे हुए वर्षावन हैं जहां ये जानवर रहते हैं. लेकिन उनकी जिंदगी का आधार खतरे में है. जंगलों का बड़ा हिस्सा काट दिया गया है और वहां खेत बन गए हैं. जंगलों से विस्थापित चिम्पांजी और उनके साथियों को चारा खोजने के लिए खेतों में जाना पड़ता है. किसान फ्रांसिस कासांगाकी कहते हैं, "हमें सब कुछ काट देना पड़ा पड़ा क्योंकि हमें जंगली चिम्पांजियों, लाल पूंछ वाले बंदरों और बबूनों से समस्या हो रही थी. वे हमारी गन्ने की फसल को नष्ट कर देते थे. मुझे इतना नुकसान हो रहा था कि मेरे सामने आसपास के जंगल को काटने के अलावा और कोई चारा नहीं था."

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हर साल कटाई की वजह से तीन प्रतिशत वर्षावन कम हो जाते हैं. तो फिर यूगांडा के इन वानरों को बचाने के लिए क्या किया जाए कि देश की अद्भुत धरोहर बची रहे? ये ऐसा सवाल है जिसे जूलियस कवाम्या ने कुछ साल पहले उठाया था. वह पहले खुद चिम्पांजियों के खिलाफ थे, क्योंकि वे उनके खेतों को नुकसान पहुंचाते थे. अब वे चिम्पांजियों की रक्षा करने वाले संगठन चिम्पांजी सैंक्चुअरी एंड वाइल्डलाइफ कन्जर्वेशन ट्रस्ट के लिए काम करते हैं. उन्होंने ऐसा तरीका खोज निकाला है जिससे इंसानों और जानवरों के लिए पर्याप्त पैदावार होती है. वह बताते हैं, "हम पैशन फ्रूट उगाते हैं. इनसे काफी मुनाफा होता है. इसलिए हम किसानों से इन्हें उपजाने के लिए कह रहे हैं ताकि उनकी आय बढ़े."

साल में दो बार होने वाले इन फलों से किसानों की अच्छी आमदनी होती है. इस तरह चिम्पांजियों का भी भला होता है क्योंकि उन्हें पैशन फ्रूट से प्यार है. कुछेक बच गए जंगलों में वे अभी भी बिना की चिंता के रह सकते हैं.

कार्ल जिएरस्टोर्फर/एमजे