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शियाओं के खिलाफ आग उगलने वाले झंगवी पंजाब की असेंबली में

२२ दिसम्बर २०१६

मसरूर नवाज झंगवी हाल में उपचुनाव जीत कर पाकिस्तानी पंजाब की प्रांतीय असेंबली का सदस्य बने. उनका कहना है कि वह अब उदारवादी बन गए हैं और शियाओं के खिलाफ अतीत में उन्होंने जो भी कहा है, उसे भूल जाना चाहिए.

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Pakistan Masroor Nawaz Jhangv
तस्वीर: Reuters/D. Jorgic

यह सफाई मसरूर नवाज झंगवी को इसलिए देनी पड़ रही है क्योंकि वह अतीत में शिया मुसलमानों के खिलाफ आग उगलने के लिए जाने जाते थे. यही नहीं, उनके पिता हक नवाज झंगवी शियाओं के खिलाफ हिंसक मुहिम चलाने के लिए कुख्यात रहे हैं.

इसीलिए दिसंबर में जब झंगवी ने प्रांतीय असेंबली का उपचुनाव जीता तो पाकिस्तान में खासा विवाद हुआ. आशंकाएं पैदा होने लगी कि उनका सियासी कद बढ़ने से पंजाब के झंग इलाके में सांप्रदायिक विभाजन बढ़ेगा. झंग में शिया और सुन्नी टकराव का लंबा रिकॉर्ड रहा है.

इंटरनेट पर झंगवी की पुरानी वीडियो क्लिप मौजूद हैं जिनमें वह अपना भाषण ही यह कह कर शुरू करते हैं कि "शिया काफिर हैं." 29 वर्षीय मसरूर नवाज झंगवी का नाम उन लोगों को सूची में शामिल है जिनके संदिग्ध तौर पर चरमपंथियों से संबंध माने जाते हैं.

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झंगवी के पिता भी एक तेज तर्रार शिया विरोधी मौलवी थी और उन्होंने दुर्दांत सुन्नी गुट सिपह-ए-सहाबा की स्थापना की थी, जिसे 2002 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने आतंकवादी संगठन बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था. इससे बहुत पहले 1990 में शिया चरमपंथियों ने हक नवाज झंगवी की हत्या कर दी थी. हक नवाज झंगवी के नाम पर बने प्रतिबंधित लश्कर ए झंगवी ने पाकिस्तान के इतिहास में कुछ सबसे खतरनाक हमलों के अंजाम दिया है और शियाओं को निशाना बनाया है.

लेकिन मसरूर नवाज झंगवी अब कहते हैं, "मेरे कंधों पर जिम्मेदारी आ गई है. अब मैं झंग के सभी लोगों का नुमाइंदा हूं." जब उनसे शियाओं के बारे में उनके विचार पूछे गए तो उन्होंने कहा, "मैं सबको बराबर का इंसान समझता हूं. मैं पंजाब और झंग में शांति चाहता हूं."

चुनाव के दौरान प्रतिबंधित सुन्नी सांप्रदायिक संगठन अहल ए सुन्नत वल जमात ने झंगवी का जमकर समर्थन किया. लेकिन वह खुद को इस संगठन का सदस्य मानने से इनकार करते हैं. वह झंग में धुर दक्षिणपंथी पार्टी उलेमा ए इस्लाम फजल के नाम टिकट पर चुनाव में उतरे थे. अपनी शिया विरोधी वीडियो क्लिपों से खुद को दूर करते हुए झंगवी इतना ही कहते हैं कि वे कई बरस पुरानी हैं.

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लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें शियाओं के बारे में दिए गए भड़काऊ बयानों पर अफसोस है तो उन्होंने मुस्करा कर इतना ही कहते हैं, "नो कमेंट्स".

झंग में रहने वाले एक शिया व्यक्ति का कहना है कि झंगवी ने कोई सांप्रदायिक मुहिम नहीं चलाई और खुद को बदले हुए एक समर्पित व्यक्ति की तरफ पेश किया और इसीलिए एक दिसंबर को होने वाले चुनाव में वह शियाओं के भी कुछ वोट हासिल करने में कामयाब रहे. नाम ना जाहिर करने की शर्त पर इस व्यक्ति ने बताया, "समय ही बताएगा कि वह कितने बदले हैं या फिर यह सब बस सियासत के लिए था."

उधर झंगवी लोगों से किए वादे पूरे करने की बात कह रहे हैं. शहर की एक ईसाई बस्ती के दौरे पर उन्होंने कहा, "झंग के लोगों की बहुत समय से अनदेखी की गई है."

एके/ओएसजे (रॉयटर्स)